नदी पर बने पुल की उम्र कितनी होती है, इसकी आयु पूरी हो गई कैसे पता चलता है? गुजरात के गंभीरा पुल गिरने से उठा सवाल

Gujarat Bridge Collapse: गुजरात में गंभीरा पुल गिरने से 15 लोगों की जान जा चुकी है. बताया गया है कि 1985 में इसे 100 सालों के लिए बनाया गया था, महज 40 सालों में पुल गिरने से सवाल उठा है कि आखिर एक ब्रिज की उम्र कितनी होती है. ब्रिज की आयु पूरी हो चुकी है इसका पता कैसे चलता है? देश में सबसे पुराने ब्रिज कौन से हैं जो अभी चल रहे हैं?

Jul 10, 2025 - 18:51
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नदी पर बने पुल की उम्र कितनी होती है, इसकी आयु पूरी हो गई कैसे पता चलता है? गुजरात के गंभीरा पुल गिरने से उठा सवाल
नदी पर बने पुल की उम्र कितनी होती है, इसकी आयु पूरी हो गई कैसे पता चलता है? गुजरात के गंभीरा पुल गिरने से उठा सवाल

गुजरात के वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर बना गंभीरा पुल गिरने से 15 लोगों की जान जा चुकी है. कई लोग घायल हुए हैं. बताया जाता है कि गंभीरा पुल साल 1985 में सौ साल तक चलने के लिए बनाया गया था. इसके बावजूद 40 साल में ही यह ढह गया. इस पर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं.

आइए जान लेते हैं कि नदी पर बने एक ब्रिज की आयु कितनी होती है? ब्रिज की आयु पूरी हो चुकी है इसका पता कैसे चलता है, इसके कौन से पैरामीटर्स हैं? देश में सबसे पुराने ब्रिज कौन से हैं जो अभी चल रहे हैं? कैसे होती है एक ब्रिज को तैयार करने की प्लानिंग?

नदी पर 100 साल के लिए बनाए जाते हैं रेल पुल

किसी भी नदी पर बना पुल हो, फ्लाईओवर, रेल ओवरब्रिज या फिर किसी अन्य तरह का पुल, इनकी प्लानिंग के समय ही लगभग तय हो जाता है कि इनकी उम्र कितनी होगी. किसी नदी पर पुल आमतौर पर 100 साल तक की उम्र के लिए बनाए जाते हैं. इसके लिए कई तरह के कारक जिम्मेदार होते हैं. पहला कारक होता है सामग्री. पुल की उम्र इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस चीज से बनाया गया. पुल निर्माण में कंक्रीट, स्टील और लकड़ी आदि का इस्तेमाल किया जाता रहा है. वैसे लकड़ी के पुल अब गुजरे जमाने की बात हो गए हैं और इनकी उम्र भी सबसे कम होती है.

कंक्रीट और स्टील के पुल की उम्र अधिक होती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि इन सामानों की गुणवत्ता कैसी है. पुल अधिक समय तक चलें, इसके लिए डिजाइन का सही होना भी बेहद जरूरी होता है. भले ही निर्माण के वक्त पुल की उम्र तय हो जाती है पर इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि उसका नियमित रखरखाव और मरम्मत होती रहे. इससे पुल की उम्र बढ़ाई भी जा सकती है. पुल किस प्रकार का है, इससे भी उसकी उम्र तय होती है. जैसे कि आर्च ब्रिज की संरचना ऐसी होती है कि यह अधिक समय तक चलते हैं. वहीं, बीम ब्रिज की उम्र इसकी अपेक्षा कम होती है.

What Is The Age Of A Bridge

प्रोटेकान बीटीजी प्राइवेट लिमिटेड के एमडी, आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग करने के बाद बीते 30 साल से दुनिया के अनेक देशों में काम करने वाले मनीष खिलौरिया कहते हैं कि इसका सीधा सिद्धांत है. अगर पुल रेलवे का है तो कम से कम सौ साल के लिए प्लान किया जाता है और हाइवे के पुल 50 साल तक के लिए प्लान करने के सामान्य नियम हैं। प्लान करते समय हम मौसम, बाढ़ आदि का भी आंकलन करते हैं। मसलन, जिस नदी पर पुल बनाने का प्रस्ताव है, उस पर बीते सालों में मौसम ने किस तरह असर दिखाया। डीपीआर बनाने में यह मददगार होता है।

कैसे पता चलता है पुल की उम्र पूरी हो चुकी या नहीं?

कोई पुल अपनी उम्र पूरी कर चुका है या नहीं? इसका पता लगाने के कई तरीके हैं. सबसे पहले तो पुलों की उम्र पता करने के लिए नियमित निरीक्षण और परीक्षण होते रहते हैं. इनमें निकले निष्कर्षों के आधार पर आगे पुलों को उम्र तय होती है. इनके जरिए ही पुलों की मरम्मत आदि की योजना भी बनाई जाती है. इसके अलावा संरचनात्मक रूप से अगर पुल को नुकसान हो, जैसे कि पुल में दरारें पड़ना, पुल का झुकना या धंसना, खंभों, डेक, रेलिंग, जोड़ और आधारों को नुकसान पहुंचने की स्थिति में भी किसी पुल की उम्र पूरी घोषित की जाती है. या फिर मरम्मत की सलाह दी जाती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि नुकसान कितना हुआ है.

