‘शार्क टैंक इंडिया’ में जज बने श्रीकांत बोला:MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट, 100 करोड़ की कंपनी के को-फाउंडर हैं; जानें कंप्लीट प्रोफाइल

बिजनेस रियलिटी शो 'शार्क टैंक इंडिया' के चौथे सीजन में एक नए शार्क के रूप में श्रीकांत बोला शामिल हुए हैं। श्रीकांत बड़े आंत्रप्रेन्योर हैं। वे बोलांट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के CEO, को-फाउंडर और चेयरमैन हैं। श्रीकांत बोला ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इसकी जानकारी दी कि वे 'शार्क टैंक इंडिया' के नए सीजन में शार्क के रूप में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘शार्क के समूह में जीवित रहने के लिए, आपको खुद एक शार्क बनना होगा। तो हां, मुझे शार्क टैंक इंडिया में शार्क बनने का अवसर मिला।’ 11वीं में साइंस स्ट्रीम के लिए आंध्र बोर्ड के खिलाफ केस किया श्रीकांत का सपना था कि वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी IIT से पढ़ाई करें। इसलिए उन्होंने 11वीं में साइंस लेने का फैसला किया। मगर श्रीकांत को नेत्रहीन होने की वजह से स्कूल ने एडमिशन लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और आंध्र प्रदेश स्टेट बोर्ड के खिलाफ हाईकोर्ट में केस कर दिया। ये केस 6 महीने चला और फिर आंध्र बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने श्रीकांत को अपने रिस्क पर 11वीं में साइंस लेने की अनुमति दे दी। 98% मार्क्स के साथ 12वीं टॉपर रहे श्रीकांत को आखिरकार साइंस से 11वीं क्लास में एडमिशन मिल गया। पर बोर्ड को लगा कि ब्लाइंड्स के लिए बुक्स और स्टडी मैटेरियल नहीं है तो ऐसे में वे 12वीं में फेल हो जाएंगे। लेकिन श्रीकांत ने 12वीं क्लास में 98 प्रतिशत मार्क्स के साथ टॉप किया था। श्रीकांत IIT का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के लिए कोचिंग की मदद लेना चाहते थें। लेकिन उन्हें बार-बार IIT कोचिंग सेंटर से रिजेक्ट कर दिया गया। IIT, NIT और BITS पिलानी के एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई किया। लेकिन कहीं से भी हॉल टिकट नहीं मिला। फिर एक दिन एक लेटर आता है कि आप ब्लाइंड हैं और किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में शामिल नहीं हो सकते हैं। MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट बने IIT के रिजेक्शन के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अमेरिका के टॉप इन्स्टीट्यूशन्स के लिए अप्लाई किया। फिर उन्हें US के 4 इंस्टीट्यूशन से ऑफर मिला- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT, स्टैनफोर्ड, बर्किली और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी। श्रीकांत ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT में एडमिशन लिया। वे MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट थे। पढ़ाई के बाद उन्हें वहां कई जॉब के ऑफर मिले लेकिन उन्होंने भारत आकर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। 'लीड इंडिया प्रोग्राम' के यूथ लीडर बने श्रीकांत MIT से पढ़ाई के बाद साल 2005 में भारत लौटे। यहां आने के बाद वे 'लीड इंडिया प्रोग्राम' के तहत एक यूथ लीडर बने। इसका उद्देश्य गरीबी और बेरोजगारी को कम करना था। उन्होंने अपने सामाजिक सेवा सफर की शुरुआत यूथ ट्रेनर के रूप में की। श्रीकांत ने 8 लाख से ज्यादा यूथ को लीडरशिप, ह्यूमन वैल्यू और एम्पलॉयबिलिटी स्किल्स में ट्रेनिंग दी है। ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की 2011 में श्रीकांत बोला ने हैदराबाद में 'समन्वय सेंटर फॉर चिल्ड्रेन विद मल्टीपल डिसएबिलिटीज' की सह-स्थापना की। ये सेंटर दृष्टिहीन और विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और करियर गाइडेंस प्रोवाइड करता है। इससे दिव्यांग छात्रों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद मिलती है। इसके साथ ही उन्होंने इसी साल एक ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की। इस प्रिंटिंग प्रेस में ब्रेल लिपि में किताबें और स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जाता है। मेंटर स्वर्णलता के साथ मिलकर ‘बोलांट इंडस्ट्रीज’ शुरू की 2012 में श्रीकांत बोला ने 'बोलांट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड' की स्थापना की। यह कंपनी इको-फ्रेंडली पैकेजिंग और बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स बनाती है। साथ ही खासतौर पर विकलांग लोगों को रोजगार देने पर ध्यान केंद्रित करती है। उनके सह-संस्थापकों में स्वर्णलता तक्किलापति (जो उनकी आजीवन मेंटर रही हैं) और एंजल इन्वेस्टर रवि मंथा शामिल थे। बोलांट इंडस्ट्रीज का सलाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए आज बोलांट इंडस्ट्रीज का वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें 500 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से 70% से अधिक विकलांग हैं। मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा ने भी श्रीकांत के बिजनेस में निवेश किया है। शुरुआत में इस बिजनेस को लगभग 19,000 अमेरिकी डॉलर की छोटी पूंजी के साथ शुरू किया गया था। लेकिन आज श्रीकांत की कुशल नेतृत्व क्षमता और उनकी टीम के समर्थन से यह कंपनी 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक वेल्युएशन की हो चुकी है और इसका वार्षिक टर्नओवर 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। श्रीकांत की लाइफ से इंस्पायर होकर 2024 में एक फिल्म भी बनी है, जिसका टाइटल 'श्रीकांत' ही रखा गया। इसमें राजकुमार राव ने उनका रोल प्ले किया था। तुषार हीरानंदानी ने 'श्रीकांत' फिल्म को डायरेक्ट किया था। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 2021 में यंग ग्लोबल लीडर चुना साल 2021 में JCI USA ने उन्हें दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रेरणादायक युवाओं में शामिल किया। नवंबर 2021 में, श्रीकांत को लीड इंडिया फाउंडेशन का उपाध्यक्ष और ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य बनाया गया। उन्होंने इस मंच को फिर से संगठित करने और 2030 तक लाखों युवाओं को ट्रेनिंग देने का बड़ा लक्ष्य उठाया है। इसके अलावा श्रीकांत को पर्यावरण हितैषी बिजनेस मॉडल के लिए सत्यमेव जयते वाटर कप अवार्ड,आत्मनिर्भरता और दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए एशिया गेम चेंजर अवार्ड और समाज में योगदान के लिए CNN-News18 सुपर हीरो अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। ये खबर भी पढ़ें... सीएम रेवंत रेड्डी OBC रिजर्वेशन बढ़ाकर 42% करेंगे:ABVP से राजनीति की शुरुआत की, कांग्रेस से तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री बने, जानें कंप्लीट प्रोफाइल तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोमवार, 17 मार्च को विधानसभा में ऐलान किया कि उन

Mar 20, 2025 - 19:07
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‘शार्क टैंक इंडिया’ में जज बने श्रीकांत बोला:MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट, 100 करोड़ की कंपनी के को-फाउंडर हैं; जानें कंप्लीट प्रोफाइल
बिजनेस रियलिटी शो 'शार्क टैंक इंडिया' के चौथे सीजन में एक नए शार्क के रूप में श्रीकांत बोला शामिल हुए हैं। श्रीकांत बड़े आंत्रप्रेन्योर हैं। वे बोलांट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के CEO, को-फाउंडर और चेयरमैन हैं। श्रीकांत बोला ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इसकी जानकारी दी कि वे 'शार्क टैंक इंडिया' के नए सीजन में शार्क के रूप में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘शार्क के समूह में जीवित रहने के लिए, आपको खुद एक शार्क बनना होगा। तो हां, मुझे शार्क टैंक इंडिया में शार्क बनने का अवसर मिला।’ 11वीं में साइंस स्ट्रीम के लिए आंध्र बोर्ड के खिलाफ केस किया श्रीकांत का सपना था कि वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी IIT से पढ़ाई करें। इसलिए उन्होंने 11वीं में साइंस लेने का फैसला किया। मगर श्रीकांत को नेत्रहीन होने की वजह से स्कूल ने एडमिशन लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और आंध्र प्रदेश स्टेट बोर्ड के खिलाफ हाईकोर्ट में केस कर दिया। ये केस 6 महीने चला और फिर आंध्र बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने श्रीकांत को अपने रिस्क पर 11वीं में साइंस लेने की अनुमति दे दी। 98% मार्क्स के साथ 12वीं टॉपर रहे श्रीकांत को आखिरकार साइंस से 11वीं क्लास में एडमिशन मिल गया। पर बोर्ड को लगा कि ब्लाइंड्स के लिए बुक्स और स्टडी मैटेरियल नहीं है तो ऐसे में वे 12वीं में फेल हो जाएंगे। लेकिन श्रीकांत ने 12वीं क्लास में 98 प्रतिशत मार्क्स के साथ टॉप किया था। श्रीकांत IIT का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के लिए कोचिंग की मदद लेना चाहते थें। लेकिन उन्हें बार-बार IIT कोचिंग सेंटर से रिजेक्ट कर दिया गया। IIT, NIT और BITS पिलानी के एंट्रेंस एग्जाम के लिए अप्लाई किया। लेकिन कहीं से भी हॉल टिकट नहीं मिला। फिर एक दिन एक लेटर आता है कि आप ब्लाइंड हैं और किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में शामिल नहीं हो सकते हैं। MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट बने IIT के रिजेक्शन के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अमेरिका के टॉप इन्स्टीट्यूशन्स के लिए अप्लाई किया। फिर उन्हें US के 4 इंस्टीट्यूशन से ऑफर मिला- मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT, स्टैनफोर्ड, बर्किली और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी। श्रीकांत ने कड़ी मेहनत और लगन के दम पर अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी MIT में एडमिशन लिया। वे MIT के पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट थे। पढ़ाई के बाद उन्हें वहां कई जॉब के ऑफर मिले लेकिन उन्होंने भारत आकर अपना स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। 