धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह टिप्पणी शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के संदर्भ में की, जिसमें पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द […]

Dec 10, 2024 - 10:58
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धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह टिप्पणी शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के संदर्भ में की, जिसमें पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के दर्जे को रद्द कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय का फैसला

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मई 2023 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा मुसलमानों की 77 जातियों को ओबीसी के रूप में मान्यता देने के फैसले को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने का आधार “धर्म” प्रतीत होता है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, मुसलमानों के 77 समूहों को पिछड़ा वर्ग घोषित करना पूरे मुस्लिम समुदाय का अनादर है।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और के. वी. विश्वनाथन शामिल थे ने स्पष्ट किया कि आरक्षण का आधार सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन होना चाहिए, न कि धर्म। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि यह आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि उच्च न्यायालय का फैसला हजारों छात्रों और नौकरी चाहने वालों के अधिकारों को प्रभावित करेगा।

पश्चिम बंगाल सरकार ने 2010 और 2012 में राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर मुसलमानों के 77 वर्गों को ओबीसी सूची में शामिल किया था। इस फैसले को चुनौती दी गई, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को पश्चिम बंगाल सरकार से यह जानकारी मांगी थी कि 37 जातियों, जिनमें अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं, को ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए कौन-से ठोस सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों का सहारा लिया गया। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या इन वर्गों का प्रतिनिधित्व सरकारी नौकरियों में पर्याप्त था।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को तय की है। इस दौरान अदालत विस्तृत दलीलें सुनेगी और यह तय करेगी कि उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई जाए या नहीं।

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