बच्चों को बनाना है संस्कारी? तो 12 साल की उम्र तक सिखा दें ये 4 आदतें

जानिए अपने बच्चों को संस्कारी और जिम्मेदार नागरिक बनाने के 4 आसान टिप्स। समय की पाबंदी, स्वच्छता, सम्मान और सहानुभूति जैसी आदतें बच्चों को 12 साल की उम्र तक जरूर सिखाएं।

Mar 18, 2025 - 05:55
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बच्चों को बनाना है संस्कारी? तो 12 साल की उम्र तक सिखा दें ये 4 आदतें

बच्चों को बनाना है संस्कारी? तो 12 साल की उम्र तक सिखा दें ये 4 आदतें

हर मां-बाप की यही चाहत होती है कि उनके बच्चे अच्छे इंसान बनें, संस्कारी बनें और आगे चलकर उनका नाम रोशन करें। लेकिन आजकल के समय में बच्चों को अच्छे संस्कार देना कोई आसान काम नहीं रह गया है। मोबाइल, इंटरनेट और बाहरी दुनिया का इतना असर है कि अगर हम शुरू से बच्चों पर ध्यान न दें, तो बाद में पछताना पड़ता है।

दरअसल, जैसे मिट्टी को गीली हालत में मनचाहा आकार दिया जा सकता है, वैसे ही बच्चों को बचपन में जैसा ढालो, वैसा ही उनका भविष्य बनता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा संस्कारी, समझदार और दूसरों के लिए मिसाल बने, तो 12 साल की उम्र तक इन 4 आदतों को जरूर सिखा दें।

1. समय की पाबंदी – वक्त की कीमत सिखाइए

बच्चों को बचपन से ही सिखाइए कि समय कितना कीमती है। कई बार हम सोचते हैं कि बच्चे बड़े होकर खुद समझ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर बच्चा हर काम को टालने का आदी हो गया, तो वो आदत पक्की हो जाती है।

उसे सिखाइए कि समय पर स्कूल जाना, होमवर्क करना, खेलने और आराम करने का भी एक सही समय होता है। ऐसा करने से बच्चा भविष्य में जिम्मेदार बनेगा और हर काम समय पर करेगा।

छोटे-छोटे टास्क देकर उसे टाइम मैनेजमेंट सिखा सकते हैं। जैसे- 10 मिनट में टेबल साफ करो, आधे घंटे में होमवर्क खत्म करो वगैरह।

2. साफ-सफाई की आदत – स्वच्छता में है समझदारी

बच्चे को शुरू से ही साफ-सफाई की अहमियत बताइए। उसे समझाइए कि साफ कपड़े पहनना, हाथ धोना, अपने कमरे को साफ रखना, नाखून काटना और आसपास गंदगी न फैलाना क्यों जरूरी है।

अगर बचपन में ये आदत पड़ गई, तो बड़े होकर न सिर्फ खुद साफ-सुथरा रहेगा बल्कि दूसरों को भी सफाई के लिए प्रेरित करेगा।

उसे बताइए कि स्वच्छता सिर्फ घर में ही नहीं, स्कूल, पार्क, रास्तों और समाज में भी जरूरी है।

3. बड़ों का सम्मान और अनुशासन – इज्जत देना सिखाइए

आजकल कई बच्चे बड़ों को जवाब देने लगते हैं या उनकी बात काटते हैं। ये आदत अगर बचपन में ही न सुधारी जाए, तो आगे चलकर बहुत नुकसान हो सकता है।

बच्चों को सिखाइए कि माता-पिता, दादा-दादी, गुरुजन और हर बड़े का सम्मान करना क्यों जरूरी है। उन्हें ये भी बताइए कि अनुशासन का मतलब डरना नहीं, बल्कि अपने जीवन को सही तरीके से चलाना है।

घर में कोई नियम बनाइए, जैसे— खाना खाने के बाद बर्तन उठाना, पढ़ाई के टाइम टीवी न देखना, बड़ों से ऊंची आवाज में बात न करना।

4. मदद और सहानुभूति – दिल से इंसान बनाइए

बच्चों को सिखाइए कि दूसरों की मदद करना कितना जरूरी है। जब भी कोई दोस्त, पड़ोसी या गरीब किसी परेशानी में हो, तो उनके लिए हाथ बढ़ाना चाहिए।

उन्हें यह भी समझाइए कि सिर्फ पैसे से मदद नहीं होती, किसी को दिलासा देना, उसकी बात सुनना, उसके दुख में साथ खड़ा रहना भी बहुत बड़ा सहारा होता है।

बच्चा अगर शुरू से दूसरों के प्रति सहानुभूति रखेगा, तो बड़ा होकर वो एक अच्छा इंसान बनेगा, जिस पर सबको गर्व होगा।


आखिरी बात

दोस्तों, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। जो रूप आप देंगे, वही वो जीवनभर निभाएंगे। संस्कार सिर्फ किताबों या भाषणों से नहीं आते, बल्कि मां-बाप के रोज़ के व्यवहार और उनकी दी गई छोटी-छोटी सीख से आते हैं।

तो अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़ा होकर आपको गर्व करने का मौका दे, तो आज से ही इन चार आदतों की नींव रखिए —
समय की पाबंदी, स्वच्छता, सम्मान और सहानुभूति।

यकीन मानिए, ये छोटी-छोटी चीज़ें ही आपके बच्चे को बड़ा इंसान बनाएंगी। ????

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,