अकबर क्रूर होते हुए भी सहिष्णु, जबकि औरंगजेब निर्दयी शासक

अकबर की क्रूरता, औरंगजेब का अत्याचार, मुगल इतिहास की सच्चाई, एनसीईआरटी नई इतिहास पुस्तक, अकबर सहिष्णु या क्रूर, चित्तौड़गढ़ नरसंहार, हेमू विक्रमादित्य का इतिहास, हिंदू मंदिर विध्वंस, एनईपी 2025 इतिहास, स्कूल इतिहास बदलाव, मुगल शासकों की आलोचना, सामाजिक विज्ञान कक्षा 8, भारतीय इतिहास पुनर्लेखन, बाबर की असलियत, इतिहास की पाठ्यपुस्तक में बदलाव, विजयनगर साम्राज्य, दिल्ली सल्तनत का पतन, औरंगजेब की कट्टरता, नया इतिहास पाठ्यक्रम 2025, हिंदू योद्धाओं का इतिहास

Jul 17, 2025 - 05:39
Jul 17, 2025 - 05:54
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अकबर क्रूर होते हुए भी सहिष्णु, जबकि औरंगजेब निर्दयी शासक
अकबर क्रूर होते हुए भी सहिष्णु, जबकि औरंगजेब निर्दयी शासक

अकबर क्रूर होते हुए भी सहिष्णु, जबकि औरंगजेब निर्दयी शासक, मुगल शासकों की क्रूरता को भी अब स्कूलों में पढ़ेंगे बच्चे

एनसीईआरटी की आठवीं की पुस्तक में मुगल काल की नए सिरे से समीक्षा अकबर के चित्रण में क्रूरता और सहिष्णुता दोनों का किया जिक्र औरंगजेब को बताया कट्टर और हिंदू मंदिरों को तोड़ने वाला शासक

अब तक स्कूलों की जिन पाठ्यपुस्तकों में मुगल शासक अकबर को सिर्फ महान और सहिष्णु ही बताया जा रहा था, अब उनमें अकबर की क्रूरता की घटनाएं भी पढ़ने को मिलेंगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत आठवीं कक्षा के लिए तैयार की गई सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में मुगल काल की नए सिरे से समीक्षा की गई है। इसमें मुगल शासक अकबर को सहिष्णु के साथ क्रूर भी बताया गया है जिसने 30 हजार हिंदुओं का कत्ल किया था। हालांकि, इस पाठ्यपुस्तक में यह स्पष्ट किया गया है कि अतीत की इन घटनाओं के लिए आज किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।


एनसीईआरटी के मुताबिक, अभी सिर्फ आठवीं कक्षा के लिए तैयार की गई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में इतिहास से जुड़े इन शोधपरक तथ्यों को रखा गया है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 से यह पाठ्यपुस्तक स्कूलों बच्चों को पढ़ने को मिलेगी। इसके साथ ही इतिहास से जुड़े अन्य भ्रामक पहलुओं को भी बढ़ती स्कूली कक्षाओं में स्पष्ट किया जाएगा। अगले शैक्षणिक सत्र तक एनसीईआरटी नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की पाठ्यपुस्तकों को भी लेकर आने वाली है। माना जा रहा है कि इनमें बच्चों को इतिहास में कुछ ऐसे योद्धाओं और सेनानियों की गाथा पढ़ने को मिलेगी, जिन्हें अब तक इतिहास में जगह नहीं मिली है।


बहरहाल, एनसीईआरटी की आठवीं की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में प्रमुख मुगल सम्राटों के चित्रण को एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें अकबर के शासन को क्रूरता एवं सहिष्णुता का मिश्रण बताया गया है। 1568 में चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के दौरान अकबर द्वारा लगभग 30 हजार लोगों के नरसंहार और जीवित महिलाओं व बच्चों को गुलाम बनाने के दिए गए आदेश का उल्लेख किया गया है। इस दौरान अकबर की ओर से दिए गए विजय संदेश का उद्धरण दिया गया है, जिसमें उसने कहा है कि 'हमने काफिरों के कई किलों और कस्बों पर कब्जा कर लिया है और वहां इस्लाम की स्थापना की है। अपनी रक्तपिपासु तलवार की मदद से हमने उनके मन से कुफ्र के निशान मिटा दिए हैं और उन जगहों पर और पूरे हिंदुस्तान में मंदिरों को नष्ट कर दिया है। 

पुस्तक में इन बातों का है जिक्र


'भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण' नामक इस नई पाठ्यपुस्तक में 13वीं से 17वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास पर चर्चा की गई है। इसमें - दिल्ली सल्तनत के उत्थान और पतन, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों और उनके प्रतिरोध और सिखों के उत्थान का भी जिक्र है। मुगलों के उदय का वर्णन है, जिसमें बाबर को 'एक तुर्क मंगोल शासक व सैन्य रणनीतिकार' बताया गया है। यह भी बताया गया है कि कैसे सूरी शासन के दौरान एक हिंदू सेनापति हेमू ने कुछ समय के लिए हेमचंद्र विक्रमादित्य की उपाधि से दिल्ली पर शासन किया था। हालांकि, पानीपत के दूसरे युद्ध के बाद अकबर की सेना ने बंदी बनाकर उनका सिर कलम कर दिया था। 

.... लेकिन आज किसी को भी इनके लिए जिम्मेदार ठहराना गलत होगा 

औरंगजेब की क्रूरता तो सार्वजनिक रही है। उसे गैर-मुस्लिमों की धार्मिक यात्राओं पर जजिया कर लगाने और हिंदू मंदिरों को तोड़ने वाला भी बताया गया है। एनसीईआरटी ने हालांकि पुस्तक की प्रस्तावना में ही साफ कहा है कि 'इन घटनाओं को न तो मिटाया जा सकता है और न ही नकारा जा सकता है, लेकिन आज किसी को भी इनके लिए जिम्मेदार ठहराना गलत होगा।'

AGUSTYA ARORA युवा पत्रकार BJMC Tilak School of Journalism and Mass Communication C.C.S. University MEERUT