जहां सूरज से पहले जागते हैं हनुमान जी, जानें-अयोध्या की अलौकिक सुबह की कहानी

हनुमानगढ़ी, अयोध्या का वह सिद्ध पीठ है जो भक्ति और परंपरा की आत्मा से जीवंत हुआ है. हनुमानजी को अयोध्या में सबसे पहले जगाया जाता है और उसके बाद ही मंदिरों में आरती और पूजन की प्रक्रिया शुरू होती है. कहा जाता है कि अयोध्या में सुबह हनुमान जी से होती है. सूरज से नहीं.

May 14, 2025 - 07:09
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जहां सूरज से पहले जागते हैं हनुमान जी, जानें-अयोध्या की अलौकिक सुबह की कहानी
जहां सूरज से पहले जागते हैं हनुमान जी, जानें-अयोध्या की अलौकिक सुबह की कहानी

भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या एक ऐसी पुण्यभूमि है, जहां हर सांस में राम बसते हैं, लेकिन इस नगरी की सुबह सूरज उगने से नहीं होती. अयोध्या की असली सुबह तो तब शुरू होती है, जब हनुमानगढ़ी के शिखर से हनुमंत लला के भजनों की गूंज उठती है. हर दिन तड़के तीन बजे जब पूरा नगर अभी नींद में होता है, तभी बजरंगबली के जागरण का अलौकिक समय शुरू हो जाता है.

हनुमानगढ़ी, अयोध्या का वह सिद्ध पीठ है जो सिर्फ ईंट-पत्थर से नहीं बना, बल्कि आस्था, भक्ति और परंपरा की आत्मा से जीवंत हुआ है. 1940 से निरंतर चल रही यह परंपरा बताती है कि हनुमान जी को अयोध्या में सबसे पहले जगाया जाता है और उसके बाद ही मंदिरों में आरती और पूजन की प्रक्रिया शुरू होती है. तड़के तीन बजे जैसे ही मंदिर के शिखर से “हनुमान गुणगान” के स्वर गूंजते हैं, वैसे ही एक आध्यात्मिक तरंग पूरे नगर को जागृत कर देती है.

ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान जी का स्मरण

पुजारीगण भजनों की स्वर-लहरियों के साथ जागरण आरंभ करते हैं और फिर संपूर्ण अयोध्या के मंदिरों में दीप जलते हैं. शंखनाद होता है और भक्ति की ऊर्जा हर दिशा में फैल जाती है. छह पुजारियों की विशेष टीम इस दिव्य जागरण का संचालन करती है. उनका मानना है कि ब्रह्म मुहूर्त में जब देव शक्तियां जाग्रत होती हैं. उस समय हनुमान जी का स्मरण करना अत्यंत फलदायी होता है.

‘अयोध्या की आत्मा हनुमान जी के भजनों से जग चुकी होती है’

हनुमानगढ़ी में रहने वाले संत डॉ. रामानंद शुक्ल कहते हैं, “हनुमान जी की दिव्य उपस्थिति अयोध्या के वातावरण को सात्विक ऊर्जा से भर देती है और जब चार बजे रामलला के दरबार में मंगला आरती होती है, तो उससे पहले ही अयोध्या की आत्मा हनुमान जी के भजनों से जग चुकी होती है. रामभक्त हनुमान को अपने आराध्य श्रीराम से पहले जगाया जाना यह बताता है कि रामकथा की हर सुबह भी हनुमान जी से शुरू होती है.”

अयोध्या में सुबह हनुमान जी से होती है शुरू

वहीं भक्त कहते हैं कि जब तक हनुमान जी नहीं जागते, अयोध्या की सुबह अधूरी रहती है. यही कारण है कि हनुमानगढ़ी के भजनों की गूंज केवल मंदिर की सीमा तक नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के हृदय तक जाती है, तो जब भी आप अयोध्या आएं सुबह तीन बजे उठिए और हनुमानगढ़ी की ओर चल दीजिए. वहां की सुबह सिर्फ देखी नहीं जाती, उसे आत्मा से महसूस किया जाता है और जब आप उस पावन गुणगान का हिस्सा बनते हैं, तब आप समझ पाते हैं कि अयोध्या में सुबह हनुमान जी से होती है, सूरज से नहीं!

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