आठ अप्रैल को साल का पहला सूर्यग्रहण
आदित्य एल-1 को सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का मिलेगा पहला प्राकृतिक मौका
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आठ अप्रैल को साल का पहला सूर्यग्रहण
पूर्ण सूर्यग्रहण के अध्ययन के लिए एरीज के विज्ञानी पहुंचेंगे टेक्सास प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि सूर्यग्रहण के अध्ययन के लिए एरीज की टीम अमेरिका के दक्षिणी प्रांत में स्थित टेक्सास पहुंच रही है। उनके साथ एरीज के सौर विज्ञानी डा. कृष्णा प्रसाद भी होंगे। वह टेक्सास के समीप सूर्यग्रहण का अध्ययन करेंगे। बाद में इस घटना की तस्वीरों को आदित्य एल-1 से प्राप्त तस्वीरों के साथ मिलान किया जाएगा। इससे पता चल पाएगा कि दोनों तस्वीरों में किस तरह का अंतर है और जमीनी व आसमानी (लैग्रेज-1) के अध्ययन में क्या फर्क है।
• आदित्य एल-1 को सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का मिलेगा पहला प्राकृतिक मौका
- मैक्सिको, अमेरिका और कनाडा में आएगा नजर, भारत में नहीं दिखेगा सूर्यग्रहण
आठ अप्रैल को लगने जा रहा इस वर्ष का पहला सूर्यग्रहण भारत से नहीं देखा जा सकेगा। मगर इसरो के आदित्य एल-1 को ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का पहला प्राकृतिक मौका मिलेगा। जिस कारण यह अद्भुत खगोलीय घटना इसरो के लिए महत्वपूर्ण होने जा रही है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के निदेशक व आदित्य एल-1 साइंस ग्रुप कमेटी व आउटरीच विभाग के सह अध्यक्ष प्रो. दीपांकर बनर्जी के अनुसार आदित्य एल-1 को ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का प्राकृतिक मौका मिलेगा। जिसे पृथ्वी से देखे जाने वाले ग्रहण के साथ मिलान किया जाएगा। दरअसल सूर्य के कोरोना के कई रहस्य आज भी बरकरार हैं। हालांकि अब आदित्य एल-1 में कोरोना के अध्ययन के लिए उपकरण लगे हुए हैं।
जिससे यह उपकरण कभी भी कोरोना का अध्ययन कर सकता है। मगर आठ अप्रैल को प्राकृतिक रूप से सूर्यग्रहण से संभव है कि दोतरफा अध्ययन से नई जानकारी मिल जाए। इसलिए इस सूर्यग्रहण पर भारतीय सौर विज्ञानियों की नजर रहेगी। प्रो. बनर्जी के अनुसार इस सूर्यग्रहण को ग्रेट नार्थ अमेरिकन सोलर एक्लिप्स नाम मिला है। यह दुर्लभ सूर्यग्रहण 54 साल बाद नजर आने वाला है। इसके बाद यह संयोग 2078 में बनेगा। ग्रहण का पाथ उत्तरी अमेरिका से शुरू होगा जो मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा में नजर आएगा।
25 मार्च को लगेगा चंद्रग्रहण: 25 मार्च को चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। यह उपछाया वाला ग्रहण होगा। इस ग्रहण को देख पाना आसान नहीं होता है। ग्रहण के दौरान पृथ्वी की हल्की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। जिस कारण चंद्रमा की रोशनी में मामूली अंतर आ जाता है। इसी वजह से इसे उपछाया का ग्रहण (पैनम्बरल) चंद्रग्रहण कहा जाता है।
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