ISIS की दोषी महिला आतंकवादी की तस्वीर पर ब्रिटेन में विवाद, कहा-बिना बुर्के के छापी पहली तस्वीर

ब्रिटेन में एक मामले को लेकर हंगामा मचा हुआ है और सोशल मीडिया पर लोग पुलिस और सरकार का मजाक उड़ा रहे हैं और प्रश्न कर रहे हैं कि ऐसा भी हो सकता है? दरअसल मामला है आईएसआईएस की दोषी आतंकवादी फरिश्ता जामी की तस्वीर का। फरिश्ता जानी अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविन्स […]

Feb 18, 2025 - 12:36
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ISIS की दोषी महिला आतंकवादी की तस्वीर पर ब्रिटेन में विवाद, कहा-बिना बुर्के के छापी पहली तस्वीर
Islamic state burqa britain

ब्रिटेन में एक मामले को लेकर हंगामा मचा हुआ है और सोशल मीडिया पर लोग पुलिस और सरकार का मजाक उड़ा रहे हैं और प्रश्न कर रहे हैं कि ऐसा भी हो सकता है? दरअसल मामला है आईएसआईएस की दोषी आतंकवादी फरिश्ता जामी की तस्वीर का।

फरिश्ता जानी अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविन्स के साथ जुडने के लिए सफर करने जा रही थी। फरिश्ता जानी को 13 फरवरी को आतंक के दो मामलों में दोषी ठहराया गया। उसे टेररिज़म एक्ट 2006 की धारा 5 के अंतर्गत दोषी ठहराया गया। लेसेस्टर क्राउन कोर्ट में ज्यूरी के सामने यह सुनवाई हुई कि कैसे वह खुद को शहीद करने के लिए अफगानिस्तान जाने की योजना बना रही थी, और दूसरा मामला यह है कि वह अपने बच्चों को भी ले जाना चाहती थी। वारविकशायर की पुलिस की वेबसाइट के अनुसार, उसने अपने और अपने बच्चों के लिए अफगानिस्तान जाने के लिए एक तरफ की हवाई जहाज की टिकट के लिए 1,200 यूरो बचाए थे और आईएसकेपी के साथ जुड़ने के लिए उपलब्ध फ़्लाइट्स खोजी थीं। जब जासूसों ने उसके घर की तलाशी ली तो उन्होनें कई उपकरण जब्त किये। नकद छुपाकर रखा गया था और जानी अपने पासपोर्ट भी छिपाने की कोशिश कर रही थी।

इतना ही नहीं जानी ने सोशल मीडिया पर सितंबर 2022 से लेकर जनवरी 2024 तक काफी हिंसक सामग्री पोस्ट की थी, जिनमें वीडियो, डाक्यमेन्ट और तस्वीरें शामिल थीं। वह कई समूहों को सम्हालती थी और जो भी यूजर्स पोस्ट करते थे उन्हें देखती थी, मैसेज करती थी। कुछ समूहों में तो 700 से ज्यादा सदस्य थे और ये सभी एक निश्चित एजेंडा फैलाते थे। वह ऐसा इसलिए करती थी कि जिससे इस्लामिक स्टेट के लोग यह देख लें कि वह उनके लिए कितनी वफादार है। जानी का जन्म अफगानिस्तान में हुआ था और वह वर्ष 2008 में शादी के बाद अपने शौहर के साथ रहने के लिए ब्रिटेन आई थी, जो पहले से ही नॉर्थ वेस्ट में शहर में रह रहा था।

जब उसे उसके इन कामों के लिए सजा सुनाई गई तो उसकी एक तस्वीर पुलिस ने साझा की। जिसमें उसका चेहरा दिखाई दे रहा है। जिसमें वह बुर्का तो डाले है शायद, मगर कंधे तक है। जाहिर है, दोषी की तस्वीर जनता के सामने आनी ही चाहिए। मगर उसकी इस तस्वीर को लेकर उसके वकील ने आपत्ति जताई। उसके वकील ने कोर्ट में यह कहा कि उसके क्लाइंट की जो तस्वीरें पुलिस ने जारी की हैं, उनमें उसका सिर ढका हुआ नहीं है। वकील ने आगे कहा कि इससे उसे बहुत ही तनाव हुआ है और पुलिस दूसरी भी तस्वीर जारी करने जा रही है। वह कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि उसे ही इस्तेमाल किया जाए।

मगर कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। जज चीमा ग्रब ने कहा कि वे इस मामले में कोई भी आदेश नहीं दे सकती हैं और उन्होनें प्रेस पर यह फैसला छोड़ दिया कि कौन सी तस्वीरें इस्तेमाल वह करती है। वहीं पुलिस ने दोषी आतंकवादी की दूसरी तस्वीर भी जारी की, जिसे लेकर अब पुलिस उन लोगों के निशाने पर है जो आतंकवाद के खिलाफ मुखर आवाजें उठा रहे हैं। जैसे कि ओली लंदन। उन्होंने एक्स पर इस विषय को उठाया।

लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि दोषियों का चेहरा क्यों ढका हुआ होना चाहिए? सुरक्षा कारणों से यूएन से जुड़े हुए देशों को चेहरा कवर करने को प्रतिबंधित करना चाहिए। कुछ यूजर्स ने कहा कि पहचान छिपाकर क्या मिल जाएगा? यदि किसी को आतंकवाद के मामले में दोषी ठहराया गया है तो उसका चेहरा क्यों नहीं दिखना चाहिए।

सबसे महत्वपूर्ण जज की बात है कि उन्होंने इस मामले को लेकर कोई भी आदेश जारी नहीं किया और मीडिया पर निर्णय छोड़ा। हालांकि, मीडिया में दोनों ही तस्वीरें आई हैं, फिर चाहे वह डेली मेल हो या फिर टेलीग्राफ। परंतु प्रश्न यही उठता है कि आतंकवाद से जुड़ते समय अवसाद ऐसे लोगों को नहीं होता, मगर तनाव या अवसाद इस बात को लेकर हो जाता है कि उनका चेहरा सार्वजनिक हो गया? अब प्रश्न यह भी उठता है कि यदि आपका अपराध जनता या मानवता के विरुद्ध है तो जिनके विरुद्ध आप कदम उठाने जा रहे हैं, उनके पास यह अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए कि आपका असली चेहरा देखें?

सोशल मीडिया पर पुलिस के इस कदम को लेकर चर्चाएं हैं, तो वहीं ब्रिटेन में बढ़ रही मजहबी कट्टरता को लेकर भी चर्चाएं हैं कि आखिर पुलिस क्यों आतंकियों के सामने नर्म पड़ जाती है।

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