खान सर का बड़ा बयान: "आतंकवाद का धर्म नहीं होता, तो कलमा क्यों पढ़वाया

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Apr 25, 2025 - 17:17
Apr 25, 2025 - 18:35
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खान सर का बड़ा बयान: "आतंकवाद का धर्म नहीं होता, तो कलमा क्यों पढ़वाया
खान सर का बड़ा बयान:

खान सर का बड़ा बयान: "आतंकवाद का धर्म नहीं होता, तो कलमा क्यों पढ़वाया?"

हाल ही में चर्चित शिक्षाविद् और युवाओं के प्रेरणास्रोत माने जाने वाले खान सर ने एक बड़ा और विचारोत्तेजक बयान दिया है, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने आतंकवाद और धर्म को लेकर समाज में फैले भ्रम और दोगलेपन पर तीखा सवाल उठाया है।

खान सर ने कहा, “कुछ लोग बार-बार कहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन जब आतंकवादी किसी निर्दोष को मारने से पहले उससे कलमा पढ़वाते हैं, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर कलमा किस मजहब का है? और क्यों आतंकवादी उसी की मांग करते हैं?”

यह बयान उन्होंने एक हालिया आतंकी घटना के संदर्भ में दिया, जहां आतंकियों ने लोगों की जान लेने से पहले उन्हें कलमा पढ़ने को मजबूर किया था। इस बात ने खान सर को यह सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया कि क्या अब भी कुछ लोगों की आंखें नहीं खुली हैं?

उनका इशारा उन बुद्धिजीवियों और नेताओं की ओर था जो हर बार आतंकवाद की घटनाओं को मजहबी चश्मे से देखने से इनकार करते हैं और उसे "किसी धर्म से न जोड़ने" की बात करते हैं। खान सर ने दो टूक कहा कि सच्चाई से आंखें चुराना समस्या का हल नहीं है। अगर कोई खास पहचान या प्रतीक को निशाना बनाकर वारदात की जा रही है, तो उस पर खुलकर बात होनी चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी मजहब के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन देश की सुरक्षा और समाज में सच को सामने लाना जरूरी है। “अगर हम अपने बच्चों को सच्चाई नहीं बताएंगे, तो वे भ्रम में जीते रहेंगे,” खान सर ने कहा।

इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। कई लोग जहां खान सर के साथ खड़े दिख रहे हैं, वहीं कुछ लोग उन्हें निशाना भी बना रहे हैं।

पर एक बात तय है—खान सर ने जो सवाल उठाया है, वह सिर्फ बयान नहीं, बल्कि देश को आईना दिखाने वाला विचार है।

क्या अब भी हम आंखें मूंदे रहेंगे?

पहलगाम में जो हुआ पूरी जानकरी

पहलगाम आतंकी हमले की पूरी कहानी: 26 लोगों की हत्या का मास्टरमाइंड कौन, क्यों चुना ये वक्त? जानें सब कुछ

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसारन घाटी में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोगों की जान गई और 30 से अधिक घायल हुए। यह हमला पिछले दो दशकों में नागरिकों पर सबसे घातक माना जा रहा है

हमले की घटनाएं

दोपहर लगभग 3 बजे, चार से छह आतंकवादी जंगलों से निकलकर पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलाने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावरों ने पीड़ितों से उनके नाम पूछे और उन्हें कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया। जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई। एक महिला को यह कहकर छोड़ा गया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस घटना के बारे में बताए ।​

पीड़ित और जिम्मेदार संगठन

मारे गए 26 लोगों में 24 भारतीय पर्यटक, एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय गाइड शामिल थेइस हमले की जिम्मेदारी 'कश्मीर रेजिस्टेंस' नामक एक नए संगठन ने ली है, जिसे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जा रहा है 

भारत की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि भारत आतंकवादियों और उनके समर्थकों को बख्शेगा नहीं। उन्होंने दोषियों को सजा दिलाने का संकल्प लियाभारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए उधमपुर का दौरा किया 

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव

भारत ने पाकिस्तान पर इस हमले में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया। इसके जवाब में, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और सीमा पार व्यापार बंद कर दिया। पाकिस्तान ने भी भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और भारतीय नागरिकों के वीजा निलंबित कर दिए ।​

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हमले के विरोध में कैंडल मार्च निकालाभाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने इसे कश्मीर में पर्यटन को खत्म करने की साजिश बताया ।​

पहलगाम हमला न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती भी है। इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस पर टिकी हैं।

इस हमले की भयावहता को समझने के लिए एक प्रत्यक्षदर्शी बच्चे की आपबीती सुनना अत्यंत मार्मिक है

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