रेलवे स्टेशनों से भी गुजर सकती है 'वोट की ट्रेन
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश के छोटे-बड़े 1308 रेलवे स्टेशनों का अत्याधुनिक तरीके से पुनर्निर्माण होना है।
रेलवे स्टेशनों से भी गुजर सकती है 'वोट की ट्रेन
बदल जाएगी देश के रेलवे स्टेशनों की अवधारणा
देश के रेलवे स्टेशन पुराने है, लेकिन तस्वीर नई होगी, क्योंकि उन्हें नई अवधारणा के साथ बनाया जा रहा है। रेलवे स्टेशन परिसर में रेलवे नई सुविधाएं विकसित कर रहा है। एस्कलेटर एवं लिफ्ट लगी होंगे। सीढ़ियां अच्छी होगी। साफ-सफाई का प्रबंध होगा। आफिस, माल, दुकान,
रेस्तरा बनाकर किराए पर दिये जाएगे। आने-जाने, खाने-पीने एवं मनोरंजन की सुविधाएं होंगी। पहले के स्टेशनों में आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित होता है, लेकिन नए स्टेशन सबके लिए खुले रहेंगे। प्रतीक्षारत यात्री परेशान नहीं होगा। स्टेशन परिसर की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेगा।
- रेलवे ने काम चलाऊ प्रवृत्ति को छोड़कर शहरों की नई तस्वीर गढ़ने के लिए बढ़ाया कदम
- देश के 1308 रेलवे स्टेशनों के पुननिर्माण से छह- सात करोड आबादी तक होगी सीधी पहुंच
- पीएम ने पांच सौ स्टेशनों के पुनर्निमाण कार्य का शिलान्यास किया था वो 40 लाख लोग आनलाइन जुड़े थे
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देश के छोटे-बड़े 1308 रेलवे स्टेशनों का अत्याधुनिक तरीके से पुनर्निर्माण होना है। इससे सिर्फ स्टेशनों की ही सूरत नहीं बदलेगी, बल्कि उस शहर का भी कायाकल्प होगा। भव्यता बढ़ेगी। यात्रियों के साथ-साथ उस शहर के निवासियों की भी सुविधाएं बढ़ेंगी। सफर सुहाना होगा और बड़ी संख्या में रोजगार के मौके भी पैदा होंगे। जाहिर है, लगभग 80 हजार करोड़ की इस योजना से वोटर भी निष्प्रभावी नहीं रहेगा।
1150 स्टेशनों के पुनर्निर्माण की निविदा निकल चुकी है। बाकी भी प्रक्रिया में हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी एक मार्च को 500 स्टेशनों के पुनर्निर्माण का शिलान्यास भी कर चुके हैं। राजनीति से रेलवे का प्रगाढ़ संबंध प्रारंभ से है। आजादी के पहले महात्मा गांधी ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया था। हाल के तीन-चार दशकों में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, ममता बनर्जी और रामविलास पासवान जैसे नेताओं ने वोट के लिए रेलवे का सहारा लिया, लेकिन केंद्र को वर्तमान सरकार ने रेलवे की काम चलाऊ प्रवृत्ति को पीछे छोड़कर विकास की नई तस्वीर गढ़ने के लिए कदम बढ़ाया है। नवाचार किया है, जिससे शहरों की सूरत, निवासियों को सुविधाएं और स्थानीय कारोबारियों के रोजगार के साथ ही वोटिंग ट्रेंड में परिवर्तन के लिहाज से भी उर्वर होगा।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत चयनित 1308 स्टेशनों में तीन सौ ऐसे शहरों में हैं, जिनकी आबादी एक लाख से ज्यादा है। बाकी एक हजार से कम और 50 हजार से ज्याद आबादी वाले शहरों के स्टेशन हैं। इन सभी छोटे-बड़े शहरों की आबादी को औसतन पांच लाख भी मान लिया जाए तो करीब छह-सात करोड़ आबादी की पहुंच नए स्टेशनों की भव्यता तक सीधी हो जाएगी। स्टेशनों के आसपास के क्षेत्रों का विकास होगा।
रोजगार के मौके बढ़ेंगे तो संपन्नता भी आएगी। हालांकि, इन स्टेशनों के विकास और बोट में पूरी तरह परवर्तित होने में अभी समय लगेगा, लेकिन लोगों के उत्साह का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मार्च को जब देश में पांच सौ ऐसे स्टेशनों के पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था तो विभिन्न राज्यों से करीब 40 लाख लोग आनलाइन जुड़े थे। स्पष्ट है कि लोगों में स्टेशनों को लेकर अभी से उत्साह और इंतजार है, जो भविष्य के वोटिंग पैटर्न की और संकेत भी करता है। जब निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी तो और भी लोग जुड़ेंगे। शहर को जोड़ेगा
अमृत भारत स्टेशनः
देश में अभी रेल पटरियां शहर के बीच से गुजरते हुए उसे दो हिस्सों में विभक्त करती हैं। ट्रेन के आने-जाने के दौरान पटरियों के दोनों तरफ के लोग इधर-उधर खड़े होकर इंतजार करते रहते हैं। अब ओवरब्रिज व अंडरब्रिज के माध्यम से शहरों को पारगमन बनाने की तैयारी है। काम पूरा होने के बाद आम लोग कभी भी इधर से उधर आ-जा सकते हैं। स्टेशनों के कायाकल्प से स्थानीय कारोबारियों, निवासियों एवं यात्रियों के साथ-साथ रेलवे को भी फायदा होगा।
स्टेशन की व्यर्थ पड़ी जमीन को विकसित करके रेलवे उसे किराए पर देगा, इससे राजस्व की प्राप्ति होगी। स्थानीयों को अपने शहर में एक ऐसी जगह मिल सकेगी, जहां वे परिवार संग कुछ समय बिता सकते हैं। ट्रेन विलंब होने पर यात्री परेशान नहीं होंगे और कारोबारियों को बड़ा बाजार मिल जाएगा, जहां वह अपने शहर की विशिष्ट पहचान वाली चीजों की दुकान लगा सकते हैं।
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