स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे ने चलाई थी पहली गोली

29 मार्च, 1857 को कोलकाता के पास बैरकपुर में अपनी रेजिमेंट के सार्जेंट मेजर पर गोली चलाकर 1857 के विद्रोह का बिगुल फूंका। इसे भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम युद्ध माना जाता है। आठ अप्रैल, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। 

Jul 19, 2024 - 19:30
Jul 20, 2024 - 06:24
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स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे ने चलाई थी पहली गोली

मंगल पांडे: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले वीर

स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे ने चलाई थी पहली गोली

मंगल पांडे का जन्म 1827 में आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए। अंग्रेजों द्वारा दांत से काटे जाने वाले चर्बीयुक्त कारतूस के इस्तेमाल के लिए मजबूर करने पर विद्रोह का मन बना लिया। 29 मार्च, 1857 को कोलकाता के पास बैरकपुर में अपनी रेजिमेंट के सार्जेंट मेजर पर गोली चलाकर 1857 के विद्रोह का बिगुल फूंका। इसे भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम युद्ध माना जाता है। आठ अप्रैल, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। 

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। 1849 में, पांडे ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती होकर एक सिपाही के रूप में अपनी सेवा शुरू की।

1857 के विद्रोह के बीज उस समय बोए गए जब ब्रिटिश सेना ने नए एनफील्ड राइफलों का परिचय दिया, जिनके कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का उपयोग किया जाता था। इस कारतूस को उपयोग में लाने के लिए सिपाहियों को इसे अपने दांतों से काटना पड़ता था। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही सिपाहियों के लिए यह धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ था। इससे सिपाहियों में गहरा असंतोष फैल गया। मंगल पांडे इस असंतोष के प्रमुख केंद्र बन गए।

29 मार्च, 1857 को, मंगल पांडे ने बैरकपुर में अपनी रेजिमेंट के सार्जेंट मेजर पर गोली चला दी, जो कि विद्रोह का पहला आक्रामक कदम था। इस घटना ने 1857 के व्यापक विद्रोह का बिगुल फूंका, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम युद्ध माना जाता है। उनकी यह क्रांति ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का प्रतीक बनी और उनके साहस ने अन्य सिपाहियों को भी प्रेरित किया।

अंग्रेजों ने मंगल पांडे को विद्रोही करार दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिया और उनकी वीरता आज भी भारतीयों के दिलों में जिंदा है। मंगल पांडे का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है और वे देशभक्ति और बलिदान के प्रतीक बन गए हैं।

मंगल पांडे की कहानी हमें यह सिखाती है कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और बलिदान की आवश्यकता होती है। उनकी वीरता और साहस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके अदम्य साहस और बलिदान ने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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Abhishek Chauhan भारतीय न्यूज़ का सदस्य हूँ। एक युवा होने के नाते देश व समाज के लिए कुछ कर गुजरने का लक्ष्य लिए पत्रकारिता में उतरा हूं। आशा है की आप सभी मुझे आशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे मैं देश में समाज के लिए कुछ कर सकूं। सादर प्रणाम।