बालासाहब देवरस के विचार

बालासाहब के साथ प्रथम स्वयंसेवकों के दल में केशवराव वकील, त्र्यंबक झिलेदार, अल्हाड़ अंबेडकर, बापू दिवाकर, नरहरि पारखी, बाली यशकुण्यवर, माधवराव मुले और एकनाथ रानाडे शामिल थे Balasaheb Deoras,बालासाहब देवरस,Rashtriya Swayamsevak Sangh,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,Balasaheb Deoras Quotes,बालासाहब देवरस के विचार,Hindu Rashtra,हिंदू राष्ट्र,Samajik Samrasta,सामाजिक समरसता,Social Harmony,Balasaheb Deoras Speeches,बालासाहब देवरस का जीवन,Balasaheb Deoras Biography,Hindu Unity,हिंदू एकता,भारतीय संस्कृति,Bharatiya Sanskriti,Sangh Ideology,संघ विचारधारा,प्रेरक विचार,Motivational Thoughts

Dec 6, 2024 - 10:25
Dec 6, 2024 - 11:41
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बालासाहब देवरस के विचार
बालासाहब देवरस
 

 बालासाहब के साथ प्रथम स्वयंसेवकों के दल में केशवराव वकील, त्र्यंबक झिलेदार, अल्हाड़ अंबेडकर, बापू दिवाकर, नरहरि पारखी, बाली यशकुण्यवर, माधवराव मुले और एकनाथ रानाडे शामिल थे।

 

बालासाहब देवरस
एक स्वयंसेवक के रूप में बालासाहब का यह प्रण कि वे जाति संबंधी भेदभाव से दूर रहेंगे तथा एक न्यायपूर्ण और समरस समाज की स्थापना करेंगे।

बालासाहब देवरस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने मई 1974 में पुणे की वसंत व्याख्यानमाला में कहा कि, छुआछूत अपने समाज की विषमता का एक अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है।
बालासाहब देवरस
आज हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'घोष' (बैंड) तथा 'समूहगान' की जिस प्रथा को देखकर आनंदित होते हैं उसे शुरू किए जाने का श्रेय संघ के द्वितीय सरसंघचालक बालासाहब देवरस को जाता है।
 
सरसंघचालक का दायित्व उठाने के बाद बालासाहब ने एक स्वर में संस्था के मुख्य उद्देश्य के रूप में इसके द्वारा 'सामजिक समरसता' के बारे में घोषणा की। समानाधिकार की प्रथा संघ के भीतर विद्यमान थी किन्तु उनके प्रयासों से इसे स्वयंसेवकों को स्पष्ट किया गया तथा वृहतर समाज को सन्देश भी दिया गया। डॉ. मोहन भागवत (ओर्गेनाइजर मार्च 31, संस्करण-2017)
 
तरुण बालासाहब ने अपनी माँ से कहा था, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मेरे कुछ मित्र भोजन करने के लिए आएंगे।
परंतु मैं चाहता हूँ कि उन सबको मेरी तरह सम्मान प्राप्त हो, चाहे वे किसी भी जाति से संबंध रखते हों। उन्हें भोजन उन्हीं बर्तनों में परोसा जाए, जिनमें हमारा परिवार खाता है। मैं जाति के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं चाहता।
 
संघ के द्वितीय सरसंघचालक 'बालासाहब देवरस' स्वयंसेवकों के उस पहले दल में से थे, जिन्होंने डॉ. हेडगेवार द्वारा 'नागपुर के मोहिते बाड़ा' में शुरू की गई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा में भाग लिया था।
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