क्या है नॉनवेज दूध, अमेरिका इसे भारत में क्यों बेचना चाहता है? जानें फायदे-नुकसान

Non-Veg Milk: नॉन-वेज दूध चर्चा में है. यह नाम भारतीयों के लिए कुछ नया है. अमेरिका भारत में नॉनवेज मिल्क बेचना चाहता है. आइए इसी बहाने जान लेते हैं, क्या होता है नॉनवेज मिल्क, यह कितना मांसाहारी, दुनिया के कितने देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा और इसके कितने फायदे-कितने नुकसान.

क्या है नॉनवेज दूध, अमेरिका इसे भारत में क्यों बेचना चाहता है? जानें फायदे-नुकसान
क्या है नॉनवेज दूध, अमेरिका इसे भारत में क्यों बेचना चाहता है? जानें फायदे-नुकसान

अमेरिका और भारत की ट्रेड डील चर्चा में है. अमेरिका भारत के डेयरी उद्योग में एंट्री पाना चाहता है. इसकी वजह है, नॉनवेज मिल्क. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि इस डील से भारत को साल 2030 तक 500 अरब डॉलर का फायदा पहुंच सकता है. हालांकि अब तक सरकार की तरफ से इसको लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है.

भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा शाकाहारी है. इसलिए नॉनवेज दूध पर सवाल उठना लाजमी है. जानिए, क्या होता है नॉनवेज मिल्क, यह कितना मांसाहारी, दुनिया के कितने देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा और इसके कितने फायदे-कितने नुकसान.

क्या है नॉनवेज दूध?

जिन गायों और दुधारू पशुओं को खाने में मांस या खून चारे के रूप में दिया जाता है उनसे मिलने वाले दूध को नॉनवेज दूध कहा जाता है. मांसाहारी चारा देने का मकसद गायों का वजन बढ़ाना होता है. इसके लिए इन्हें सुअर, चिकन, मछली, घोड़े, बिल्लियों और कुत्ते का मांस खिलाया जाता है.

Non Veg Milk Facts

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दुधारू पशुओं को तंदरूस्त बनाने के लिए ब्लड मील का इस्तेमाल किया जाता है. जानवरों के मरने के बाद उनके खून को सुखाया जाता है और इससे खास तरह का चारा बनता है. इसे ब्लड मील कहते हैं. दावा किया जाता है कि ब्लड मील के कारण दूध देने वाले जानवर तंदरुस्त बनने के साथ दूध भी ज्यादा देते हैं. ब्लड मील को लाइसीन का बड़ा सोर्स कहा जाता है.

ब्लड मील को बूचड़खाने की मदद से तैयार किया जाता है. इसका फायदा यह भी होता है कि बूचड़खानों का कचरा कम होता है और इससे तैयार होने वाला ब्लड मील बेचकर कमाई भी की जाती है. प्रदूषण घटता है, लेकिन खून सुखाने की प्रॉसेस में बड़े पैमाने पर बिजली भी लगती है.

Country Who Drink Non Veg Milk And Its Usage

नॉनवेज दूध के कितने फायदे-कितने नुकसान?

नॉनवेज दूध में साफतौर पर जानवरों से निकले तत्व होते हैं. इसमें जिलेटिन, कोलेशन, फिश ऑयल समेत कई चीजें होती हैं. इसका चलन दुनिया में उन देशों में ज्यादा है जहां हाई प्रोटीन डाइट का चलन है. जहां वर्कआउट पर ज्यादा फोकस किया जाता है और शाकाहार या मांसाहार जैसी बाध्यताएं नहीं होतीं. इसे एंटी-एजिंग और फोर्टिफाइड मिल्क के तौर पर भी लिया जाता है. इसके फायदे और नुकसान दोनों ही हैं.

कोलेजन, कैल्शियम और प्रोटीन होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाता है. मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. इन्हें रिपेयर करने का काम करता है. फिशऑयल और ओमेगा-थ्री मिल्क ब्रेन और हार्ट की हेल्थ के लिए बेहतर माने जाते हैं. इसे स्किन और बालों, दोनों के लिए बेहतर होने का दावा किया जाता है. इसके अलावा विटामिन D3 जैसे तत्व रोगों से लड़ने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं.

इसके कुछ नुकसान भी हैं. इसमें जानवर से निकले तत्व मौजूद होने के कारण एलर्जी हो सकती है. कोलेजन या हाई प्रोटीन पचने में दिक्कत पैदा कर सकते हैं. विशेषज्ञ इसे लेने से पहले डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी मानते हैं.

नॉन-वेज दूध के लिए अमेरिका की नजरें भारत पर क्यों?

भारत में हेल्थ-फोकस्ड युवाओं की संख्या में तेज से बढ़ोतरी हो रही है. फिटनेस, बॉडीबिल्डिंग, ब्यूटी और स्पोर्ट्स में सप्लिमेंंट मिल्क की डिमांड बढ़ रही है. अमेरिका दुनिया के उन देशों में शामिल है जो टॉप डेयरी निर्यातक हैं. ऐसे में भारत में मिल्क और मिल्क प्रोडक्ट बेचना अपने लिए नए मार्केट को तैयार करने जैसा है. अमेरिका में पहले ही डेयरी प्रोसेसिंग और सप्लीमेंट इंडस्ट्री बहुत एडवांस लेवल पर है. अमेरिका इसका फायदा उठाकर भारत में अपना कारोबार का दायरा बढ़ाना चाहता है.

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