हिन्दू जागरण के सूत्रधार अशोकजी सिंघल

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Sep 27, 2024 - 20:46
Sep 27, 2024 - 20:52
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हिन्दू जागरण के सूत्रधार अशोकजी सिंघल

हिन्दू जागरण के सूत्रधार: अशोकजी सिंघल

जन्म: 27 सितम्बर 1926
स्थान: आगरा, उत्तर प्रदेश  भारत

प्रारंभिक जीवन

अशोकजी सिंघल का जन्म एक सम्पन्न उद्योगपति परिवार में हुआ। उनके घर का धार्मिक माहौल उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा का बीज बो गया। कक्षा नौ में महर्षि दयानन्द सरस्वती की जीवनी पढ़कर उन्होंने भारतीय संतों की समृद्ध परंपरा और आध्यात्मिक शक्ति से परिचय पाया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव

1942 में प्रयाग में अध्ययन के दौरान, रज्जू भैया के माध्यम से उनका सम्पर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ। उनकी माता ने संघ के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया, जिससे अशोकजी को शाखा जाने की अनुमति मिली। इस प्रकार उनका संघ कार्य का सफर शुरू हुआ।

देश की सेवा में संकल्प

1947 में देश विभाजन के समय, जबकि कांग्रेसी नेता सत्ता प्राप्ति की खुशियां मना रहे थे, अशोकजी ने संकल्प लिया कि मातृभूमि को ऐसे सत्तालोलुप नेताओं से मुक्त कराना होगा। उन्होंने अपना जीवन संघ कार्य को समर्पित करने का निर्णय लिया। शास्त्रीय गायन में उनकी रुचि थी, और उन्होंने संघ के कई गीतों की लय बनाई।

सक्रियता और संघर्ष

1948 में संघ पर प्रतिबंध लगने पर, अशोकजी ने सत्याग्रह किया और जेल गए। जेल से लौटकर उन्होंने बी.ई. की अंतिम वर्ष की परीक्षा दी और प्रचारक बने। उनकी सरसंघचालक श्री गुरुजी के साथ घनिष्ठता थी, और कानपुर में प्रचारक जीवन में रहते हुए उन्होंने विद्वान श्री रामचन्द्र तिवारी से गहन अध्ययन किया।

आपातकाल और नेतृत्व

1975 से 1977 तक देश में आपातकाल के दौरान, अशोकजी ने इन्दिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। आपातकाल के बाद, वे दिल्ली के प्रान्त प्रचारक बने। 1981 में दिल्ली में एक विराट हिन्दू सम्मेलन हुआ, जिसमें उनका नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमता स्पष्ट रूप से नजर आई।

विश्व हिन्दू परिषद का योगदान

अशोकजी को 'विश्व हिन्दू परिषद' के काम में लगा दिया गया। उन्होंने धर्म जागरण, सेवा, संस्कृत, और परावर्तन जैसे नये आयाम जोड़े। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन उनके कार्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा को प्रभावित किया।

विरासत

अशोकजी सिंघल का योगदान विश्व हिन्दू परिषद की अंतरराष्ट्रीय ख्याति में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे स्वस्थ रहते हुए देश और धर्म की सेवा करते रहें।

अशोकजी सिंघल एक ऐसे प्रेरणास्त्रोत हैं जिन्होंने हिन्दू जागरण और सामाजिक उत्थान के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए तत्पर रहें।

अशोकजी सिंघल के बारे में सभी जानकारी 

अशोकजी सिंघल एक प्रमुख भारतीय नेता और समाजसेवी थे, जो विशेष रूप से हिंदू धर्म और संस्कृति के उत्थान के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 15 सितंबर 1926 को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में हुआ था। उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर यहां चर्चा की गई है:

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

  • अशोकजी सिंघल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झांसी में प्राप्त की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए।
  • उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से जुड़ना शुरू किया और वहां से वे समाज सेवा के कार्यों में शामिल हो गए।

संघ से जुड़ाव

  • अशोकजी सिंघल ने 1940 के दशक में आरएसएस से जुड़कर हिंदू संस्कृति और सामाजिक कार्यों में योगदान दिया।
  • उन्होंने संघ के प्रचारक के रूप में कई स्थानों पर कार्य किया और बाद में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख बने।

राम जन्मभूमि आंदोलन

  • अशोकजी सिंघल को राम जन्मभूमि आंदोलन के एक प्रमुख नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने इस आंदोलन को संगठित करने और इसे जनता के बीच लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया।

साहित्य और विचार

  • अशोकजी सिंघल एक उत्कृष्ट वक्ता और लेखक थे। उन्होंने कई लेख और पुस्तिकाएं लिखीं, जिनमें हिंदू संस्कृति, धर्म, और समाज के मुद्दों पर उनके विचार शामिल थे।
  • उन्होंने अपने विचारों के माध्यम से युवाओं को प्रेरित किया और समाज में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया।

समाज सेवा

  • वे विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़े रहे और समाज में सुधार लाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे।
  • अशोकजी सिंघल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सामाजिक मुद्दों पर कार्य किया।

अशोकजी को सम्मान और पुरस्कार भी बहुत  मिले थे 

  • उनके कार्यों और योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए।
  • उनका जीवन और कार्य आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

अशोकजी का निधन 

  • अशोकजी सिंघल का निधन 17 नवंबर 2015 को हुआ। उनके योगदान और विचार आज भी समाज में जीवित हैं और उन्हें एक आदर्श नेता और समाजसेवी के रूप में याद किया जाता है।

अशोकजी सिंघल का जीवन समर्पण, सेवा, और समाज के उत्थान के लिए प्रेरणा देने वाला है। उनका योगदान भारतीय समाज और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,