JNU में अगले सत्र से हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र की होगी शुरुआत

हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्रों की शुरुआत होगी। हाल में हुई अकादमिक परिषद की बैठक में इस पर मुहर लग गई है। तीनों अध्ययन केंद्र से विद्यार्थी परास्नातक की डिग्री और पीएचडी कर सकेंगे।

Apr 11, 2024 - 08:06
Apr 11, 2024 - 08:08
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JNU में अगले सत्र से हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र की होगी शुरुआत

जेएनयू में अगले सत्र से हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र की होगी शुरुआत, लगी मुहर

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
(जेएनयू) में 2025-26 के सत्र से तीन नए हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्रों की शुरुआत होगी। हाल में हुई अकादमिक परिषद की बैठक में इस पर मुहर लग गई है। तीनों अध्ययन केंद्र से विद्यार्थी परास्नातक की डिग्री और पीएचडी कर सकेंगे। इनमें दाखिले कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के जरिये होंगे।

JNU में अगले सत्र से हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र की होगी शुरुआत


तीनों अध्ययन केंद्र संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में शुरू किए जाएंगे। संस्थान के डीन प्रो. ब्रजेश पांडेय ने बताया कि सीयूईटी परास्नातक की परीक्षाएं हो चुकी हैं। अगले सत्र से परीक्षा देने वाले छात्र यहां प्रवेश ले पाएंगे। शुरुआत में तीनों केंद्रों में 20-20 सीटें होंगी। इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित के प्रयासों से ही तीनों केंद्रों की स्थापना की गई है। प्राचीन भारतीय परंपरा में शोध कार्यों को बढ़ावा देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन कर रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रगतिशील प्रविधानों में शिक्षण-अधिगम और अनुसंधान में नवाचार लाने के लिए ये तीनों केंद्र बनाए गए हैं। शुरुआत में संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान में इनकी शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि हिंदू अध्ययन केंद्र के तहत प्राचीन भारतीय साहित्य, वेद, उपनिषद, गीता के भाग, ऐसी ज्योतिष विद्या जो भारतीय गणितीय पद्धति का प्रतिनिधित्व करती है।

लीलावती, आर्यभट्ट, चरक और सुश्रुत की आयुर्वेद संहिता का अध्ययन कराया जाएगा। साथ ही अर्थशास्त्र की तंत्रयुक्ति, मीमांसा का अधिकरण, भारतीय प्रबंधन, पाणिनी और वाद परंपरा, शास्त्रार्थ की विधियां, अर्थ निर्धारण, शक्ति व प्रकृति का सिद्धांत, सौंदर्य लहरी, कश्मीर का शैव दर्शन, आयुर्विज्ञान, विधि शास्त्र इसके पाठ्यक्रम में शामिल हैं। विशेष रूप से सिख ज्ञापन परंपरा को इसके पाठ्यक्रम में रखा गया है, उनके पद्य भी पढ़ाए जाएंगे।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार