बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से अब NDA के दलों की बढ़ी चिंता, जानें क्यों सता रहा है डर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर इंंडिया गठबंधन की पार्टियों की चिंता के बाद अब NDA में असंतोष उभरने लगा है. BJP सहित NDA नेताओं को प्रवासी बिहारी मतदाताओं के नाम कटने का डर है. उपेंद्र कुशवाहा ने समय सीमा कम होने पर आपत्ति जताई है.

Jul 5, 2025 - 17:17
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से अब NDA के दलों की बढ़ी चिंता, जानें क्यों सता रहा है डर
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से अब NDA के दलों की बढ़ी चिंता, जानें क्यों सता रहा है डर

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के मतदाता सूची को लेकर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान पर इंडिया गठबंधन के घटक दल कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों ने आपत्ति जताई है और चुनाव आयोग पर जमकर हमला बोला है, लेकिन अब विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर एनडीए के सहयोगी दलों में भी असंतोष के स्वर उठने लगे हैं. बीजेपी समेत एनडीए नेताओं को प्रवासी बिहारी मतदाताओं के नाम सूची से कटने का डर भी सता रहा है.

एनडीए नेता उपेंद्र कुशवाहा ने सार्वजनिक तौर पर असंतोष जाहिर करते हुए चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए दिए गए समय को कम बताया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टी के लोगों के मन में बहुत सारी आशंकाएं हैं. चुनाव आयोग को उन सभी आशंकाओं को दूर करना चाहिए.

इससे पहले भी कुशवाहा ने ये मांग की थी कि चुनाव आयोग को बिहार के प्रवासी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में बनाए रखने का ख्याल रखना चाहिए. दरअसल बीजेपी और एनडीए के नेताओं को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रदेश से बाहर रह रहे प्रवासी वोटरों के नाम सूची से गायब ना हो इसकी चिंता सता रही है.

प्रवासी मतदाताओं को लेकर बढ़ी चिंता

प्रवासी बिहारी मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी भी लगातार काम कर रही है. इस क्रम में “एक भारत श्रेष्ठ भारत” स्नेह मिलन कार्यक्रम चलाकर बीजेपी पिछले 4 महीने से देश भर में बिहार के प्रवासी मतदाताओं के बीच आगामी विधानसभा चुनाव में वोट डालने के लिए प्रोत्साहित और सम्मानित करने का काम कर रही है.

आंकड़ों के अनुसार करीब 3 करोड़ बिहारी वोटर सूबे से बाहर रहते हैं. इनमें से अधिकतर प्रवासी बिहारी दिल्ली, मुंबई, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता में रहते हैं. बिहार के करीब 80 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में इन प्रवासी बिहारी मतदाताओं का निर्णायक असर रहता है.

नाम कटने से बिगड़ेगा सियासी गणित

वोटर वेरिफिकेशन अभियान से लाखों नाम कटने और कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी गणित बिखरने की आशंका बीजेपी और जेडीयू के नेताओं को भी है. कई नेता अंदरूनी तौर पर जताते नजर आ रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर वो अपने बीएलए पर भरोसा जताते हुए कहते हैं कि एनडीए में कोई फूट नहीं होगी और सब कुछ ठीक कर लिया जाएगा.

चुनाव आयोग के राज्यव्यापी वोटर्स वेरिफिकेशन अभियान को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि इस प्रक्रिया से राज्य से बाहर रहने वाले लगभग 3 करोड़ प्रवासी बिहारी मतदाता में से अधिकतर मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, जबकि बीजेपी पिछले कुछ महीनों से इस वर्ग को लेकर राष्ट्रवाद और विकास आधारित प्रचार अभियान चलाती रही है.

यदि वोटर वेरिफिकेशन अभियान में इनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाई तो यह न सिर्फ मतदाता सूची से नाम कटने का कारण बनेगा, बल्कि राजनीतिक असंतोष को बढ़ा सकता है. इसका सीधा नुकसान बीजेपी और एनडीए को हो सकता है. साथ ही इस अभियान से भाजपा की चुनावी रणनीति को भी धक्का लग सकता है, क्योंकि एनडीए की योजना इनको चुनाव के समय बिहार ले जाकर वोट डलवाने और अपने पक्ष में माहौल बनवाने की रही है.

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