ब्रह्मोस: सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट संदेश – लखनऊ से रावलपिंडी तक गूंजा भारत का पराक्रम

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ब्रह्मोस: सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट संदेश – लखनऊ से रावलपिंडी तक गूंजा भारत का पराक्रम
ब्रह्मोस: सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट संदेश – लखनऊ से रावलपिंडी तक गूंजा भारत का पराक्रम

ब्रह्मोस: सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए एक स्पष्ट संदेश – लखनऊ से रावलपिंडी तक गूंजा भारत का पराक्रम

11 मई 2025 को, जब पूरा देश राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मना रहा था, उसी दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल निर्माण इकाई का उद्घाटन किया। यह केवल उत्तर प्रदेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण था। यह अवसर आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते एक और महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक बना।

ब्रह्मोस: भारत और रूस की साझा तकनीकी ताकत

ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, जिसका नाम भारतीय ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के पहले अक्षरों से मिलकर बना है। यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है जिसकी गति मैक 2.8 (आवाज़ की गति से लगभग तीन गुना) तक पहुंचती है। यह मिसाइल प्रणाली फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है, यानी लक्ष्य सेट करने के बाद इसमें किसी अतिरिक्त मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।

इसकी मारक दूरी 290 से 400 किलोमीटर तक है और यह जमीन, समुद्र और हवा – तीनों माध्यमों से लॉन्च की जा सकती है। यह मिसाइल केवल शत्रु के ठिकानों पर सटीक प्रहार करने में सक्षम है, बल्कि इसका निर्माण भारत की रक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ाता है।

लखनऊ को मिला नया गौरव

300 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह इकाई हर साल 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों के उत्पादन की क्षमता रखती है। रक्षा मंत्री ने गर्व से कहा कि यह दिन लखनऊ और उत्तर प्रदेश के लिए ऐतिहासिक है। उनका सपना था कि लखनऊ भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूती देने में अग्रणी भूमिका निभाए – और अब वह सपना साकार हो गया है।

उन्होंने कहा, "जैसे प्रयागराज अपने संगम के लिए जाना जाता है, वैसे ही लखनऊ भी इस तकनीकी संगम के लिए भविष्य में पहचाना जाएगा।"

ब्रह्मोस: सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि एक संदेश

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में स्पष्ट शब्दों में कहा – "ब्रह्मोस सिर्फ एक हथियार नहीं है, यह एक संदेश है… हमारी सेनाओं की शक्ति का, हमारे दुश्मनों को दिए जाने वाले प्रतिरोध का और देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का।" यह बयान सिर्फ तकनीकी विकास की बात नहीं करता, बल्कि देश की सैन्य रणनीति और संकल्प का परिचय भी देता है।

रावलपिंडी तक गूंजी भारत की चेतावनी

रक्षा मंत्री ने इस मौके पर पाकिस्तान को भी स्पष्ट चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि भारत की सेनाएं केवल सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, बल्कि जब-जब जरूरत पड़ी है, उन्होंने सीमा पार जाकर दुश्मनों को करारा जवाब दिया है।

राजनाथ सिंह ने कहा, "भारतीय सेना की धमक उस रावलपिंडी तक सुनाई दी है, जहां पाकिस्तान की सेना का मुख्यालय है।" उन्होंने उरी सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक और हाल की पहलगाम घटना के बाद हुई स्ट्राइक्स का भी उल्लेख किया।

आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति की सराहना करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब आतंकवाद को सिर्फ सहने वाला देश नहीं रहा। यह नया भारत है, जो सीमा के इस पार ही नहीं, उस पार भी सटीक और प्रभावी कार्रवाई करता है।

उन्होंने कहा, "हमने कभी पाकिस्तान के नागरिकों को निशाना नहीं बनाया, लेकिन पाकिस्तान ने मंदिरों, गुरुद्वारों और चर्च पर भी हमले करने से परहेज़ नहीं किया।" इसके बावजूद, भारत ने संयम और साहस दोनों का परिचय देते हुए अपने जवाबों में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया।

मेड इन इंडिया’ रक्षा निर्माण में मील का पत्थर

ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई भारत में रक्षा उत्पादन की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह केवल सेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार भी प्रदान करेगी। इसके जरिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न नोड्स – लखनऊ, कानपुर, झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ – भविष्य में रक्षा उत्पादन के बड़े केंद्र बनकर उभरेंगे।

वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को सलाम

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में डीआरडीओ, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सभी तकनीकी विशेषज्ञों की सराहना की और उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था, तब उन्होंने इच्छा जताई थी कि इसे समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए – और यह लक्ष्य सिर्फ 40 महीनों में हासिल कर लिया गया।

उन्होंने कहा, "हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत और तकनीकी विशेषज्ञता ने भारत को वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में मजबूती प्रदान की है।"

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर बना ऐतिहासिक क्षण

गौरतलब है कि ब्रह्मोस इकाई का उद्घाटन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर हुआ – वही दिन जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया था कि वह अब तकनीकी और सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर राष्ट्र है।

राजनाथ सिंह ने कहा, "आज का दिन उस शक्ति की आराधना का दिन है, जो हमारी सेनाओं को संबल देती है और हमारे दुश्मनों पर कहर बनकर टूटती है।"


ब्रह्मोस मिसाइल इकाई का उद्घाटन केवल एक औद्योगिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह भारत की सामरिक नीति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक संदेश का प्रतीक है। लखनऊ अब सिर्फ नवाबों का शहर नहीं रहा – यह अब देश की सामरिक शक्ति का एक अहम केंद्र बन चुका है।

भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि अब वह केवल सहने वाला राष्ट्र नहीं, बल्कि निर्णायक और जवाब देने वाला राष्ट्र है। ब्रह्मोस अब केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा प्रतिबद्धता का नाम है – एक ऐसा संदेश जो रावलपिंडी तक गूंजता है।