डोनाल्ड ट्रंप का तुर्की को F-35 फाइटर जेट का ऑफर, साथ में रखी मुश्किल शर्त, क्या मानेंगे एर्दोगन?

डोनाल्ड ट्रंप तुर्की को अपने F-35 लड़ाकू विमान बेचने के लिए तैयार हैं। हालांकि इसके लिए तुर्की को रूसी एस-400 रक्षा प्रणाली से किनारा करना होगा। ट्रंप और एर्दोगन के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद यह प्रस्ताव आया है। F-35 पर अमेरिका के कुछ साथियों ने सवाल भी उठाया है।

Mar 24, 2025 - 06:15
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डोनाल्ड ट्रंप का तुर्की को F-35 फाइटर जेट का ऑफर, साथ में रखी मुश्किल शर्त, क्या मानेंगे एर्दोगन?
वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रुख में बड़ा बदलाव करते हुए तुर्की को F-35 लड़ाकू विमान बेचने के संकेत दिए हैं। हालांकि इसके लिए अमेरिका ने तुर्की के सामने एक शर्त भी रखी है। इस शर्त के तहत तुर्की को रूस से खरीदे S-400 मिसाइल सिस्टम को निष्क्रिय करना होगा। डोनाल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान की बातचीत के बाद अमेरिका का यह प्रस्ताव आया है। प्रस्ताव में S-400 को नष्ट करना या उसे तुर्की में अमेरिकी नियंत्रण वाली जगह पर ले जाना शामिल है। अगर ऐसा होता है तो तुर्की को F-16 लड़ाकू विमान मिल जाएंगे।अमेरिका और तुर्की के बीच रक्षा संबंधों में तनाव चल रहा है। इसकी वजह है तुर्की का रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदना है। अमेरिका ने तुर्की पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाए हैं, क्योंकि उसने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा था। अमेरिका और NATO तुर्की के इस कदम से नाखुश हैं। हालांकि अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये नया प्रस्ताव रखा है। हालांकि इस प्रस्ताव को मानने पर तुर्की के रूस से संबंध खराब हो सकते हैं।

तुर्की और अमेरिका के राष्ट्रपति की मुलाकात

अमेरिकी मीडिया फोक्स न्यूज के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान के बीच हाल ही में इस बारे में बात हुई है। इस बातचीत में तय हुआ कि अगर तुर्की S-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर विवाद सुलझा लेता है तो अमेरिका F-16 लड़ाकू विमान बेचने और F-35 प्रोग्राम में तुर्की को फिर से शामिल करने पर विचार कर सकता है।रूस का S-400 एक लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है। यह हवा में उड़ने वाले विमानों और मिसाइलों को 400 किलोमीटर तक की दूरी से मार सकता है। तुर्की ने 2017 में रूस से 2.5 अरब डॉलर में यह सिस्टम खरीदा था। तुर्की नाटो का सदस्य है, ऐसे में अमेरिका और NATO ने तुर्की के इस कदम का विरोध किया। उनका कहना है कि इससे F-35 जैसे विमानों की जानकारी रूस को मिल सकती है। इसके बाद अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिए थे।

कई देशों के पास हैं F-35 जेट

साल 2017 में बने CAATSA कानून का मकसद रूस जैसे देशों से हथियार खरीदने वाले देशों पर दबाव डालना है। इस कानून के तहत अमेरिका उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है, जो रूस के रक्षा और खुफिया विभागों के साथ बड़े सौदे करते हैं। 2020 में अमेरिका ने तुर्की के रक्षा उद्योग विभाग (SSB) पर प्रतिबंध लगाए थे। तुर्की को F-35 कार्यक्रम से भी बाहर कर दिया गया, जबकि उसने इस प्रोजेक्ट में 1 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश है।अमेरिका के F-35A लड़ाकू विमान को ब्रिटेन, इटली, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, जापान और नीदरलैंड इस्तेमाल कर रहे हैं। जर्मनी, पोलैंड, फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, चेक गणराज्य और ग्रीस को भी यह विमान मिलने वाला है। तुर्की के पास अमेरिका में बने कई विमान हैं। इसमें F-16 लड़ाकू विमान भी हैं। अब उसको F-35 खरीद के लिए भी अमेरिका से ऑफर मिला है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,