कहानी कबीलाई लड़ाकों की, जिनके सामने औरंगजेब से लेकर पाकिस्तानी सेना तक हो गई पस्त

इतिहास गवाह है कि बलोच और पशतून इलाकों के योद्धा कभी किसी के आगे नहीं झुके. चाहे मुगल रहे हों, ब्रिटिश हुकूमत या अब पाकिस्तान, हर दौर में इन कबीलाई लड़ाकों ने अपने संघर्ष से सत्ता को चुनौती दी है. खुशल खान खट्टक के पश्तून लड़ाके हों या आज के बलोच विद्रोही, ये अपनी आजादी की लड़ाई के लिए हमेशा से सत्ता से टक्कर लेते आए हैं.

Mar 13, 2025 - 14:43
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कहानी कबीलाई लड़ाकों की, जिनके सामने औरंगजेब से लेकर पाकिस्तानी सेना तक हो गई पस्त
कहानी कबीलाई लड़ाकों की, जिनके सामने औरंगजेब से लेकर पाकिस्तानी सेना तक हो गई पस्त

बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के कबीलाई लड़ाके हमेशा से बाहरी ताकतों के लिए सिरदर्द रहे हैं. चाहे मुगल सम्राट औरंगजेब रहा हो या आज का पाकिस्तान, इन लड़ाकों ने हर हमलावर को कड़ी चुनौती दी है. हाल ही में बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान सेना के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और पाकिस्तानी सैनिकों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस इलाके में विदेशी ताकतों को शिकस्त मिली हो.

इतिहास में भी ऐसे कई मौके आए जब बलोच और पश्तून लड़ाकों ने बड़े-बड़े ताकतवर सेनाओं को झुका दिया. मुगल इतिहास में सबसे ताकतवर माने जाने वाले बादशाह औरंगजेब को भी इसी इलाके में कबीलाई विद्रोहों का सामना करना पड़ा था. उनके करीबी भीमसेन सक्सेना ने ‘तारीख-ए-दिलकुशा’ में लिखा कि औरंगजेब के शासनकाल में खुशल खान खट्टक और भागू के नेतृत्व में पश्तून कबीले के लड़ाकों ने दिल्ली सल्तनत के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था.

औरंगजेब के खिलाफ बड़ा विद्रोह

दिल्ली सल्तनत के खिलाफ इस विद्रोह में मुगलों के कई मनसबदार और सैनिक मारे गए थे. अंततः औरंगजेब को इन लड़ाकों के साथ संधि करनी पड़ी थी. खुशल खान खट्टक न केवल एक जुझारू योद्धा थे बल्कि एक कवि भी थे, जिन्होंने पश्तूनों की आजादी के लिए संघर्ष किया और मुगलों को खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में करारी शिकस्त दी.

मुगलों के खिलाफ पश्तूनों का नायक

खुशल खान खट्टक 17वीं सदी के एक महान पश्तून योद्धा और कवि था, जिसने मुगलों के खिलाफ अकेले संघर्ष किया. शुरू में वो अपने पिता की तरह मुगल सेना में मनसबदार था, लेकिन जब औरंगजेब ने उनके कबीले के खिलाफ साजिश की, तो वे बगावत पर उतर आया. उसने पश्तून जनजातियों को एकजुट किया और मुगलों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया.

कई लड़ाइयों में उसने मुगलों को हराया, जिससे औरंगजेब को उसे गिरफ्तार कर ग्वालियर के किले में कैद करना पड़ा. हालांकि, वहां से लौटने के बाद उसने और भी जोरदार विद्रोह किया और पश्तूनों को मुगलों के खिलाफ खड़ा कर दिया.

आज भी कायम है वही जुझारू जज्बा

खुशल खान खट्टक के दौर से लेकर आज तक बलोच और पश्तून लड़ाके बाहरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करते आए हैं. आज बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तान सेना के लिए उसी तरह की चुनौती बनी हुई है, जैसी कभी खुशल खान खट्टक ने मुगलों के लिए पेश की थी. हाल ही में BLA ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई अभी भी जारी है और पाकिस्तानी सेना भारी नुकसान झेल रही है. उन्होंने कई पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है.

पाकिस्तान सेना के खिलाफ लगातार संघर्ष

BLA का दावा है कि पाकिस्तानी सेना अपनी हार छुपाने के लिए झूठा प्रचार कर रही है और बलूच नागरिकों को निशाना बना रही है. संगठन ने कहा कि पाकिस्तान को युद्धबंदियों की अदला-बदली का मौका दिया गया था, लेकिन सेना ने इसे ठुकरा दिया. BLA ने पाकिस्तानी सरकार को चुनौती दी है कि अगर वह जीत चुकी है, तो स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को इस इलाके में जाने दे, ताकि सच सामने आ सके. लेकिन पाकिस्तान इस पर चुप्पी साधे हुए है.

कबीलाई लड़ाकों के आगे झुकता रहा है इतिहास

इतिहास गवाह है कि इस इलाके के योद्धा कभी किसी के आगे नहीं झुके. चाहे मुगल रहे हों, ब्रिटिश हुकूमत या अब पाकिस्तान, हर दौर में इन कबीलाई लड़ाकों ने अपने संघर्ष से सत्ता को चुनौती दी है. खुशल खान खट्टक के पश्तून लड़ाके हों या आज के बलूच विद्रोही, इनकी स्वतंत्रता की लड़ाई जारी है. पाकिस्तान सेना के खिलाफ मौजूदा संघर्ष भी इसी परंपरा का हिस्सा है, जहां एक बार फिर कबीलाई योद्धाओं की ताकत के सामने एक बड़ी सेना कमजोर पड़ती नजर आ रही है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,