भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 1879 की रिपोर्ट: सम्भल क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 1879 की रिपोर्ट में हरिहर मंदिर के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्य हैं एएसआइ के तत्कालीन अधिकारी ए. सी. एल. कार्लाइल द्वारा तैयार रिपोर्ट में सम्भल क्षेत्र और इस स्थल का विस्तृत सर्वेक्षण दर्ज है। इसके अनुसार, ‘‘सम्भल का सतयुग में नाम ‘सब्रित’ या सब्रत और सम्भलेश्वर था। त्रेतायुग में

Dec 10, 2024 - 10:58
Dec 10, 2024 - 18:29
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 1879 की रिपोर्ट: सम्भल क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 1879 की रिपोर्ट: सम्भल क्षेत्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तत्कालीन अधिकारी ए. सी. एल. कार्लाइल द्वारा 1879 में तैयार की गई रिपोर्ट में सम्भल क्षेत्र और हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह रिपोर्ट सम्भल की प्राचीन विरासत और यहां मौजूद संरचनाओं के विश्लेषण पर आधारित थी।

सम्भल का नाम और युगों के अनुसार इसका इतिहास

रिपोर्ट के अनुसार सम्भल क्षेत्र का नाम समय के साथ बदलता रहा है। सतयुग में इसे 'सब्रित' या 'सब्रत' तथा 'सम्भलेश्वर' के नाम से जाना जाता था। त्रेतायुग में इसका नाम 'महदगिरि' और द्वापर युग में 'पिंगला' था। कलियुग में इसे 'सम्भल' या संस्कृत में 'सम्भल-ग्राम' के नाम से पहचाना गया।

सम्भल के दक्षिण-पूर्व में स्थित सुरतकाल खेड़ा नामक स्थान का भी ऐतिहासिक महत्व है। इसका नाम चंद्र वंश के राजा सत्यवान के पुत्र राजा सुरथल के नाम पर रखा गया। इस क्षेत्र का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक 1,200 फीट लंबा और 1,000 फीट चौड़ा था। इसके निकट एक और बड़ा खेड़ा स्थित है, जिसे 'राजा सदून-का-खेड़ा' या 'सदुंगगढ़' कहा जाता है।

जामा मस्जिद और हिंदू मंदिर के साक्ष्य

एएसआई की रिपोर्ट में सम्भल की जामा मस्जिद के निर्माण और उसके अंदर पाए गए हिंदू मंदिर के अवशेषों का भी विस्तृत वर्णन है। स्थानीय मुसलमान इस मस्जिद को बाबर के समय का मानते हैं और इसके अंदर एक शिलालेख का उल्लेख करते हैं, जिस पर बाबर का नाम लिखा है। हालांकि, रिपोर्ट में दर्ज है कि कई स्थानीय मुसलमानों ने कबूल किया कि यह शिलालेख नकली था।

रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद में और उसके बाहर लगे खंभे पुराने हिंदू मंदिरों के खंभों की तरह हैं। इन खंभों को प्लास्टर से ढकने का प्रयास किया गया था। एक खंभे से प्लास्टर हटाने पर लाल रंग के प्राचीन खंभे दिखाई दिए, जो विशुद्ध हिंदू वास्तुकला का प्रतीक थे।

मस्जिद का निर्माण और शिलालेख

मस्जिद में मौजूद एक शिलालेख के अनुसार, इसका निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने करवाया था। मीर हिंदू बेग, बाबर का दरबारी था और उसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित किया। यह शिलालेख इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि जामा मस्जिद का निर्माण एक हिंदू धार्मिक स्थल को बदलकर किया गया था।

हिंदू वास्तुकला के चिह्न

मस्जिद की संरचना में हिंदू वास्तुकला के कई चिह्न पाए गए। मस्जिद के खंभे और गुंबद हिंदू वास्तुकला की विशेषताएं प्रदर्शित करते हैं। यह भी उल्लेख किया गया कि मस्जिद का गुंबद हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान जीर्णोद्धार किया गया था।

संरचनात्मक विश्लेषण

रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि मस्जिद की वास्तुकला और खंभों का डिज़ाइन मुसलमानों द्वारा बनाए गए खंभों से पूरी तरह अलग है। हिंदू मंदिरों की संरचना और डिजाइन का प्रभाव मस्जिद में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

संस्कृति और इतिहास का दर्पण

सम्भल क्षेत्र के ये तथ्य इस बात का द्योतक हैं कि यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। हरिहर मंदिर और अन्य स्थलों के अवशेष प्राचीन भारतीय संस्कृति और स्थापत्य कला के प्रमाण हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की यह रिपोर्ट सम्भल क्षेत्र की ऐतिहासिक महत्ता को समझने में सहायक है। यह क्षेत्र भारतीय इतिहास और संस्कृति का ऐसा अध्याय है, जो वर्तमान पीढ़ी के लिए गौरव और शोध का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्य और साक्ष्य अतीत के धार्मिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य दृष्टिकोण को उजागर करते हैं, जो भारतीय पुरातत्व की अमूल्य धरोहर हैं।

 

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