'लीड इंडिया प्रोग्राम' के यूथ लीडर बने श्रीकांत MIT से पढ़ाई के बाद साल 2005 में भारत लौटे। यहां आने के बाद वे 'लीड इंडिया प्रोग्राम' के तहत एक यूथ लीडर बने। इसका उद्देश्य गरीबी और बेरोजगारी को कम करना था। उन्होंने अपने सामाजिक सेवा सफर की शुरुआत यूथ ट्रेनर के रूप में की। श्रीकांत ने 8 लाख से ज्यादा यूथ को लीडरशिप, ह्यूमन वैल्यू और एम्पलॉयबिलिटी स्किल्स में ट्रेनिंग दी है। ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की 2011 में श्रीकांत बोला ने हैदराबाद में 'समन्वय सेंटर फॉर चिल्ड्रेन विद मल्टीपल डिसएबिलिटीज' की सह-स्थापना की। ये सेंटर दृष्टिहीन और विकलांग बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और करियर गाइडेंस प्रोवाइड करता है। इससे दिव्यांग छात्रों को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद मिलती है। इसके साथ ही उन्होंने इसी साल एक ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की। इस प्रिंटिंग प्रेस में ब्रेल लिपि में किताबें और स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जाता है। मेंटर स्वर्णलता के साथ मिलकर ‘बोलांट इंडस्ट्रीज’ शुरू की 2012 में श्रीकांत बोला ने 'बोलांट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड' की स्थापना की। यह कंपनी इको-फ्रेंडली पैकेजिंग और बायोडिग्रेडेबल प्रोडक्ट्स बनाती है। साथ ही खासतौर पर विकलांग लोगों को रोजगार देने पर ध्यान केंद्रित करती है। उनके सह-संस्थापकों में स्वर्णलता तक्किलापति (जो उनकी आजीवन मेंटर रही हैं) और एंजल इन्वेस्टर रवि मंथा शामिल थे। बोलांट इंडस्ट्रीज का सलाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए आज बोलांट इंडस्ट्रीज का वार्षिक टर्नओवर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें 500 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से 70% से अधिक विकलांग हैं। मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा ने भी श्रीकांत के बिजनेस में निवेश किया है। शुरुआत में इस बिजनेस को लगभग 19,000 अमेरिकी डॉलर की छोटी पूंजी के साथ शुरू किया गया था। लेकिन आज श्रीकांत की कुशल नेतृत्व क्षमता और उनकी टीम के समर्थन से यह कंपनी 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक वेल्युएशन की हो चुकी है और इसका वार्षिक टर्नओवर 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। श्रीकांत की लाइफ से इंस्पायर होकर 2024 में एक फिल्म भी बनी है, जिसका टाइटल 'श्रीकांत' ही रखा गया। इसमें राजकुमार राव ने उनका रोल प्ले किया था। तुषार हीरानंदानी ने 'श्रीकांत' फिल्म को डायरेक्ट किया था। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 2021 में यंग ग्लोबल लीडर चुना साल 2021 में JCI USA ने उन्हें दुनिया के टॉप 10 सबसे प्रेरणादायक युवाओं में शामिल किया। नवंबर 2021 में, श्रीकांत को लीड इंडिया फाउंडेशन का उपाध्यक्ष और ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य बनाया गया। उन्होंने इस मंच को फिर से संगठित करने और 2030 तक लाखों युवाओं को ट्रेनिंग देने का बड़ा लक्ष्य उठाया है। इसके अलावा श्रीकांत को पर्यावरण हितैषी बिजनेस मॉडल के लिए सत्यमेव जयते वाटर कप अवार्ड,आत्मनिर्भरता और दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए एशिया गेम चेंजर अवार्ड और समाज में योगदान के लिए CNN-News18 सुपर हीरो अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। ये खबर भी पढ़ें... सीएम रेवंत रेड्डी OBC रिजर्वेशन बढ़ाकर 42% करेंगे:ABVP से राजनीति की शुरुआत की, कांग्रेस से तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री बने, जानें कंप्लीट प्रोफाइल तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोमवार, 17 मार्च को विधानसभा में ऐलान किया कि उनकी सरकार राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC आरक्षण सीमा 23% से बढ़ाकर 42% करने जा रही है। अगर ये लागू होता है तो तेलंगाना में आरक्षण की सीमा बढ़कर 62% हो जाएगी। पढ़ें पूरी खबर...

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