देश को बड़ा करने के लिए गुरुकुल जैसी शिक्षा जरूरी: भागवत
मेरे बारे में जो सुना है, वह सही है। मैं अकेला नहीं हूं, संघ के सभी कार्यकर्ता ऐसे ही हैं। संघ के हजारों कार्यकर्ताओं में मैं फुर्सत में हूं, इसलिए मुझे सर संघचालक बना रखा है। जीवन में संघर्ष क्या होता है, यह महत्व की बात नहीं।
देश को बड़ा करने के लिए गुरुकुल जैसी शिक्षा जरूरी: भागवत
नई शिक्षा नीति में लगे विशेषज्ञों को दी गुरुकुल आने की सलाह बोले- ऐसी शिक्षा पाना सौभाग्य
कन्या गुरुकुल में 134 छात्राओं के उपनयन संस्कार में संघ प्रमुख ने निभाई पिता की भूमिका
अमरोहा: मंगलाचरण के साथ ही गायत्री मंत्र की गूंज, गणवेश में गुरुकुल की बेटियां और चहुंओर सनातन धर्म व संस्कारों की बात। श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में मंगलवार को मंत्रमुग्ध कर देने वाला यह दृश्य देख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डा. मोहन भागवत भी गदगद हो गए।
कुल 134 छात्राओं के उपनयन संस्कार में दत्तक पिता की भूमिका निभाने के साथ ही सरसंघचालक ने उनका दस सूत्र वाक्य के साथ सफल जीवन के लिए मार्गदर्शन किया। भागवत ने कहा कि ऐसी शिक्षा पाना सौभाग्य है, यह जल्दी नहीं मिलती। देश को बड़ा करने के लिए ऐसी ही शिक्षा जरूरी है। नई शिक्षा पद्धति की सराहना करते हुए संघ प्रमुख ने इसमें लगे विशेषज्ञों को ऐसे गुरुकुल में आने की सलाह दी। छात्राओं के प्रश्नों का समाधान करते हुए संघ प्रमुख ने सभी की जिज्ञासा भी शांत की।
चोटीपुरा स्थित कन्या गुरुकुल में संघ प्रमुख ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति श्रीनिवास बरखेड़ी संग संस्कृति नीडम् (सभागार) का भी शुभारंभ किया। इससे पहले विधि-विधान के साथ यज्ञोपवीत धारण कराकर 134 बेटियों का उपनयन संस्कार कराया। यज्ञशाला में वह पिता के रूप में मौजूद रहे, जबकि आचार्य के रूप में कुलपति बैठे। अपने प्रेरणामयी संबोधन में गुरुकुल की संस्थापिका आचार्य सुमेधा के कार्यों की सराहना की।
कहां, आज ऐसी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। जो मिलती है, उससे पेट भरना भी मुश्किल हो जाता है। नई शिक्षा पद्धति से सुधार को लेकर आशान्वित संघ प्रमुख ने कहा कि उससे जुड़े विशेषज्ञों से कहूंगा कि ऐसे विद्यालय में जाइए, वहां क्या हो रहा है, छात्रों के आत्मविश्वास को देखिए। उन्होंने छात्राओं को व्यक्तित्व विकास (पर्सनालिटी डेवलपमेंट) के बारे में भी समझाया और अपने अंदर छिपे दैवीय गुणों को व्यवहार में लाने की सीख दी।
उनके बाहर लाने से देश और समाज का कल्याण होगा। मनुष्य अपने कर्मों से छोटा-बड़ा बनता है। देश चलाने के लिए जितना बहुत बड़ा व्यक्ति काम करता है, उतना ही एक झाड़ लगाने वाला भी करता है। काम में छोटा- बड़ा कुछ नहीं है।
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