विश्व में अपनेपन के भाव से ही शांति आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी

काशी के खोजवां क्षेत्र में शंकुलधारा पोखरे पर बुधवार को आयोजित अक्षय कन्यादान महोत्सव की पावन बेला पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी उपस्थित रहे। समारोह में कुल 125 कन्याओं का विवाह संपन्न हुआ। सरसंघचालक जी ने सोनभद्र के रेणूकूट की जनजाति समाज की बेटी राजवंती का कन्यादान किया, उसके वर […] The post विश्व में अपनेपन के भाव से ही शांति आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी appeared first on VSK Bharat.

May 2, 2025 - 05:27
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विश्व में अपनेपन के भाव से ही शांति आएगी – डॉ. मोहन भागवत जी

काशी के खोजवां क्षेत्र में शंकुलधारा पोखरे पर बुधवार को आयोजित अक्षय कन्यादान महोत्सव की पावन बेला पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी उपस्थित रहे। समारोह में कुल 125 कन्याओं का विवाह संपन्न हुआ। सरसंघचालक जी ने सोनभद्र के रेणूकूट की जनजाति समाज की बेटी राजवंती का कन्यादान किया, उसके वर अमन के पांव पखारे। सरसंघचालक जी ने परिणय सूत्र में बंधने पर सभी दंपत्तियों को शुभाशीर्वाद दिया।

सरसंघचालक जी ने कहा कि विश्व में अपनेपन से शांति लाई जा सकती है। जिसने भी विश्व को अपना कुटुंब माना, उसके सामने सब झुक जाते हैं। जैसे ठोस मकान के निर्माण में पक्की ईंट की भूमिका होती है। उसी तरह कुटुंब संस्कारों से पक्का होता है। प्रत्येक समाज की ईंट परिवार होता है और यह परिवार संस्कारों से, अपनेपन से पक्का होता है। संस्कारित व्यक्ति, समाज और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अच्छे मनुष्य का प्रशिक्षण कुटुंब में ही होता है। जो समाज का अविभाज्य अंग होता है। कई बार अपनों के लिए हमें त्याग करना पड़ता है, जो संस्कार से आता है। यह अपनेपन को और मजबूती देता है। इसी अपनेपन से विश्व में शांति आएगी। यह स्वभाव हम सभी को अपने में विकसित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि विवाह के बाद दूसरे घर से आई कन्या को हम अपनेपन के कारण ही परिवार का सदस्य बना पाते हैं। अपनेपन की ऐसी रीति है कि वह सतत बढ़ता है। भारतीय समाज का यही अपनापन जब एक व्यक्ति में उत्पन्न होता है, तो वह सारी दुनिया को अपना परिवार मानता है। भारत का संस्कार इस प्रकार का है कि अपनों के लिए कार्य करने की हमारी पुरानी परंपरा है और यही संस्कार देश का उद्धार करने वाला होगा, यही संस्कार संपूर्ण विश्व में शांति की स्थापना करेगा।

अक्षय कन्यादान महोत्सव आयोजक एवं संघ के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल जी को शुभकामनाएं देते हुए इस कार्यक्रम को आगे भी जारी रखने का संकल्प दिलाया।

यह विवाह कार्यक्रम उपकार की भावना से आयोजित नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे अपनत्व का भाव कार्य कर रहा है। विवाह से कुटुंब, कुटुंब से समाज और उससे देश का निर्माण होता है। भारतीय समाज में कुटुंब अपनेपन के कारण स्थायी रहता है। उन्होंने दो महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर आग्रह किया, प्रथम आज जिन-जिन यजमानों ने कन्यादान किया है, वह सभी उन परिवारों से वर्ष में कम से कम एक बार मिलने जाएंगे। दूसरा सामूहिक विवाह जैसे संस्कारित कार्यक्रम समाज में प्रतिवर्ष आयोजित होने चाहिए क्योंकि ऐसे ही संस्कार युक्त कार्यक्रम मर्यादा की सीमा से बाहर आकर स्वभाव में आते हैं। सामूहिक विवाह का प्रतिवर्ष आयोजन समाज में अपनेपन की भावना में वृद्धि करेगा।

 

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