Chaitra Darsh Amavasya 2025: दर्श अमावस्या के दिन इस विधि से करें पिंडदान, नहीं लगेगा पितृदोष!

Darsh Amavasya: दर्श अमावस्या पर तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उन्हें आशीर्वाद मिलता है. हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि दर्श अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाए तो तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Mar 24, 2025 - 06:15
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Chaitra Darsh Amavasya 2025: दर्श अमावस्या के दिन इस विधि से करें पिंडदान, नहीं लगेगा पितृदोष!
Chaitra Darsh Amavasya 2025: दर्श अमावस्या के दिन इस विधि से करें पिंडदान, नहीं लगेगा पितृदोष!

Chaitra Darsh Amavasya 2025 Importance: हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अमावस्या के दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं? हिंदू धर्म में अमावस्या को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, दर्श अमावस्या को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. दर्श अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है. दर्श अमावस्या का दिन पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पूर्वज धरती पर आते हैं. दर्श अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है. दर्श अमावस्या पर किए गए तर्पण और पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और लोगों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. दर्श अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और 29 मार्च को शाम 4 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में दर्श अमावस्या 29 मार्च को ही मनाई जाएगी. इस दिन पूजा करने से आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति दर्श अमावस्या पर अपने पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करता है, उसके पूर्वजों की तीन पीढ़ियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. दर्श अमावस्या के दिन तर्पण और पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है. इसके अलावा, यह पृथ्वी के बुरे प्रभावों से भी राहत प्रदान करता है.

दर्शन अमावस्या पर पितरों को तर्पण कैसे करें

  • दर्श अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.
  • इसके बाद तर्पण के लिए दक्षिण दिशा की ओर मुख करना चाहिए.
  • पितरों को तर्पण देने के लिए जौ, कुश, गुड़, घी, साबुत चावल और काले तिल का उपयोग करना चाहिए.
  • पितरों को तर्पण करते समय उनका ध्यान करना चाहिए.
  • जल लेकर अपने पितरों को अर्पित करें.
  • पितरों की पूजा करने के बाद पशु-पक्षियों को भोजन खिलाना चाहिए. इसके अलावा दान भी करना होगा.
  • स्कंद पुराण के अनुसार दर्श अमावस्या के दिन पितरों की मुक्ति और उन्हें प्रसन्न करने के लिए गंगा नदी में जौ, कुश, गुड़, घी, साबुत चावल और काले तिल तथा शहद मिश्रित खीर का तर्पण करना चाहिए.
  • ऐसा करने से पितर 100 वर्षों तक संतुष्ट रहते हैं. वे भी प्रसन्न होकर लोगों को आशीर्वाद देते हैं.

पिंडदान विधि

सबसे पहले पवित्र नदी में स्नान करें. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए. फिर, अपने पूर्वजों की तस्वीरें स्टैंड पर रखें. गाय के गोबर, आटे, तिल और जौ से एक गेंद बनाएं. पिण्ड तैयार कर उसे पितरों को अर्पित करना चाहिए. पितृ पापों से मुक्ति पाने के लिए अपने पूर्वजों का ध्यान करना चाहिए तथा मंत्रों का जाप करना चाहिए.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टिनहींकरताहै.)

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,