कराहती शिक्षा, सिसकते स्कूल

इन दिनों सोशल मीडिया में गोशाला में चल रहे एक स्कूल के वायरल वीडियो व्यवस्था परिवर्तन का राग अलापने वाली हिमाचल की कांग्रेस सरकार के ‘गुणात्मक शिक्षा’ के दावों की पोल खोल रहे हैं। सोशल मीडिया में चंबा जिले के दो मामले बड़ी तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमें पहला मामला गोशाला में चल […]

Nov 20, 2024 - 12:24
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कराहती शिक्षा, सिसकते स्कूल

इन दिनों सोशल मीडिया में गोशाला में चल रहे एक स्कूल के वायरल वीडियो व्यवस्था परिवर्तन का राग अलापने वाली हिमाचल की कांग्रेस सरकार के ‘गुणात्मक शिक्षा’ के दावों की पोल खोल रहे हैं। सोशल मीडिया में चंबा जिले के दो मामले बड़ी तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमें पहला मामला गोशाला में चल रहे सिंयुर स्कूल का है।

इसे 31 वर्ष पहले खोला गया गया था। इसे ऐसे भवन में चलाया जा रहा है, जहां बाहर बरामदे में पशु बंधे हुए हैं और अंदर कक्षाएं चल रही हैं। स्कूल में 90 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर स्कूल के पास अपना भवन तक नहीं है। छात्रों के लिए कक्षाओं का इंतजाम निजी भवन में किया गया है और भवन का मालिक इसमें अपने पशुओं को भी बांधता है।

ऐसे ही चंबा जिले के बन्नू भियोड स्कूल के पास भी अपना भवन नहीं है। इस कारण इसे निजी भवन में चलाया जा रहा है। इस स्कूल में 37 बच्चे पढ़ते हैं और इनमें ज्यादातर बच्चे अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। इस सरकारी स्कूल में बच्चों से किराया लिया जाता है ताकि इसे चलाया जा सके। इस स्कूल को 9 साल पहले खोला गया था, बाद में इसे निजी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। हर महीने किराए के तौर पर 2500 रुपए का भुगतान किया जाता है।

स्कूल में पढ़ने वाले 30 छात्रों से 50 —50 रुपए लिए जाते हैं। बाकी के 1000 रुपए स्कूल की शिक्षिका अपने वेतन में से देती है। स्थानीय निवासी जय सिंह बताते हैं, ”इस मामले को लेकर कई बार स्थानीय कांग्रेस विधायक को भी अवगत करवाया गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। लोगों ने शिक्षा उप निदेशक चंबा के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया तब जाकर प्रशासन के कान पर जूं रेंगी। स्कूल के लिए जल्द से जल्द भवन की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया है।

शैक्षणिक संस्थानों में आधारभूत ढांचा न होने और स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण प्रदेश की जनता में सरकार के प्रति गहरा रोष देखा जा रहा है। भले ही कांग्रेस ने सता में आने से पहले शिक्षा में सुधार और स्कूलों में शिक्षा की कमी को दूर करने के दावे किए थे लेकिन सत्ता में आने के बाद आज भी प्रदेश के सैकड़ों स्कूल एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। जबकि सता में आने के बाद सरकार 500 के करीब स्कूलों को या तो बंद कर चुकी है या उन्हें अन्य स्कूलों में समाहित किया जा चुका है।

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