राजा-रानियों की कर्मभूमि में कंगना की परीक्षा

11971 में वह यहां से निर्वाचित हुए थे। 1977 में जनता पार्टी के गंगा सिंह

Mar 31, 2024 - 22:16
Mar 31, 2024 - 22:19
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राजा-रानियों की कर्मभूमि में कंगना की परीक्षा

राजा-रानियों की कर्मभूमि में कंगना की परीक्षा

राजा-रानियों की कर्मभूमि रहे मंडी संसदीय क्षेत्र को अभिनेत्री कंगना रनौत ने हाट सीट बना दिया है। वैसे तो राजा-रानियों की वजह से हिमाचल प्रदेश की यह सीट हर चुनाव में चर्चा का विषय रही है, मगर अब अभिनेत्री कंगना रनौत के भाजपा प्रत्याशी बनने से यह और चर्चा में आ गई है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के हालिया बिगड़े बौलों से भी मंडी देशभर में चर्चित हो गई है। मंडी, सुकेत, कुल्लू, कपूरथला और रामपुर बुशहर

जैसे पांच राजघरानों के सदस्य इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अब भी पुरानी रामपुर बुशहर रियासत की राजमाता प्रतिभा सिंह यहां को सांसद हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं।


भाजपा ने पहली बार मंडी से किसी महिला एवं सेलिब्रिटी को चुनाव मैदान में उतारा है। कंगना का मुकावला वर्तमान कांग्रेस सांसद प्रतिभा सिंह से होना लगभग तय है। इस सीट पर ठाकुरों के अलावा ब्राह्मणों का दबदबा रहा है। अनुसूचित जाति को एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। उस समय यहां से दो सदस्य चुने जाते थे। 1957 के बाद अनुसूचित जाति के किसी नेता को यहां से टिकट नहीं मिला है। 1951 का पहला चुनाव कपूरथला की राजकुमारी अमृतकौर ने जीता था। वह केंद्र में राज्यमंत्री बनी थीं। 1957 के चुनाव में तत्कालीन मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन सांसद चुने गए थे। 1962 व 1967 के चुनाव में सुकेत रियासत के राजा ललित सैन यहां से निर्वाचित हुए थे। 1971 में यहां रामपुर बुशहर के राजपरिवार की एंट्री हुई थी। बीरभद्र सिंह ने इस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना था।

11971 में वह यहां से निर्वाचित हुए थे। 1977 में जनता पार्टी के गंगा सिंह ठाकुर सदस्य बने थे। 1980 में वीरभद्र सिंह ने पिछली हार का बदला ले चुनाव जीता था। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से ब्राह्मण को पहली चार मैदान में उतारा था। पंडित सुखराम पहली बार चुनाव जीत संसद में पहुंचे थे। वह राजीव मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी बने थे। 1989 में भाजपा ने यहां कुल्लू के राजा महेश्वर सिंह को टिकट दिया था। उन्होंने पंडित सुखराम को पराजित किया था।

1991 में मध्यावधि चुनाव हुए। सुखराम फिर जीते। वह नरसिंह राव सरकार में राजघराने और सेलिब्रिटी के बीच मुकाबला राजघरानों के सदस्य यहा 15 चुनाव लड़ चुके है। कंगना रनौत के परदादा सरजू राम भी विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस इस मुकाबले को आम आदमी बनाम सेलिब्रिटी बनाने का प्रयास कर रही है। कंगना रनौत खुद को यहां की बेटी बता मैदान में उतर गई हैं। राजघराने और सेलिब्रिटी के बीच किसकी जीत होगी, चुनाव परिणाम आने पर इसका पता चल जाएगा।

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