संभल जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा थी साजिश का हिस्सा, पड़ोसी जिलों के मदरसों से बुलाए गए थे छात्र

सरकार और पुलिस लंबे वक्त से ये कह रही है कि संभल में 24 नवंबर को कट्टरपंथी मुस्लिमों के द्वारा की गई हिंसा एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। अब पुलिस ने खुलासा किया है कि जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा में बड़ी संख्या में पड़ोसी जिलों से मदरसा छात्रों को लाया […]

Dec 15, 2024 - 21:11
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संभल जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा थी साजिश का हिस्सा, पड़ोसी जिलों के मदरसों से बुलाए गए थे छात्र
Sambhal Violence Was a conspiracy

सरकार और पुलिस लंबे वक्त से ये कह रही है कि संभल में 24 नवंबर को कट्टरपंथी मुस्लिमों के द्वारा की गई हिंसा एक सोची समझी साजिश का हिस्सा थी। अब पुलिस ने खुलासा किया है कि जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा में बड़ी संख्या में पड़ोसी जिलों से मदरसा छात्रों को लाया गया था।

पुलिस को कुछ ऐसे पत्र मिले हैं, जिनसे ये खुलासा होता है कि रामपुर, हापुड़ और बुलंदशहर से पुलिस को पत्र मिले थे। इनसे इन सभी बातों का खुलासा होता है। हिंसा के बाद पुलिस इस मामले में पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। अब तक 400 कट्टरपंथियों के फोटो पुलिस जारी कर चुकी है। वहीं बवाल के 93 आरोपियों पर ईनाम घोषित किया जाएगा। जबकि, इस केस में 12 केस दर्ज किए जा चुके हैं।

इसमें से 7 एफआईआर पुलिस ने दर्ज किए हैं। जबकि, चार एफआईआर मारे गए उपद्रवियों के परिवार के लोगों ने दर्ज कराई थी। जिले के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई का कहना है कि इस जल्द ही हिंसा के फरार आरोपियों के खिलाफ ईनाम भी घोषित किया जाता है।

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24 नवंबर को हुई थी हिंसा

19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल स्थित चंदौसी की अदालत में संभल की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने को लेकर कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि, हरिशंकर जैन समेत आठ वादकारियों ने छह लोगों के विरुद्ध दावा दायर किया था।

इसके बाद कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को नियुक्त करके सर्वे (कमीशन) किए जाने के आदेश दिया था। बाद में 24 अगस्त को सर्वे के दौरान मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जमकर उत्पात मचाया था। 4 लोगों की मौत भी हो गई थी। हालांकि, पुलिस प्रशासन की सख्ती के आगे प्रदर्शनकारियों की एक नहीं चली। सर्वे पूरा कर लिया गया था। विष्णु शंकर जैन ने संभल की कथित मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए कहा कि 1526 में मुगल आक्रान्ता बाबर ने मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद को बनाने की कोशिश की थी। ये भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है, जिस पर किसी का कोई अतिक्रमण नहीं हो सकता है।

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