देश की आबादी में हिंदू 8 फीसदी घटे, अल्पसंख्यक बढ़े
अध्ययन के अनुसार, भारत की आबादी में बौद्धों की हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि हुई, लेकिन जैन व पारसियों की संख्या घटी है। जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1950 के 84.68 फीसदी से घटकर 2015 में 78.06 फीसदी रह गई।
देश की आबादी में हिंदू 8 फीसदी घटे, अल्पसंख्यक बढ़े
1950 से 2015 के दौरान जनसंख्या में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 43 फीसदी बढ़ी
देश की आबादी में बहुसंख्यक हिंदुओं की हिस्सेदारी में गिरावट आई है, जबकि अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ी है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी- पीएम) के अध्ययन के अनुसार 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की हिस्सेदारी में 7.82 फीसदी की गिरावट आई। वहीं मुस्लिमों की हिस्सेदारी 43.15 फीसदी, ईसाइयों की 5.38 फीसदी व सिखों की 6.58 फीसदी बढ़ी है । इस दौरान, भारत के के विपरीत पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई पड़ोसी देशों में बहुसंख्यक समुदाय की आबादी में तेज उछाल देखा गया।
अध्ययन के अनुसार, भारत की आबादी में बौद्धों की हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि हुई, लेकिन जैन व पारसियों की संख्या घटी है। जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1950 के 84.68 फीसदी से घटकर 2015 में 78.06 फीसदी रह गई। इसी अवधि (65 वर्ष) में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 9.84 फीसदी से बढ़कर 14.09 फीसदी हो गई। बहुसंख्यक आबादी में गिरावट भारत से ज्यादा निकट पड़ोसी देशों में म्यांमार में दर्ज की गई है, जहां बहुसंख्यक थेरवाद बौद्धों की आबादी 10 फीसदी कम हो गई है। नेपाल की आबादी में भी बहुसंख्यक हिंदू समुदाय की हिस्सेदारी 3.6 फीसदी घटी है।
पाकिस्तान, बांग्लादेश में बहुसंख्यक बढ़े
पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे निकटतम पड़ोसी देशों में जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, उनकी आबादी में हिस्सेदारी बढ़ी है। वांग्लादेश की आबादी में जहां बहुसंख्यक मुस्लिमों की हिस्सेदारी में 18.5% का उछाल है, वहीं पाकिस्तान में यह 3.75% और अफगानिस्तान में 0.29% की दर से बढ़ी है।
■ 1971 में बांग्लादेश बनने के बावजूद पाकिस्तान में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय-हनफी मुस्लिम की हिस्सेदारी में 3.75% की वृद्धि और कुल मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में 10% की वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्ययन में सामने आई जानकारी
भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित अध्ययन के लेखकों ने कहा, आंकड़ों के सावधानीपूर्वक विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में अल्पसंख्यक न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि फल-फूल रहे हैं। अध्ययन में दुनियाभर के 167 देशों के रुझानों का आकलन किया गया, जिसकी रिपोर्ट इसी महीने जारी की गई थी। इसके लेखकों के मुताबिक, भारत का प्रदर्शन बड़े वैश्विक रुझानों के अनुरूप है। अध्ययन के लेखकों में शमिका रवि, अब्राहम जोस और अपूर्व मिश्र शामिल हैं।
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