पाकिस्तान को सबसे खतरनाक आतंकियों से बचाने वाले जिरगा कौन हैं?

तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन है. पश्तून के जिरगाओं ने इन आतंकियों के साथ एक समझौता किया है. वहीं जिरगाओं ने सरकार को सुझाव दिया है कि अफगानिस्तान से बात करके इन आतंकियों को आप सरेंडर करवा सकते हैं. सवाल उठ रहा है कि जिरगा आखिर होते कौन हैं?

Aug 7, 2025 - 11:08
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पाकिस्तान को सबसे खतरनाक आतंकियों से बचाने वाले जिरगा कौन हैं?
पाकिस्तान को सबसे खतरनाक आतंकियों से बचाने वाले जिरगा कौन हैं?

सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से मुल्क को बचाने के लिए स्थानीय जिरगाओं ने मोर्चा संभाल लिया है. एक तरफ जिरगाओं ने जहां टीटीपी के साथ समझौता किया है. वहीं दूसरी तरफ सरकार से कहा है कि आतंकियों को खत्म करने के लिए अब अफगानिस्तान से सीधी बातचीत करिए.

खैबर पख्तूनख्वा के ये जिरगा ऐसे वक्त में सरकार के लिए संकटमोचक बने हैं, जब टीटीपी के हमले से पाकिस्तान की सेना पस्त हो गई है. बुधवार (6 अगस्त) को भी टीटीपी ने पाकिस्तान के 11 जवानों की हत्या कर दी. इनमें एक मेजर रैंक के अफसर भी शामिल हैं.

पहला सवाल- जिरगा कौन होते हैं?

जिरगा शब्द की उत्पत्ति पश्तो भाषा से हुई है. इसका अर्थ है बुजुर्गों की एक परिषद, जो किसी भी मुद्दे पर आपसी सहमति या समझौता करा दे. पश्तून लोगों के बुजुर्गों के समूह को जिरगा कहते हैं. वर्तमान में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर इलाके में सबसे ज्यादा पश्तून हैं.

2018 से पहले तक इन पश्तूनों को संवैधानिक मान्यता भी प्राप्त था, लेकिन इमरान खान की सरकार ने इसे खत्म कर दिया. गांव में छोटे-छोटे विवाद सुलझाने के लिए पश्तून जिरगा की ही मदद लेते हैं.

जिरगा पाकिस्तान के लिए क्यों आगे आए?

खैबर पख्तूनख्वाह पिछले कुछ सालों से आतंक का केंद्र बना हुआ है. तहरीक-ए-तालिबान के करीब 6000 लड़ाकों ने यहां पर सरकार के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल रखा है. इन लड़ाकों का कहना है कि पाकिस्तान की जो सरकार है, वो इस्लाम रीति रिवाज से नहीं चलती है.

टीटीपी की वजह से पाकिस्तान में इस साल करीब 500 नागरिकों और सैन्य जवानों की मौत हुई है. संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के मुताबिक टीटीपी पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है.

जुलाई 2025 के आखिर में पाकिस्तान की सेना ने पूरे खैबर में कर्फ्यू लगाकर टीटीपी के खिलाफ ऑपरेशन चलाने की कोशिश की. हालांकि, सेना का यह ऑपरेशन सफल नहीं हुआ. उलटे आम नागरिक इससे परेशान हो गए.

आखिर में सरकार को बचाने के लिए जिरगा सामने आए. जिरगा ने टीटीपी से एक समझौता किया है. इसके मुताबिक टीटीपी के लड़ाके अब छोटे बच्चों को खैबर में ढाल नहीं बनाएंगे. टीटीपी के लोग सेना से सीधी लड़ाई लड़ेंगे.

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