कोन थी सावित्रीबाई फुले  जो देश की पहली शिक्षिका बनी

कई आंदोलनों में लिया भाग

Jan 3, 2024 - 18:39
Jan 2, 2024 - 21:05
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कोन थी सावित्रीबाई फुले  जो  देश की पहली शिक्षिका बनी
सावित्रीबाई फुले

 3 जनवरी  सावित्रीबाई फुले जयंती  मनाई जाती है यहां से पढ़ें उनके बारे में रोचक तथ्य ,कोन थी सावित्रीबाई फुले 

देशभर में प्रतिवर्ष 3 जनवरी के दिन सावित्रीबाई फुले जयंती को मनाया जाता है। सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनको सजाज सेविका कवयित्री दार्शनिक आदि के रूप में पहचाना जाता है। सावित्रीबाई फुले को देश की पहली शिक्षिका माना जाता है। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर देश का पहला महिला स्कूल खोला था।

Savitribai Phule Jayanti 2024: सावित्रीबाई फुले के बारे में यहां से पढ़ें रोचक तथ्य।

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्हीं को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। सावित्रीबाई फुले को समाज सेविका, नारी मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लेने वाली और देश की पहली अध्यापिका के रूप में जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी और उनकी स्थिति में सुधार के लिए बहुत योगदान दिया।

कठिनाइयों को पार कर बनीं देश की पहली शिक्षिका

सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था। पहले के समय में दलितों को शिक्षा आदि से वंचित रखा जाता था लेकिन सावित्रीबाई फुले ने इन सब कुरीतियों से लड़कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके समाज में छुआ-छूत का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इन सबसे हार न मानकर अपनी शिक्षा जारी रखी। इसके बाद उन्होंने अहमदनगर और पुणे में अध्यापक बनने की ट्रेनिंग पूरी की और बाद में अध्यापिका बनीं।

पति के मिलकर शुरू किया पहला महिला स्कूल

सावित्रीबाई फुले जब 9 वर्ष की थीं तब उनका विवाह कर दिया गया। उनका विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हुए, विवाह के समय उनकी आयु 13 वर्ष थी। अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में पहला महिला स्कूल खोला। इसके बाद उन्होंने देशभर में कई अन्य महिला विद्यालयों को खोलने में मदद की। उनके इस कार्य के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें सम्मानित किया था।

कई आंदोलनों में लिया भाग

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर कई आंदोलनों में भाग लिया जिसमें से एक सती प्रथा भी था। उन्होंने विधवा होने पर महिलाओं का मुंडन किया जाता था जिसके खिलाफ उन्होंने मुखर होकर नाइयों के खिलाफ आंदोलन किया था।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार