जेएनयू के विदेशी भाषा कोर्स में प्रवेश के नियम पर हाई कोर्ट ने लगाई मुहर

12वीं परीक्षा पास करने वाले छात्रों को मात्र 20 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश का नियम बनाया गया है।

Apr 26, 2024 - 05:56
Apr 26, 2024 - 09:49
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जेएनयू के विदेशी भाषा कोर्स में प्रवेश के नियम पर हाई कोर्ट ने लगाई मुहर

जेएनयू के विदेशी भाषा कोर्स में प्रवेश के नियम पर हाई कोर्ट ने लगाई मुहर

विदेशी भाषा पाठ्यक्रम में बीए (आनर्स) में प्रवेश लेने वाले उसी वर्ष या पिछले वर्ष 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को 80 प्रतिशत कोटा देने के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के निर्णय पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। जेएनयू के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि यह निर्णय नई शिक्षा प्रणाली के तहत नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने की इच्छा से प्रेरित है।


जेएनयू की ओर से एक वर्ष से अधिक अंतर पर 12वीं परीक्षा पास करने वाले छात्रों को मात्र 20 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश का नियम बनाया गया है। निर्णय को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता वैभव को राहत देने से इन्कार करते हुए अदालत ने कहा कि यह निर्णय स्पष्ट रूप से ऐसा है जो जेएनयू की शैक्षणिक नीति के दायरे में आता है और यह किसी भी वैधानिक प्रविधान का उल्लंघन नहीं करता है। जेएनयू की प्रवेश नीति के अनुसार अनुसार 80 प्रतिशत सीटें कोड-एक श्रेणी में आती हैं।

शेष 20 प्रतिशत सीटें कोड-दो श्रेणी में उन लोगों के लिए खुली हैं जो अन्यथा पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। अदालत ने इसके साथ ही 2023-2024 शैक्षणिक सत्र के लिए विदेशी भाषाओं में बीए (आनर्स) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लागू जेएनयू की प्रवेश नीति और प्रक्रिया के खंड-12 की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिका खारिज कर दी।


याचिकाकर्ता वैभव अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और उन्होंने 2021 में 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्हें विश्वविद्यालय ने चीनी भाषा पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि उन्हें दो साल पहले 2021 में 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण कोड-दो में रखा गया था। उनके स्थान पर एक अन्य एससी वर्ग के छात्र को प्रवेश दिया गया, क्योंकि वह कोड-एक में था। अदालत ने कहा कि जेएनयू हाल ही में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों और पहले 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के बीच अंतर करने का हकदार है। अदालत ने कहा कि जेएनयू के निर्णय को मनमाना नहीं कहा जा सकता है।

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