चोला बदला, गले में ‘माफी’ की तख्ती डाली : सजा भुगतने अकाल तख्त साहिब पहुंचे पूर्व मंत्री, जूते उठाकर मांजे झूठे बर्तन

चंडीगढ़ । पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (बादल) के पूर्व प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अपने सहयोगियों के साथ अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह द्वारा सुनाई गई धार्मिक सजा का पालन करते हुए आज अमृतसर स्थित दरबार साहिब में सेवा की। सजा के रूप में सुखबीर बादल और अन्य […]

Dec 3, 2024 - 15:14
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चोला बदला, गले में ‘माफी’ की तख्ती डाली : सजा भुगतने अकाल तख्त साहिब पहुंचे पूर्व मंत्री, जूते उठाकर मांजे झूठे बर्तन
Sukhbir Singh Badal Religious Punishment

चंडीगढ़ । पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (बादल) के पूर्व प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अपने सहयोगियों के साथ अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह द्वारा सुनाई गई धार्मिक सजा का पालन करते हुए आज अमृतसर स्थित दरबार साहिब में सेवा की। सजा के रूप में सुखबीर बादल और अन्य अकाली नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगते हुए सेवा कार्य में भाग लिया।

आज सुबह सुखबीर सिंह बादल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा और अन्य अकाली नेता अमृतसर के दरबार साहिब पहुंचे। सभी नेताओं ने सेवादार का चोला पहना, और गले में “दोषी माफी” वाली तख्ती लटकाई। जत्थेदार द्वारा तय की गई प्रक्रिया के अनुसार, सुखबीर सिंह बादल ने दरबार साहिब की मुख्य ड्योढ़ी के बाहर बरछा लेकर बैठे, और उनकी उपस्थिति को अकाल तख्त साहिब के प्रबंधकों ने दर्ज किया।

अकाल तख्त द्वारा दी गई सजा के तहत, सुखबीर बादल ने दरबार साहिब परिसर में चौकीदार की सेवा की। इसके बाद उन्होंने बर्तन साफ किए और जूता घर (जोड़ा घर) में सेवा की। सुखबीर सिंह बादल के साथ-साथ अकाली दल के अन्य नेताओं ने भी जत्थेदार द्वारा दी गई सजा का पालन शुरू किया। इनमें अकाली दल के कार्यवाहक अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़, दलजीत सिंह चीमा और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। इन नेताओं को दरबार साहिब के पास स्थित जनता शौचालयों की सफाई की सजा दी गई थी।

जत्थेदार का आदेश और सजा का महत्व

ज्ञानी रघुबीर सिंह ने अकाली दल के नेताओं को धार्मिक सजा सुनाते हुए उन्हें सिख सिद्धांतों और अनुशासन का पालन करने का निर्देश दिया था। यह सजा सिख परंपराओं में धार्मिक अनुशासन और आत्म-शुद्धि के लिए दी जाती है। जत्थेदार का मानना है कि इस प्रक्रिया से नेताओं को आत्म-निरीक्षण का अवसर मिलेगा और वे भविष्य में अनुशासन का पालन करेंगे।

राजनीतिक और धार्मिक प्रभाव

इस घटना को पंजाब के धार्मिक और राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अकाली दल, जो लंबे समय से सिख पंथ और राजनीति से जुड़ा रहा है, के नेताओं का इस तरह सार्वजनिक सेवा करना एक बड़ा संदेश है। यह कदम पार्टी की धार्मिक छवि को पुनः स्थापित करने और अपनी विश्वसनीयता को पुनर्जीवित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सिख समुदाय और पंजाब की जनता इस घटना को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दे रही है, लेकिन यह निश्चित है कि इस घटना का राजनीतिक और धार्मिक महत्व आने वाले समय में गहराई से महसूस किया जाएगा।

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