जब विकल्प बना संकल्प तो बाजार की राह भी हुई सुगम

मशरूम की बिक्री में निजी कंपनी में नौकरी के दौरान सीखे मार्केटिंग के गुर भी उनके काम आ रहे हैं

Apr 1, 2024 - 23:15
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जब विकल्प बना संकल्प तो बाजार की राह भी हुई सुगम

जब विकल्प बना संकल्प तो बाजार की राह भी हुई सुगम 

बिहार में युवा किसान ने मशरूम की खेती को दिया नया आयाम, नौकरी के दौरान सीखे मार्केटिंग के गुर भी आ रहे काम

कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि उनके पाठ्यक्रम का वैकल्पिक विषय ही करियर का आधार बन जाता है। इसी तरह आपात स्थिति में आजीविका का विकल्प ही आगे चल कर आर्थिक स्थिति सुधारने का माध्यम भी बन सकता है। जो लोग जीवन के हर अनुभव से सीखते हैं और विकल्प को संकल्प बनाते हैं, वे विशिष्ट होते हैं, क्योंकि उनकी संकल्प शक्ति से स्वयं के साथ अन्य को भी लाभ होता है। ऐसे ही प्रगतिशील युवा किसान बिहार के गोपालगंज जिले के प्रकाश राय हैं। वे मशरूम की खेती से स्वयं के साथ दो दर्जन से अधिक किसानों की आर्थिकी संवार रहे हैं। इसके साथ ही मशरूम की बिक्री में निजी कंपनी में नौकरी के दौरान सीखे मार्केटिंग के गुर भी उनके काम आ रहे हैं। क्योंकि इसी के चलते वह अपनी उगाई मशरूम को बिचौलिए की बजाय सीधे दुकानदार और उपभोक्ता तक पहुंचा रहे हैं।

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प्रकाश ने कोरोना की आहट के बीच 24 दिसंबर, 2019 को प्राइवेट नौकरी छोड़ कर खेती शुरू की थी। उन्होंने विपरीत मौसम, जलवायु एवं परिस्थितियों में भी मशरूम की खेती एवं उसकी ससमय बिक्री पर ध्यान केंद्रित किया और इसे लाभ की खेती बना कर दिखाया। ऐसे में आज उनसे प्रेरित होकर दो दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं। जिले के अलग अलग प्रखंड के ये सभी किसान मिल कर प्रतिदिन लगभग 11 क्विंटल मशरूम उत्पादन करते हैं। इन्होंने बिचौलिए को हटाकर सीधे दुकानदार तक अपनी पहुंच बनाई है। प्रकाश ने बताया कि विभिन्न थोक दुकानदारों के साथ किसानों के घर के सदस्य संयुक्त रूप से नजदीकी बाजार एवं शादी विवाह में मांग के अनुसार सीधी बिक्री करते हैं। इससे अधिक लाभ भी होता है तथा लोगों को ताजा मशरूम भी मिल रही है। हम 130 से 140 रुपये किलो की दर से बिक्री कर रहे हैं।

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सरकारी योजना के तहत मिला प्रशिक्षण व अनुदान प्रकाश राय ने कुचायकोट में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र, सिपाया से मशरूम उत्पादन का निशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) की पाठशाला में शामिल हुए। उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए सभी सामग्री सरकारी स्तर पर मिल गई। उद्यान विभाग से मशरूम उत्पादन योजना के तहत 30 फीट चौड़ी एवं 50 फीट लंबी झोपड़ी के लिए एक लाख 89 हजार 750 की राशि स्वीकृत हुई थी। इसमें 50 प्रतिशत अनुदान उद्यान विभाग ने दिया। प्रकाश ने खेती से पहले उत्पादन व बाजार का आकलन किया, इसलिए वह ज्यादा सफल हुए। उत्पादन के क्षेत्र में उद्यान निदेशालय, पटना की ओर से प्रकाश राय को प्रथम बटन मशरूम पुरस्कार के साथ प्रमंडलीय स्तर पर प्रदर्शनी में भी सम्मानित किया जा चुका है।

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ठंड का मौसम अनुकूल, गर्मी में कर सकते हैं सूखी मशरूम की खेती किसान प्रकाश राय ने बताया कि अक्टूबर से फरवरी तक ठंड का मौसम मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल है। सीमित क्षेत्र में बडे स्तर पर भी उत्पादन किया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक सामग्रियां पहले से ॥ जुटा लेनी चाहिए। इनमें गेहूं का भूसा, चोकर, यूरिया (नाइट्रोजन), जिप्सम, मुर्गी की बीट और सिंगल फास्फेट शामिल हैं। गर्मी के मौसम में सूखी व दूधिया मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। इस मशरूम से अचार, बड़ी, पापड़, भुजिया तथा बिस्किट बना सकते हैं।

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