सेहत संबंधी सामान्य समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा ज्यादा - रिसर्च

मेनोपॉज के दौरान विभिन्न शारीरिक समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 80 फीसदी महिलाओं को रजोनिवृत्ति संबंधी दिक्कतें होती हैं और जितने ज्यादा लक्षण होते हैं.

Mar 17, 2025 - 08:42
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सेहत संबंधी सामान्य समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा ज्यादा - रिसर्च

मेनोपॉज के दौरान विभिन्न शारीरिक समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को डिमेंशिया का खतरा ज्यादा होता है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 80 फीसदी महिलाओं को रजोनिवृत्ति संबंधी दिक्कतें होती हैं और जितने ज्यादा लक्षण होते हैं, उतनी ही मनोभ्रंश की आशंका बढ़ जाती है. कनाडा के कैलगरी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई. शोधकर्ताओं ने 896 रजोनिवृत्त महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया. ये हेल्थ संबंधी दिक्कतों को लेकर ऑनलाइन शोध था.

महिलाओं ने शोधकर्ताओं को अपने पेरिमेनोपॉजल लक्षणों की जानकारी दी. उनके कॉग्नेटिव वर्क को एवरीडे कॉग्निशन स्केल (रोजमर्रा की कार्यक्षमताओं को मापने का पैमाना ) और माइल्ड बिहेवियरल इम्पेयरमेंट चेकलिस्ट का उपयोग करके मापा गया. जिसमें उच्च स्तर ने गंभीर लक्षणों का संकेत दिया. जिन महिलाओं में रजोनिवृत्ति के लक्षण अधिक थे, उनके संज्ञानात्मक परीक्षणों में अंक अधिक थे और ये सेहत के लिहाज से सही नहीं था.

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कैलगरी विश्वविद्यालय की ये रिपोर्ट पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस वन जर्नल में प्रकाशित हुई. निष्कर्षों में पाया गया कि रजोनिवृत्ति संबधी लक्षणों का व्यवहार में आए बदलाव (माइल्ड बिहेवियरल इम्पेयरमेंट यानी एमबीआई) के बीच संबंध था. एमबीआई एक सिंड्रोम है जिसे मनोभ्रंश के जोखिम के शुरुआती संकेतक के रूप में तेजी से पहचाना जाता है. जो न केवल संज्ञानात्मक परिवर्तनों पर विचार करने की आवश्यकता को उजागर करते हैं, बल्कि मूड, सामाजिक संपर्क और व्यक्तित्व परिवर्तनों पर भी विचार करते हैं जो रजोनिवृत्ति के बाद के जीवन में उभरते हैं और बने रहते हैं.

शोधकर्ताओं के अनुसार, हालांकि हार्मोन थेरेपी कॉग्नेटिव फंक्शन से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ी नहीं थी, लेकिन यह कम एमबीआई लक्षणों के लिए एक महत्वपूर्ण लिंक दिखाती है, जो लॉन्ग टर्म ब्रेन हेल्थ में हार्मोन थेरेपी की संभावित भूमिका को लेकर शोध की आवश्यकता पर जोर देती है. शोध की दिलचस्प बात यह है कि जिन प्रतिभागियों ने पेरिमेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन-आधारित हार्मोन थेरेपी का उपयोग करने के बारे में बताया, उनमें एमबीआई संबंधी लक्षण उतने गंभीर नहीं थे.

शोधकर्ताओं ने अध्ययन की कई सीमाओं को स्वीकार किया. बताया कि यह अध्ययन क्रॉस-सेक्शनल है, जिसका अर्थ है कि यह वर्षों में हुए परिवर्तनों को ट्रैक करने के बजाय समय में एक स्नैपशॉट कैप्चर करता है. इसका मतलब यह है कि यह केवल रजोनिवृत्ति के लक्षणों और संज्ञानात्मक और व्यवहारिक स्वास्थ्य के बीच संबंधों की पहचान कर सकता है, लेकिन यह निर्धारित नहीं कर सकता है कि लक्षण सीधे मस्तिष्क के स्वास्थ्य में परिवर्तन का कारण बनते हैं या नहीं.

हालांकि यह शोध इस बात को पुष्ट करता है कि रजोनिवृत्ति जितना एक हार्मोनल परिवर्तन है, उतना ही एक न्यूरोलॉजिकल परिवर्तन भी है.

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,