अमेरिकी महिला ने बताया भारत में बच्चों का पालन-पोषण अमेरिका से बेहतर क्यों, जानें क्या कहा

US Woman In India: भारत में रहने वाली एक अमेरिकी मां ने अमेरिका से तुलना करते हुए भारत में अपने बच्चों की परवरिश के बारे में बताया है। अमेरिकी महिला का मानना है कि भारत में बच्चों का पालन-पोषण अमेरिका से बेहतर हो सकेगा। महिला ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं के जरिए अपनी राय सोशल मीडिया पर रखी है।

Mar 30, 2025 - 20:46
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अमेरिकी महिला ने बताया भारत में बच्चों का पालन-पोषण अमेरिका से बेहतर क्यों, जानें क्या कहा
वॉशिंगटन: चार साल पहले भारत आकर बसने वाली एक अमेरिकी महिला ने कहा है कि उसके बच्चों को भारत में बड़े होने से बहुत फायदा होगा। तीन बच्चों की मां क्रिस्टन फिशर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उनका बच्चा एक गली में चलते हुए दिखाया गया है। क्रिस्टन फिशर ने कैप्शन में बिंदुवार तरीके से बच्चों की परवरिश के संबंध में अपने विचार साझा किए हैं। क्रिस्टन फिशर ने लिखा, ''यहां कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिनसे उनके (बच्चों) लिए अमेरिका के बजाय भारत में अपना बचपन बिताना ज्यादा बेहतर होगा।'' क्रिस्टन फिशर ने सांस्कृतिक जागरूकता और अनुकूलनशीलता, बहुभाषावाद, वैश्विक परिप्रेक्ष्य, लचीलापन और स्वतंत्रता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, मजबूत पारिवारिक बंधन, सादगी और कृतज्ञता की सराहना और वैश्विक नेटवर्क से कनेक्शन जैसे बिंदुओं में अपनी बात रखी। उन्होंने पोस्ट में क्या कुछ साझा किया, आइये जानते हैं-

अमेरिकी महिला का सांस्कृतिक जागरूकता और बहुभाषावाद पर जोर

क्रिस्टन फिशर ने लिखा, ''सांस्कृतिक जागरूकता और अनुकूलनशीलता: भारत में रहने से मेरे बच्चों को संस्कृतियों, भाषाओं और रीति-रिवाजों की समृद्ध विविधता से परिचित होने का अवसर मिलेगा।इससे उन्हें विभिन्न संस्कृतियों के प्रति गहरी समझ और सम्मान विकसित करने में मदद मिलेगी, साथ ही खुले विचारों और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा मिलेगा।''उन्होंने लिखा, ''बहुभाषावाद: भारत में कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। मेरे बच्चे हिंदी सीखेंगे और अंग्रेजी के साथ-साथ कई अन्य भाषाओं से भी परिचित होंगे। बहुभाषी होने से ज्ञान संबंधी विकास बढ़ता है, संचार कौशल में सुधार होता है और भविष्य में नौकरी की संभावनाएं बढ़ती हैं।''

'बच्चों को दुनिया को लेकर व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा'

क्रिस्टन फिशर ने लिखा, ''वैश्विक परिप्रेक्ष्य: भारत में पले-बढ़े मेरे बच्चों को दुनिया को लेकर व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा। वे वैश्विक मुद्दों, क्षेत्रीय चुनौतियों और अलग-अलग सामाजिक मानदंडों के बारे में सीखते हैं, जिससे उन्हें वैश्विक नागरिकता के बारे में ज्यादा सूक्ष्म दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलती है।''उन्होंने लिखा, ''लचीलापन और स्वतंत्रता: किसी दूसरे देश में रहने के लिए बच्चों को नई स्कूल प्रणाली में समायोजित होने से लेकर स्थानीय रीति-रिवाजों को समझने तक की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे लचीलापन, समस्या समाधान कौशल और स्वतंत्रता का निर्माण होता है।''

भावनात्मक बुद्धिमता और मजबूत पारिवारिक बंधन पर ये कहा

क्रिस्टन फिशर ने लिखा, ''भावनात्मक बुद्धिमत्ता: भारत में विविध सामाजिक मानदंडों और पारिवारिक संरचनाओं के संपर्क में आने से मेरे बच्चों को उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने में मदद मिलेगी। वे विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ बातचीत करना सीखते हैं और विभिन्न भावनात्मक संकेतों को समझते हैं, जिससे सहानुभूति और सामाजिक कौशल में सुधार होता है।''उन्होंने लिखा, ''मजबूत पारिवारिक बंधन: कई भारतीय परिवारों में घनिष्ठ संबंधों और विस्तारित पारिवारिक नेटवर्क पर जोर दिया जाता है। इससे मेरे बच्चों को अपनेपन की भावना, भावनात्मक समर्थन और गहरे पारिवारिक संबंध मिलते हैं जो ज्यादा व्यक्तिवादी अमेरिकी मॉडल से बहुत अलग है।''

और क्या लिखा अमेरिकी मां ने?

अमेरिकी मां ने लिखा, ''सादगी और कृतज्ञता की सराहना: ऐसे देश में रहना, जहां कुछ क्षेत्रों में धन और गरीबी के बीच तीव्र अंतर है, बच्चों को कृतज्ञता, सादगी का मूल्य और जो उनके पास है उसकी सराहना करने का महत्व सिखा सकता है।उन्होंने लिखा, ''वैश्विक नेटवर्क से कनेक्शन: मेरे बच्चे दुनिया भर के लोगों से दोस्ती करेंगे। ये संबंध आगे चलकर उनके करियर में लाभ के लिए एक वैश्विक नेटवर्क के रूप में काम कर सकते हैं।''

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