Breastfeeding Week 2025: ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन मिथक पर ज्यादातर माएं करती हैं भरोसा, एक्सपर्ट से जानें फैक्ट्स

हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है. इसका उद्देश्य नवजात और मां के स्वास्थ्य को सही बनाए रखना और इससे जुड़ी जानकारी उन तक पहुंचाना है. ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कई बातें सुनने को मिलती हैं जैसे कि अगर मां बीमार है तो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए. लेकिन इस मथिक भी कहा जाता है. आइए जानते हैं एक्सपर्ट सेब्रेस्टफीडिंगको लेकर कुछ मिथक और फैक्ट के बारे में

Aug 7, 2025 - 11:07
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Breastfeeding Week 2025: ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन मिथक पर ज्यादातर माएं करती हैं भरोसा, एक्सपर्ट से जानें फैक्ट्स
Breastfeeding Week 2025: ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन मिथक पर ज्यादातर माएं करती हैं भरोसा, एक्सपर्ट से जानें फैक्ट्स

प्रेगनेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद भी महिला को कई बातों का ख्याल रखने की जरूरत होती है. इस दौरान उनके परिवार के सदस्य और पोड़ी उन्हें कुछ बातें बताते रहते हैं. इसके अलावा भी सोशल मीडिया पर आजकल बहुत सी जानकारी मिल जाती है. ऐसे हीब्रेस्टफीडिंगकरवाने वाली मां को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में बहुत सी बातें बताई जाती हैं. जिसकर नवजात की मां आसानी से यकीन कर लेती हैं. लेकिन अगर कोई आपको बात बताएं, जो जरूरी नहीं की वह सही हो.

हर बात के फैक्ट जानने की कोशिश आपको जरूरत करनी चाहिए. क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कई मिथक सुनने को मिलते हैं. जैसे कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दर्द होना नॉर्मल बात है. नवजात बच्चे और मां को अलग रखना चाहिए ताकि मां को आराम मिल सके. ऐसी कई बातें भी आपने सुनी होगी है. ऐसी इनमें से कुछ मिथक भी होते हैं. ऐसे ही कई और बातें भी हैं, जो मिथक होती हैं, लेकिन लोग उन पर आसानी से भरोसा कर लेते हैं. आइए जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कुछ मिथक और उनके फैक्ट के बारे में

मिथक- दूध पर्याप्त नहीं बन रहा है

दिल्ली के मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में क्टेशन काउंसलर डॉक्टर नेहा शर्मा ने बताया कि लगभग सभी मां के शरीर में पर्याप्त दूध का प्रोडक्शन होता है. शुरुआती दिनों में कोलोस्ट्रम (गाढ़ा पीला दूध) सीमित लगेगा लेकिन एंटीबॉडी और पोषण से भरपूर होता है. जैसे-जैसे बच्चे को दूध पिलाएंगी वैसे ही दूध बढ़ता जाएगा. यह एक मिथक होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि लगभग सभी मां अपने बच्चे के लिए सही मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं अगर दूध सही से नहीं बन रहा या कोई परेशानी है, तो अपने डॉक्टर से सलाह करें.

मिथक- दूध का प्रोडक्शन ब्रेस्ट के साइज पर निर्भर करता है

कई लोगों को मानना है कि दूध का प्रोडक्शन मां के ब्रेस्ट के साइज पर निर्भर करता है. लेकिन ऐसा नहीं है. ब्रेस्ट का आकार दूध बनाने की क्षमता से नहीं जुड़ा है. अगर दूध कम बन रहा है, तो इसका कारण मिल्क ग्लैंड हो सकता है.

Myths And Facts Of Breastfeeding

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े मिथक और फैक्ट्स ( Credit : Getty Images )

मिथक- बच्चे ज्यादा दूध पीता है, तो इससे प्रोडक्शन कम होता है

एक्सपर्ट ने बताया ये एक मिथक है. नवजात शिशुओं का पेट छोटा होता है और उन्हें यहां तक कि हर 1.5 से 2 घंटे में फीडिंग करवाने की जरूरत पड़ती है. दरअसत बच्चे जितना दूध पिता है, उतना भी ब्रेस्ट में दूध का प्रोडक्शन होता है. क्लस्टर फीडिंग ग्रोथ में तेजी का संकेत होता है.

मिथक- अगर मां बीमार है, तो ब्रेस्टफीडिंग नहीं करनी चाहिए

सर्दी या लो-ग्रेड टेंपरेचर में ब्रेस्टफीडिंग करवाने की जरूरत होती है और इसे जारी रखा जाता है. मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे की रक्षा भी कर सकते हैं. अगर मां को कोई गंभीर समस्या है या फिर किसी तरह की दवाएं ले रही हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. यूनिसेफ के मुताबिक कई मामलों में, आपकी बीमारी या रोग के इलाज के लिए आपके शरीर द्वारा बनाए गए एंटीबॉडी आपके शिशु में पहुंच जाते हैं.

मिथक- सी-सेक्शन के बाद दूध नहीं पिलाना चाहिए

कहां जाता है की जिन महिलाएं के सी-सेक्शन से डिलीवरी हुई है, उन्हें ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवानी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं है. इसमें सी-सेक्शन के बाद फीडिंग बिल्कुल करवाई जा सकती हैं. सर्जरी के कुछ घंटों के बाद मां अपने नवजात को किसी सहारे से दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं.

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