रूपज्योति कुर्मी: असम के तेजतर्रार नेता और हालिया विवाद

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Mar 23, 2025 - 20:03
Mar 23, 2025 - 20:04
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रूपज्योति कुर्मी: असम के तेजतर्रार नेता और हालिया विवाद

रूपज्योति कुर्मी: असम के तेजतर्रार नेता और हालिया विवाद

रूपज्योति कुर्मी कौन हैं?

रूपज्योति कुर्मी असम के एक प्रमुख और अनुभवी राजनेता हैं। वे विशेष रूप से मारीआनी विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रह चुके हैं। कुर्मी असम के चाय जनजाति समुदाय से आते हैं, जो राज्य की सामाजिक और राजनीतिक संरचना में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी माँ रूपम कुर्मी भी कांग्रेस पार्टी से तीन बार विधायक और मंत्री रह चुकी हैं।

कुर्मी ने 2006 में पहली बार विधायक पद पर जीत हासिल की और कांग्रेस पार्टी के मजबूत नेता के रूप में उभरे। हालांकि, 2021 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर युवाओं की उपेक्षा और जमीनी हकीकत से दूर होने का आरोप लगाया था।

BJP में शामिल होने के बाद, उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में राज्य में चाय बागान श्रमिकों, पिछड़े समुदायों और सामाजिक विकास से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता दिखाई।


हालिया विवाद: विधानसभा में अमर्यादित भाषा का प्रयोग

रूपज्योति कुर्मी हाल ही में चर्चा में आ गए, जब असम विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने विपक्षी विधायकों के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया। 22 मार्च 2025 को असम विधानसभा में चर्चा के दौरान, वे गुस्से में विपक्षी विधायकों की ओर बढ़े और उन पर अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया। हालात बिगड़ने से पहले मार्शलों ने हस्तक्षेप कर स्थिति को संभाला।

इस घटना के बाद विपक्षी पार्टियों — कांग्रेस, एआईयूडीएफ और अन्य — ने विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. नोमल मोमिन से रूपज्योति कुर्मी के निलंबन की मांग की। जब तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो इन विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।


बीजेपी की सख्त प्रतिक्रिया

बीजेपी ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप सैकिया ने कुर्मी को पत्र लिखकर स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनका व्यवहार पार्टी की लोकतांत्रिक और सहिष्णु परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने लिखा:

"भाजपा के सदस्य के रूप में, हम आप जैसे वरिष्ठ नेता के व्यवहार को देखकर स्तब्ध हैं। भाजपा अनुशासन और सहिष्णुता की पार्टी है और हम अपने आदर्शों पर अडिग रहते हैं।"

साथ ही, पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें असम की जनता से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का निर्देश दिया। कुर्मी ने सदन में अपने व्यवहार के लिए पहले ही माफी मांग ली थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें जनता से माफी मांगने के लिए विशेष रूप से कहा, ताकि पार्टी की साख और मूल्यों की रक्षा हो सके।


राजनीतिक संदेश और असर

यह घटना न केवल असम की राजनीति बल्कि बीजेपी के अंदर अनुशासन के प्रति उसकी गंभीरता को भी दर्शाती है। रूपज्योति कुर्मी जैसे वरिष्ठ नेता को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहना यह स्पष्ट करता है कि पार्टी मर्यादित व्यवहार को लेकर कोई समझौता नहीं करती।

वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे को भाजपा के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी समय में कुर्मी की छवि और राजनीतिक भविष्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।


रूपज्योति कुर्मी असम की राजनीति में प्रभावशाली नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस से शुरू करके भाजपा तक का सफर तय किया है। हाल की घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि राजनीति में अनुभव और लोकप्रियता के साथ-साथ, संयम और मर्यादा का पालन करना भी अत्यंत आवश्यक है।

हाल के वर्षों में, रूपज्योति कुर्मी ने भाजपा के सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई है, विशेष रूप से चाय जनजाति समुदाय के कल्याण और असम के सामाजिक-आर्थिक विकास के मुद्दों पर। उन्होंने राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए काम किया है।​

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