TRF: पाकिस्तान के हाइब्रिड युद्ध का उपकरण, कश्मीर में आतंक का नया चेहरा

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा संचालित एक आतंकी संगठन है, जो जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों, पर्यटकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाता है। यह संगठन पाकिस्तान के हाइब्रिड युद्ध और दुष्प्रचार का हिस्सा है, जिसे अनुच्छेद-370 हटाने के बाद सक्रिय किया गया।

TRF: पाकिस्तान के हाइब्रिड युद्ध का उपकरण, कश्मीर में आतंक का नया चेहरा
TRF: पाकिस्तान के हाइब्रिड युद्ध का उपकरण, कश्मीर में आतंक का नया चेहरा

TRF: पाकिस्तान के हाइब्रिड युद्ध का उपकरण, कश्मीर में आतंक का नया चेहरा

जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने अपने रणनीतिक रुख को बदला और आतंकवाद की एक नई शैली को अपनाया – हाइब्रिड वॉरफेयर। इस युद्ध रणनीति का हिस्सा बना The Resistance Front (TRF) – एक नया लेकिन बेहद खतरनाक आतंकी संगठन जिसे लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने मिलकर खड़ा किया।


TRF की स्थापना: अनुच्छेद-370 हटाने के बाद का षड्यंत्र

वर्ष 2019 में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को घेरने की असफल कोशिश की। जब यह रणनीति काम नहीं आई तो लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी सेना ने मिलकर TRF का गठन किया।
TRF का उद्देश्य पारंपरिक आतंकवाद से हटकर एक ऐसा नया चेहरा देना था जो कश्मीर में स्थानीय विद्रोह का भ्रम पैदा करे।


आतंकी नेटवर्क का नया नकाब: क्यों बनाया गया TRF?

TRF को बनाते समय पाकिस्तानी रणनीतिकारों के कई लक्ष्य थे:

  • FATF (Financial Action Task Force) की जांच से बचना

  • आतंकी गतिविधियों को स्थानीय आंदोलन की तरह दिखाना

  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचना

  • कश्मीर के लोगों में सहानुभूति पैदा करना

हालांकि भारत की खुफिया एजेंसियों ने TRF के इस प्रपंच का जल्द ही पर्दाफाश कर दिया। भारत सरकार ने 5 जनवरी 2023 को TRF को आधिकारिक रूप से आतंकी संगठन घोषित कर दिया।


आतंकी गतिविधियां: अल्पसंख्यक, पर्यटक और जवान निशाने पर

TRF कश्मीर घाटी में खास तौर पर अल्पसंख्यकों, सुरक्षा बलों, पर्यटकों और गैर-कश्मीरी नागरिकों को अपना निशाना बना रहा है। यह संगठन क्षेत्र में डर और अस्थिरता फैलाने के लिए 'सॉफ्ट टारगेट्स' को चुनता है ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके।


पूर्व SSG कमांडो को दी जा रही ट्रेनिंग

भारत की सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, TRF में पाकिस्तानी सेना के पूर्व SSG (Special Service Group) कमांडो शामिल किए गए हैं। ये प्रशिक्षित कमांडो खास तौर पर गुरिल्ला युद्ध, घातक हमले और विस्फोटक लगाने जैसी गतिविधियों में माहिर होते हैं।


TRF का नेतृत्व और बुनियादी ढांचा

  • संस्थापक: मुहम्मद अब्बास शेख

  • ऑपरेशनल चीफ: बासित अहमद डार
    (दोनों मारे जा चुके हैं)

वर्तमान में: TRF का सुप्रीम कमांडर शेख सज्जाद गुल माना जाता है, जो अब भी पाकिस्तान में सक्रिय है।
सूत्रों के अनुसार, TRF का मुख्यालय मुरीदके से बहावलपुर स्थानांतरित किए जाने की तैयारी है।


TRF: लश्कर-ए-तैयबा का छिपा चेहरा

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, TRF असल में लश्कर-ए-तैयबा का ही एक फ्रंट ग्रुप है। इसकी पूरी लॉजिस्टिक, वित्तीय और आपरेशनल सपोर्ट लश्कर-ए-तैयबा द्वारा ही की जाती है। इसके हथियार, प्रशिक्षण माड्यूल, सुरक्षित ठिकाने और रणनीति सभी LET के ढांचे पर आधारित हैं।


TRF का असली चेहरा अब उजागर हो चुका है

TRF को एक स्थानीय विद्रोही संगठन के रूप में दिखाने की कोशिशें अब बेमानी हो चुकी हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने TRF को पाकिस्तान समर्थित हाइब्रिड युद्ध और दुष्प्रचार का हिस्सा साबित कर दिया है। यह स्पष्ट है कि यह संगठन कश्मीर में शांति और स्थिरता को बाधित करने के पाकिस्तान के षड्यंत्र का एक हिस्सा है।


TRF in Kashmir, Pakistan hybrid war, Lashkar-e-Taiba, ISI, TRF attacks on minorities, TRF FATF, Sheikh Sajjad Gul, Article 370, Kashmir terrorism