संभल में जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी पर वक्फ बोर्ड का दावा, जिला प्रशासन आया हरकत में

उत्तर प्रदेश के संभल स्थित कथित जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान कट्टरपंथियों की हिंसा के बाद मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन वहां एक पुलिस चौकी का निर्माण कर रहा है। लेकिन अब जिस स्थान पर पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है, उस पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंक दिया […]

Jan 6, 2025 - 06:38
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संभल में जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी पर वक्फ बोर्ड का दावा, जिला प्रशासन आया हरकत में

उत्तर प्रदेश के संभल स्थित कथित जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान कट्टरपंथियों की हिंसा के बाद मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन वहां एक पुलिस चौकी का निर्माण कर रहा है। लेकिन अब जिस स्थान पर पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है, उस पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंक दिया है। दावा किया गया है कि सत्यव्रत पुलिस चौकी का जहां पर निर्माण किया जा रहा है वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है।

वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने के दावे के बाद अब जिला प्रशासन एक बार फिर से हरकत में है। जिला प्रशासन ने जिले की तीनों तहसीलों संभल, चंदौसी और गुन्नौर में स्थित वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का ब्योरा इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। इसके तहत जिला प्रशासन उन सभी आंकड़ों को एकत्रित कर रहा है, जिस पर कब्रिस्तान, मस्जिद, मजार, दुकानें और खेती के साथ ही मदरसे तक चल रहे हैं। खुद जिलाधिकारी ने अधिकारियों को मामले पूरी सतर्कता के साथ सभी जानकारियों को इकट्ठा करने का आदेश दिया है।

पुलिस को जांच में कई जमीनों में खेला करके बेचने के भी तथ्य मिले हैं। इसके अलावा तथ्य सामने आया है कि जिले में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड की कुल 1331 संपत्तियां हैं। वक्फ बोर्ड की अधिकतर जमीनों पर मस्जिद, मजार और मदरसे चल रहे हैं। इसके अलावा कुछ पर मकान-दुकान के साथ ही कब्रिस्तान भी हैं। कुछ पर खेती हो रही है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, जिले की तीनों तहसीलों में से 268 संपत्तियों पर मस्जिदें है, जबकि 787 पर कब्रिस्तान बने हुए हैं।

इसके अलावा 25 संपत्तियों पर ईदगाह चल रहे हैं और 9 संपत्तियों पर मदरसे संचालित हो रहे हैं। ये तो रहे रिकॉर्ड पर आंकड़े। अब प्रशासन जमीनी स्तर पर भी यह पता करने की कोशिशें कर रहा है कि वाकई में जिन धर्मस्थलों की बात की जा रही है वो मौके पर हैं या किसी और का उस पर कब्जा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पुलिस की जांच में ये तथ्य भी सामने आए हैं कि इनमें से अधिकांश संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं।

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