प्रेरणा विमर्श 2024 के पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर हुआ मंथन

प्रेरणा विमर्श 2024, पंच परिवर्तन, पांच सूत्र, विचार मंथन, सामाजिक सुधार, नेतृत्व परिवर्तन, आर्थिक उन्नति, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा सुधार, नवाचार, विकास रणनीति, राष्ट्रीय सम्मेलन, प्रेरणा मंच जलवायु परिवर्तन से प्रभावित वैश्विक पर्यावरण, संस्कारों की कमी से बिखरते कुटुंब और समाज में जाति धर्म के भेदभाव को दूर करने को समरसता के भाव को लेकर वक्ताओं ने विचार रख समस्याओं पर चिंतन और उनके समाधान रखे।

Nov 23, 2024 - 18:01
Nov 23, 2024 - 18:03
 0  66
प्रेरणा विमर्श 2024 के पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर हुआ मंथन
प्रेरणा विमर्श 2024 के पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर हुआ मंथन
नोएडा। प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वावधान में नोएडा के सेक्टर 12 स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित 'प्रेरणा विमर्श 2024' के अंतर्गत पंच परिवर्तन के पांच सूत्रों पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता पर देश के मूर्धन्य लेखकों, विचारकों और विद्वानों ने चर्चा कर जलवायु परिवर्तन से प्रभावित वैश्विक पर्यावरण, संस्कारों की कमी से बिखरते कुटुंब और समाज में जाति धर्म के भेदभाव को दूर करने को समरसता के भाव को लेकर वक्ताओं ने विचार रख समस्याओं पर चिंतन और उनके समाधान रखे।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पर्यावरण विषय "माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्या" पर मंथन करते हुए मुख्य अतिथि पर्यावरणविद और जल योद्धा उमाशंकर पांडेय ने कहा कि दुनिया में जल का संकट है। हमारे पुरखों ने जो जल जमीन के नीचे पानी संजोह कर रखा था उसे हम भूमि में छेद कर अंधाधुंध जल दोहन कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि पानी बचाएं। पूरे विश्व में चार प्रतिशत पानी है लेकिन इसमें पीने का पानी सिर्फ एक प्रतिशत है। शहर ही नहीं गांव स्तर पर भी पानी की बजटिंग कर रिसाइकल करना होगा। सभी धर्म में जल का आदर है। आने वाली पीढ़ी के लिए पानी को बचाना होगा। कुएं, तालाब और नदियों का कोई विकल्प नहीं है। देश में 25 लाख तालाब थे आज सिर्फ दो लाख ही बचे हैं। गंगा, नदी नहीं मां है और हमारी संस्कृति है। इसे प्रदूषित होने से बचाना है।
सत्र की मुख्य वक्ता पर्यावरण विज्ञान संकाय, जेएनयू की प्रो. डॉ. ऊषा मीणा ने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होकर उसके समाधानों पर सभी को योगदान देना चाहिए। हम इतनी तेजी से पृथ्वी का दोहन कर रहे हैं कि उसे रीजेनरेट करने के लिए समय नहीं दे रहे। पर्यावरण की बहुत सी चुनौतियां हैं, आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण अत्यधिक बाढ़, सूखा, वर्षा, तूफान और ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जैव विविधता की हानि, कृषि उत्पादन में कमी और समुद्र तल बढ़ने जैसी समस्याएं आ खड़ी हैं। 
डॉ. ऊषा मीणा ने आह्वान किया कि पर्यावरण के प्रति सजग रहते हुए अपने जन्मदिन पर एक पौधा लगाएं। पर्यावरण के लिए सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि सभी की जिम्मेदारी है सस्टेनेबल लाइफ अपनाकर योगदान दे सकते हैं। पानी की रीसाइकलिंग, घर से कम से कम कचरा निकल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग जैसे उपायों से हम पर्यावरण दुरुस्त कर सकते हैं। अगर हम प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को समझेंगे तभी अधिकारों के बारे में कह सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग ना करें और पर्यावरण कानून के तहत अपशिष्टों का प्रबंध करें। सत्र की अध्यक्षता कर रहे अनिल त्यागी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण के संरक्षण को अगर हमने अभी कार्य नहीं किया तो भविष्य में बहुत समस्याएं आएगी। हमें पूर्वजों की नीतियों पर चलना होगा। संयोजक प्रोफेसर अनिल निगम ने भी पर्यावरण पर अपने विचार रखें। जबकि सत्र का संचालन प्रो. पूनम एवं मुक्ता मर्तोलिया ने किया।
दूसरे सत्र में कुटुंब प्रबोधन के अंतर्गत 'परिवार हमारा आधार' विषय पर वक्ताओं ने चिंतन किया। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संघचालक, सूर्य प्रकाश टोंक ने कहा कि जीवन का आनंद उठाना है तो परिवार आनंदमय होना चाहिए। उन्होंने संगठित परिवार के लिए शिक्षा, संस्कार, संगति, एकात्मकता और समाज में परिवार का स्थान जैसे पांच बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा करते हुए श्रेष्ठ परिवार के पांच सूत्र बताएं। कहा कि मैं से हम की यात्रा परिवार से शुरू होती है। 
जबकि अखिल भारतीय कुटुंब प्रबोधन गतिविधियों से सक्रिय रूप से जुड़े और सत्र के मुख्य वक्ता वरुण गुलाटी ने कहा कि आज हम के स्थान पर मैं का वातावरण दिखाई दे रहा है। वर्तमान में जो सोशल मीडिया पर परोसा जा रहा है वह चिंतनीय है। परिवारों के संबंध विच्छेद बढ़ रहे हैं। भारत में जब भी धर्म और संस्कृति का ह्रास हुआ महापुरुषों ने आगे बढ़कर मार्गदर्शित किया। रिश्तो में छल कपट का त्याग होगा तो आदर्श परिवार खड़ा हो जाएगा। आज एकल परिवार बढ़ रहे हैं। सत्र की अध्यक्षता कर रहीं उत्तर प्रदेश की पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष विमला बॉथम ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपला, गार्गी और अहिल्याबाई जैसी महान विभूतियां ने परिवार धर्म के साथ राजधर्म भी निभाया। संयोजक मनमोहन सिसोदिया ने भी कुटुंब प्रबोधन पर विचार रखें।  
तीसरा सत्र सामाजिक समरसता को लेकर केंद्रित रहा। 'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनासि जानता' विषय पर मुख्य अतिथि मंजुल पालीवाल और लेखक और विचारक और मुख्य वक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने सामाजिक समरसता पर विचार रखें। जबकि वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने सत्र की अध्यक्षता की, डॉ नवीन गुप्ता और डॉ. सुनेत्री सिंह ने भी मंच पर शिरकत की। संयोजक के रूप में शुभ्रांशु झा रहे।
अंत में वक्ताओं ने श्रोताओं के मन में उपजे विषय परक प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम में प्रचार प्रमुख, कृपाशंकर, अध्यक्षा, प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, प्रीति दादू, के अतिरिक्त प्रेरणा विमर्श 2024 के अध्यक्ष अनिल त्यागी, समन्वयक, श्याम किशोर सहाय, संयोजक, अखिलेश चौधरी आदि रहे।

What's Your Reaction?

like

dislike

wow

sad

@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,