नंदगांव-बरसाना मार्ग पर मुस्लिम भक्तों ने बनाई अनूठी रिश्तेदारी
नंदगांव-बरसाना मार्ग पर राधारानी के मुस्लिम भक्त गुलाब सखी का समाधि स्थल।
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नंदगांव-बरसाना मार्ग पर मुस्लिम भक्तों ने बनाई अनूठी रिश्तेदारी
हरिजनन पै, कोटिन हिंदू वारिये...। भारतेंदु हरिश्चंद्र की ये पंक्तियां
आज भी नंदगांव और बरसाना के मुस्लिमों पर सटीक हैं।
नंदगांव और बरसाना, भारतीय संस्कृति की गहरी धारा और समृद्ध विरासत के प्रतीक हैं। यहाँ की धरोहरों में समाहित है कृष्ण और राधा का अद्वितीय प्रेम, जो हर वर्ष होली के त्योहार में खुशियों का रंग बिखेरते हैं। इस अनोखे त्योहार के मध्य, एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पहलू है यहाँ के मुस्लिम समुदाय की सहभागिता और उनका सम्मान।
नंदगांव और बरसाना के मुस्लिम भक्तों का प्रेम और समर्पण अद्वितीय है। इन लोगों ने न केवल हिंदू धर्म की परंपराओं को समझा है, बल्कि उन्होंने इसे अपनाया भी है। बरसाना में राधारानी के समाधि स्थल पर मुस्लिम भक्त गुलाब सखी का स्थान है, जहाँ वे भगवान के प्रेम के गाथाओं को सुनाते हैं और पुष्प अर्पित करते हैं। इनकी पूजा-अराधना की श्रद्धा से प्रेरित होकर, अनेक अन्य मुस्लिम भी यहाँ आते हैं और अपनी श्रद्धा का अभिव्यक्ति करते हैं।
इन मुस्लिम समुदायों के लोगों ने यह बात स्वीकार की है कि राधारानी ने मंदिर पर सारंगी बजाने वाले मुस्लिम गुलाब को अपने दर्शन दिए थे, जो एक मित्रतापूर्ण और सच्चे प्रेम के प्रतीक बन गए। इस प्रेम के बंधन ने समुदायों के बीच एक नई बातचीत का माध्यम बना दिया है, जो धार्मिक सीमाओं को पार करते हुए भी अपनी संस्कृति के मूल्यों को समझते हैं।
नंदगांव और बरसाना के इस अद्वितीय त्योहार में, होली के खेल में भी इस संबंध का खास महत्व है। लठामार होली के दौरान, नंदगांव के हुरियारे और बरसाना के हुरियारिन एक-दूसरे के साथ हंसी-ठिठोली करते हैं, जिससे इस प्रेम और मैत्री का संदेश बढ़ता है। यहाँ के लोग यह समझते हैं कि इन स्थानों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भावनाओं को समझने के लिए धर्म और समुदाय के बाहर देखने की आवश्यकता है।
नंदगांव और बरसाना के बालिस्टर कुरैशी ने कहा, "हमारा धर्म अलग हो सकता है, लेकिन प्रेम की भावना और सम्मान सभी के लिए समान है।" इस बात को ध्यान में रखते हुए, वे बताते हैं कि धार्मिक सीमाओं के पार भी अपनी संस्कृति को समझना और समर्थन करना महत्वपूर्ण है।
इस अनूठे और समृद्ध संबंध के माध्यम से, नंदगांव और बरसाना के लोग एक साथ रहकर अपनी संस्कृति को और अधिक समृद्ध और समर्थन बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं। यह साबित करता है कि प्रेम और समर्पण की भावना से ही हम समृद्ध समाज और संस्कृति का निर्माण कर सकते हैं।
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