ऐसे ही अगर पुल की कंक्रीट का क्षरण होने लगे, स्टील में जंग से क्षरण हो, लकड़ी लगी हो और सड़ने लगे, पुल के भार सहने की क्षमता कम होने लगे तो भी इसको आगे इस्तेमाल न करने या फिर मरम्मत का फैसला लिया जाता है. प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी पुल को होने वाले नुकसान का आकलन किया जाता है. अगर मरम्मत के बावजूद पुल की मजबूती पर संदेह होता है तो मान लिया जाता है कि पुल अपनी उम्र पूरी कर चुका है.

How Bridge Is Decided

कैसे होती है एक ब्रिज को तैयार करने की प्लानिंग?

किसी भी पुल को तैयार करने की प्लानिंग में कई बातों का ध्यान रखा जाता है. प्लानिंग का अहम हिस्सा यह होता है कि पता लगाया जाए कि इसे किसलिए बनाया जा रहा है. वर्तमान में इसकी क्षमता कितनी होगी और कालांतर में अपनी उम्र पूरी करने तक इसकी क्षमता कितनी रह जाएगी. कितने वहां रोज या साल भर में इस पुल से निकलेंगे? स्थानीय भौगिलक परिस्थितियों को भी पुल की प्लानिंग में शामिल किया जाता है. किसी इलाके में भूकंप आदि की चेतावनी किस स्तर की है, इसका खास ख्याल रखा जाता है.

स्थानीय जलवायु, पर्यावरण की स्थिति, तापमान, नमी और प्रदूषण को भी प्लानिंग का हिस्सा बनाया जाता है, क्योंकि ये सब पुल की उम्र प्रभावित कर सकते हैं. भार वहन करने की क्षमता भी प्लानिंग का हिस्सा होती है. इसके बाद पुल की डिजाइन, सामग्री और रखरखाव की प्लानिंग बनाई जाती है. इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाती है. इस पर आने वाले खर्च का आकलन किया जाता है.

ये हैं देश के कुछ सबसे पुराने पुल

  • उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुना नदी पर बना नैनी रेल ब्रिज देश के सबसे पुराने पुलों में से एक है. 1006 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण साल 1865 ईस्वी में अंग्रेजों ने कराया था. इस ब्रिज के ऊपर से ट्रेन गुजरती है तो नीचे छोटे वाहन चलते हैं. 14 खंभों पर बने इस ब्रिज के निर्माण में छह साल लगे थे. ब्रिटिश इंजीनियर शिवले की देखरेख में बने इस ब्रिज का हर खंभा 67 फीट लंबा व 17 फीट चौड़ा है. इसकी नींव 42 फीट गहरी है. इसके 13 खंभे जूते के आकार के हैं.
  • पश्चिम बंगाल में हुगली नदी पर बना कलकत्ता (अब कोलकाता) और हावड़ा को जोड़ने वाला पुराना हावड़ा ब्रिज (रवींद्र सेतु) भी देश के सबसे पुराने पुलों में से एक है. यह पुल साल 1874 में लोगों के आवागमन के लिए खोला गया था, जो दुनिया के सबसे लंबे कैंटीलिवर पुलों में से एक है.
  • उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा नदी पर उन्नाव के शुक्लागंज छोर पर बना गंगा रेल ब्रिज या कानपुर गंगा पुल कानपुर-लखनऊ के बीच ट्रेनों के आवागमन का एकमात्र साधन है. इस पुल को साल 1875 में अंग्रेजों ने बनवाया था. नैनी ब्रिज की तरह इस पुल पर भी ऊपर ट्रेनें और नीचे सड़क मार्ग पर वाहन चलते थे. हालांकि, अब सड़क मार्ग को लगभग बंद कर दिया गया है.
  • दिल्ली में तो मुगलों के जमाने का एक पुल अब तक चल रहा है. निजामुद्दीन इलाके में बने इस पुल को बारापुला पुल के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह 12 खंभों पर टिका है. मुगल काल में साल 1628 में इसका निर्माण मीनार बानू आगा ने कराया था, तब दिल्ली में जहांगीर का शासन था.
  • लोहे का पुल ब्रिज नंबर 249: दिल्ली में साल 1866 में यमुना नदी पर बना यह पुल आज भी संचालित है. इसे भारत का पहला बड़ा लोहे का रेलवे पुल माना जाता है.
  • गोल्डन ब्रिज: गुजरात के जिले भरूच जिले में साल 1881 में नर्मदा नदी पर बना पुल आज भी सड़क यातायात के लिए उपयोग में है.
  • कालका-शिमला रेल मार्ग: हिमाचल प्रदेश में साल 1898-1903 के बीच बने इस रेलवे रूट के कई पुल आज भी ट्रेन यातायात के लिए उपयोग में हैं.
  • शाही पुल: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में साल1564 में बना यह पुल आज भी हल्के वाहनों के लिए उपयोग में है.
  • नामदांग ब्रिज: असम में साल 1703 में बना यह पुल एक ही पत्थर से बना है और आज भी हल्के वाहनों के लिए उपयोग में है.
  • अकेले भारतीय रेलवे के पास 38 हजार से ज्यादा ऐसे पुल हैं, जिनकी उम्र सौ साल से ज्यादा है. समय-समय पर इनका निरीक्षण और मरम्मत होती रहती है. ये अभी भी उपयोग में हैं.

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