एके-47 की गोली झेलने वाली स्वदेशी जैकेट तैयार
टीबीआरएल रामगढ़ पंचकूला के प्रवक्ता मनोज अठवाल ने बताया कि डीआरडीओ कानपुर में बनी बुलेट प्रूफ जैकेट को भी मौजूदा सैन्य जरूरत के हिसाब से कई स्तरों पर परखा गया है।
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एके-47 की गोली झेलने वाली स्वदेशी जैकेट तैयार
डीआरडीओ की शाखा डीएमएसआरडीई कानपुर में विशेषज्ञों ने छह जैकेट पर किया था अनुसंधान, देश की सबसे हल्की 9.5 किग्रा तक के वजन की होगी जैकेट, जवान को खतरे में भी रखेगी सुरक्षित
सेना के जवानों को अब किसी भी आपरेशन के दौरान दुश्मन की दस मीटर की दूरी से एके-47 और स्नाइपर राइफल के फायर से जान जाने का खतरा नहीं रहेगा। रक्षा प्रतिष्ठान डीएमएसआरडीई, कानपुर के विशेषज्ञों ने लेवल छह की श्रेणी में हल्के वजन की बुलेट प्रूफ जैकेट को तैयार किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की शाखा रक्षा सामग्री, भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई) ने 9.5 किलो के वजन की ऐसी बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है जो जवानों को उच्चतम स्तर के खतरे में भी सुरक्षित रखेगी।
यह जैकेट जवानों को 7.62 गुणा 54 आरएपीआइ (ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड्स 17051 के लेवल छह) गोला-बारूद से बचाने में मददगार बनेगी। इस बुलेट प्रूफ जैकेट का हाल ही में टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला (टीबीआरएल), चंडीगढ़ में सफल ट्रायल किया गया है। स्नाइपर राइफल से चली एक के बाद एक छह गोलियां बेअसर रहीं। जैकेट के फ्रंट को एर्गोनामिक रूप से डिजाइन किया गया है। यह पालिमर बैकिंग के साथ मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है। यह जैकेट पहना जवान दुश्मन की गोली से घायल नहीं हो सकेगा। टीबीआरएल रामगढ़ पंचकूला के प्रवक्ता मनोज अठवाल ने बताया कि डीआरडीओ कानपुर में बनी बुलेट प्रूफ जैकेट को भी मौजूदा सैन्य जरूरत के हिसाब से कई स्तरों पर परखा गया है।
मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट की खासियत
भारतीय मानक ब्यूरो संख्या 17051 के लेवल छह के अनुरुप विकसित बुलेट प्रूफ जैकेट में मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट लगाई गई है। जो कि काफी हल्की और सख्त होती है। यह पैनल कम से कम छह बुलेट को झेल सकता है। इस प्लेट पर स्टील की बुलेट टकराने से भी नुकसान नहीं पहुंचता है। यह देश में पहला
टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला चंडीगढ़ में हुआ जैकेट का सफल परीक्षण
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