पठानकोट हमले के बाद भारत-पाकिस्तान रिश्तों में बदलाव

मोदी सरकार के कार्यकाल की शुरुआत के डेढ़ वर्षों को छोड़ दिया जाए तो पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते लगातार तनावपूर्ण ही रहे हैं।

Mar 5, 2024 - 15:32
Mar 5, 2024 - 15:36
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पठानकोट हमले के बाद भारत-पाकिस्तान रिश्तों में बदलाव
पाकिस्तान के साथ रिश्तों

अभी जमी रहेगी पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर बर्फ

  • कूटनीति इससे पहले भी सत्ता में रह चुकी है शहबाज शरीफ की सरकार, 
  • इस दौरान कुछ खास नहीं रहे थे भारत के साथ रिश्ते

तकरीबन 22 महीने बाद पीएम एल-एन के नेता शहबाज शरीफ ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का यह गठबंधन अप्रैल, 2022 से अगस्त, 2023 तक सत्ता में रहा था और इस दौरान भारत के साथ रिश्ते कुछ खास नहीं रहे थे। यह स्थिति आगे भी बने रहने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता, आतंकवाद को लेकर शहबाज सरकार का रवैया और चीन के साथ उसके रणनीतिक संबंधों की स्थिति को देख कर भारत आगे फैसला करेगा। कुछ विशेषज्ञ यह भी मान रहे हैं कि हाल के महीनों में पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका के करीब आया है। यह स्थिति भी भारत व पाक के रिश्तों पर असर दिखा सकती है।

ये भारत-पाकिस्तान के बदलते रिश्ते - BBC News हिंदी

भारतीय विदेश मंत्रालय ने देर शाम खबर लिखे जाने तक पाकिस्तान की नई सरकार को लेकर प्रतिक्रिया जारी नहीं की है। पड़ोसी देश में नई सरकार के गठन पर तुरंत इंटरनेट मीडिया पर बधाई देने वाले पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से भी कोई संदेश जारी नहीं किया गया है। अप्रैल, 2022 में जब शहबाज शरीफ पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब पीएम मोदी ने इंटरनेट मीडिया साइट एक्स (तत्कालीन ट्विटर) पर उन्हें बधाई दी थी। तब मोदी ने कहा था कि भारत इस पूरे क्षेत्र में शांति व आतंकवाद मुक्त स्थिरता चाहता है, ताकि हम विकास की चुनौतियों पर ध्यान दे सकें और जनता की भलाई सुनिश्चित करें। पीएम पद के लिए निर्वाचित होने पर शहबाज ने रविवार को कश्मीर का मुद्दा उठाया था और पाकिस्तान की संसद में कश्मीर और फलस्तीन की आजादी पर प्रस्ताव पारित कराने की बात कही थी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि विगत नौ वर्षों से भारत के रिश्ते पाकिस्तान से तनावग्रस्त हैं।

ये भारत-पाकिस्तान के बदलते रिश्ते - BBC News हिंदी

लेकिन इसका असर ना तो वैश्विक कूटनीति में भारत की साख पर पड़ा है और ना ही भारत की आर्थिक प्रगति पर। ऐसे में भारत के लिए पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने का कोई दबाव नहीं है। कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के रवैये में बदलाव आए बिना भारत के लिए द्विपक्षीय रिश्तों पर आगे बढ़ना मुश्किल है। इसके अलावा मौजूदा परिप्रेक्ष्य में दोनों तरफ की सरकारों की प्राथमिकताएं अलग होंगी। (शहवाज शरीफ ने ली पीएम पद की शपथ

पीएम मोदी ने शुरुआत में रिश्तों को सुधारने की कोशिश की थी

मोदी सरकार के कार्यकाल की शुरुआत के डेढ़ वर्षों को छोड़ दिया जाए तो पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते लगातार तनावपूर्ण ही रहे हैं। पीएम मोदी ने शुरुआत में नवाज शरीफ की सरकार के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश की थी। उन्होंने बगैर औपचारिक आमंत्रण के पीएम नवाज शरीफ के परिवार में हुई एक शादी में शिरकत करने के लिए पाकिस्तान की यात्रा भी की थी। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस्लामाबाद के दौरे पर भी गई और दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठकें भी हुई। लेकिन 31 दिसंबर, 2015 को पठानकोट में पाक परस्त आतंकियों के हमले के बाद मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह से बदल गया।

भारत-पाकिस्तान संबंध - आतंकवाद, कश्मीर और हालिया मुद्दे

31 दिसंबर, 2015 को पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत-पाकिस्तान रिश्तों में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ। इस हमले के बाद, पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी रवाया में स्थायी बदलाव किया और दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया।

पहले दो वर्षों में, मोदी सरकार ने रिश्तों को सुधारने की कई कोशिशें की थीं, जिसमें पीएम मोदी की पाकिस्तान यात्रा और उनके शपथ लेने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मुलाकातें शामिल थीं। इसके बावजूद, पठानकोट हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान को उसकी आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया और संबंधों में नए दृष्टिकोण को स्वीकार किया।

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इस दौरान, भारत ने अपनी पड़ोसी देश को आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने की मांग की और विशेष रूप से हाफिज सईद जैसे आतंकवादी नेताओं के खिलाफ कड़ा स्टैंस अड़ाया। इस परिस्थिति में, भारत ने वैश्विक समुदाय से साथ मिलकर पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखने का समर्थन किया और उसे आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस बीच, दोनों देशों के बीच सीमा पर सुरक्षा स्थिति में भी सुधार हुआ और विभिन्न सैन्य स्तरीय संवादों का आयोजन किया गया।पठानकोट हमले के बाद, भारत-पाकिस्तान रिश्तों में सुधार हुआ, लेकिन तनावपूर्ण हिचकिचाहट बनी रही और रिश्तों की स्थिति दिनों-दिन बदलती रही।

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