गीता से सब कुछ सीखा जा सकता है, बताया जीवन की सच्ची निष्ठा का मार्ग- अन्नू कपूर

भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के अभिनेता, गायक, निर्देशक और रेडियो जॉकी अन्नू कपूर अपने बेबाक अंदाज और विचारों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में, उन्होंने अपनी राय व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने न केवल देशभक्ति पर बात की बल्कि गीता के महत्व और अपने जीवन के अनुभवों पर भी विचार साझा […]

Nov 12, 2024 - 12:12
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गीता से सब कुछ सीखा जा सकता है, बताया जीवन की सच्ची निष्ठा का मार्ग- अन्नू कपूर

भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के अभिनेता, गायक, निर्देशक और रेडियो जॉकी अन्नू कपूर अपने बेबाक अंदाज और विचारों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में, उन्होंने अपनी राय व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने न केवल देशभक्ति पर बात की बल्कि गीता के महत्व और अपने जीवन के अनुभवों पर भी विचार साझा किए।

देशभक्ति कोई परफ्यूम नहीं

अन्नू कपूर ने देशभक्ति के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह कोई परफ्यूम नहीं है जिसे किसी खास मौके या अवसर पर लगाया जाए। उनके अनुसार, ‘देशभक्ति तो आपके शरीर में 24 घंटे प्रवाहित होने वाला रक्त है।’ उनका कहना था कि यदि किसी व्यक्ति की देशभक्ति समय और अवसर पर निर्भर करती है, तो यह असली देशभक्ति नहीं है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी पत्नी अमेरिकी हैं, लेकिन उन्होंने कभी अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया। उनका मानना है कि वह जीवन भर भारत में रहकर ही मरेंगे, लेकिन अमेरिकी नागरिकता नहीं लेंगे।

अन्नू कपूर ने अपनी देशभक्ति को इस प्रकार व्यक्त किया, ‘यह देश मुझे खाई में फेंक सकता है, मुझे गोली मार सकता है, मुझे कुछ भी दे सकता है, लेकिन मैं बंधा हुआ हूं, मैं अपने देश के प्रति वफादार हूं।’ इस बयान में उन्होंने अपने देश के प्रति अपनी गहरी निष्ठा और प्रतिबद्धता को जाहिर किया।

गीता से सीखा जीवन का मार्ग

अन्नू कपूर ने श्रीमद्भागवत गीता के बारे में भी अपनी गहरी सोच साझा की। उन्होंने कहा, ‘मैं नास्तिक होते हुए भी मानता हूं कि गीता से सब कुछ सीखा जा सकता है। यह एक अद्भुत पुस्तक है, जिसमें जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन मिलता है।’ उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा देश चारों तरफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है और हमारी नरमी के कारण हमें बार-बार धोखा दिया गया। अन्नू कपूर ने श्री कृष्ण और शिशुपाल की कहानी का उदाहरण दिया, जिसमें श्री कृष्ण ने शिशुपाल को 99 बार माफ किया था, लेकिन 100वीं बार उन्हें शिशुपाल का वध करना पड़ा।

 

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