नेहरू की मंशा पाकिस्तान से सख्ती से निपटने की थी... अंग्रेज अफसर के चक्कर में हाथ से गया पीओके

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने PoK पर बयान दिया। आजादी के बाद इंडियन आर्मी के तत्कालीन ब्रिटिश प्रमुख जनरल फ्रांसिस बुचर ने भारतीय सेना की क्षमता को कमतर आंकते हुए नेहरू को गुमराह किया। उन्होंने कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का सुझाव दिया, जिससे भारत को नुकसान हुआ। नेहरू की मंशा सैन्य कार्रवाई की थी।

Mar 13, 2025 - 09:03
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नेहरू की मंशा पाकिस्तान से सख्ती से निपटने की थी... अंग्रेज अफसर के चक्कर में हाथ से गया पीओके
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर के PoK पर दिए हालिया बयान की काफी चर्चा है। भारत का शुरू से यह रुख रहा है कि पाकिस्तान ने कश्मीर के एक हिस्से पर जबरन कब्जा कर रखा है और यही दोनों देशों के बीच विवाद की वजह है। लेकिन, अगर आजादी के तुरंत बाद हमारे पास भारतीय थल सेना प्रमुख होता, तो शायद PoK की समस्या खड़ी ही नहीं होती।गलत चयन: शुरुआत में आजाद हिंदुस्तान की सेना की कमान एक ब्रिटिश अफसर के हाथ में थी, जनरल सर फ्रांसिस रॉबर्ट रॉय बुचर। एक अंग्रेज को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने के पीछे वजह थी कि वह भारतीय सैन्य अभियानों से वाकिफ थे। वह ब्रिटिश और भारतीय सैन्य कर्मियों के बीच की खाई को पाट सकते थे। सबसे बड़ी बात, उस वक्त सरकार को लगता था कि कोई भारतीय इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं निभा पाएगा, क्योंकि अंग्रेजों ने कभी किसी भारतीय को इतने बड़े ओहदे पर नियुक्त ही नहीं किया। हालांकि बुचर को चुनना गलती रही। उनकी वजह से भारत को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। वह एक साल से थोड़ा ज्यादा कमांडर-इन-चीफ रहे।गुमराह किया: 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबायली लड़ाकों ने कश्मीर में घुसपैठ की। भारतीय फौज ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन बुचर ने नेहरू को इसके ठीक उलट रिपोर्ट बताई। उन्होंने बताया कि कश्मीर में भारतीय सैनिक बुरी तरह थके हुए हैं। इस सूरत में पाकिस्तान के खिलाफ कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई मुमकिन नहीं। उन्होंने कहा, 'जूनियर अफसरों में बुनियादी ट्रेनिंग की कमी है। उन्हें इस तरह के हालत से जूझने का तजुर्बा नहीं। साथ ही, अन्य रैंक के सैनिक काफी थके हुए हैं और उनमें उत्साह की भारी कमी है। सैनिकों को इस समय ट्रेनिंग और छुट्टी की सख्त जरूरत है, ताकि उनकी स्किल बढ़े और वे तारो ताजा हो सकें।'नेहरू की चिंता: उस वक्त नेहरू की मंशा पाकिस्तान से सख्ती से निपटने की थी। उन्होंने जवाबी पत्र में उन रिपोर्टों पर चिंता जताई, जिनमें कहा गया था कि पाकिस्तान कुछ हफ्तों के भीतर हवाई हमले की योजना बना रहा है। अपनी स्थिति को मजबूत रखने के लिए वह प्रभावित क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण भी कर रहा था। नेहरू ने कहा कि हम पाकिस्तान के खिलाफ रक्षात्मक रुख नहीं अपना सकते। अगर पाकिस्तान लगातार आक्रामक अभियान चलाता है, तो उसके साथ युद्ध होने की पूरी आशंका है।संयुक्त राष्ट्र का दखल: लेकिन, बुचर ने उल्टी राह पकड़ी। उन्होंने नेहरू को लिखा, 'हम पाकिस्तान के हर सड़क निर्माण को रोकने के लिए सैन्य अभियान नहीं चला सकते, लेकिन मैं इस मसले को हल करने के लिए एक सियासी उपाय सुझा सकता हूं।' बुचर ने जो उपाय सुझाया, वह था कश्मीर समस्या को अंतरराष्ट्रीय मंच यानी संयुक्त राष्ट्र में ले जाना। संयुक्त राष्ट्र के दखल के बाद भारत के हिस्से वाले जम्मू-कश्मीर में एक जनवरी 1949 को युद्ध विराम हुआ। उसी साल नेहरू सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा भी प्रदान किया।हैदराबाद पर हारे: बुचर ने इससे पहले भी भारत को आघात पहुंचाने की कोशिश की थी, हैदराबाद रियासत के विलय मामले में। जब यह तय हो गया कि हैदराबाद के निजाम भारत में विलय के इच्छुक नहीं और पाकिस्तान के साथ जाना चाहते हैं, तो 12 सितंबर 1948 को एक कैबिनेट मीटिंग हुई। इसमें तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई का प्रस्ताव रखा। मीटिंग में मौजूद बुचर ने फौरन आपत्ति जताई। उन्होंने भारत की सैन्य क्षमता पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी कि अगर भारत ने हैदराबाद में कोई ऑपरेशन शुरू किया, तो पाकिस्तान बदले में मुंबई और अहमदाबाद पर हवाई हमले कर सकता है। लेकिन, सरदार पटेल ने बुचर की सभी चिंताओं को हवा में उड़ा दिया।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,