भारत की प्रगति रोकने के प्रयास को खत्म करना होगा: जस्टिस दत्ता
जस्टिस दत्ता सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने सभी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया।
भारत की प्रगति रोकने के प्रयास को खत्म करना होगा: जस्टिस दत्ता
कहा, कुछ स्वार्थी लोग देश की प्रगति को कमजोर करना चाहते हैं विबैलेट पर लौटने की मांग का
• मकसद मौजूदा प्रक्रिया को बदनाम करना
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा लगता है कि किसी भी कीमत पर भारत की प्रगति को बदनाम करने, रोकने और कमजोर करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। ऐसे किसी भी प्रयास को शुरू में ही खत्म करना होगा।
जस्टिस दत्ता सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने सभी वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान कराने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कुछ निहित स्वार्थी समूहों में राष्ट्र की उपलब्धियों को कमजोर करने की प्रवृत्ति तेजी से विकसित हुई है। उन्होंने अलग से अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कोई भी संवैधानिक अदालत इस तरह के प्रयास को तब तक सफल नहीं होने देगी, जब तक उसकी अपनी भी इस तरह की राय न हो। जस्टिस दत्ता ने कहा, मुझे
चुनाव आयोग के वरिष्ठ वकील की यह दलील स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि बीते समय की बैलेट प्रणाली पर वापस लौटने के याचिकाकर्ताओं के सुझाव से ईवीएम के माध्यम से मतदान प्रक्रिया को बदनाम करने के वास्तविक इरादे का पता चलता है। इसका उद्देश्य मतदाताओं के मन में अनावश्यक संदेह पैदा करके चल रही चुनावी प्रक्रिया को पटरी से उतारना है।
उन्होंने कहा कि लोग आने वाले वर्षों में ईवीएम में सुधार या इससे भी बेहतर प्रणाली की उम्मीद करेंगे। मुझे याचिकाकर्ताओं की प्रामाणिकता के संबंध में गंभीर संदेह है, जब वह पुराने आदेश को वापस लेने की मांग करते हैं। इस तथ्य के बावजूद कि अतीत में चुनाव सुधार लाने में याचिकाकर्ताओं के प्रयासों का फल मिला है, उनका नया सुझाव समझ से परे है।
आशंका के आधार पर नहीं उठा सकते आम चुनाव पर सवाल : जस्टिस दत्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ईवीएम को लेकर याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं और अटकलों के आधार पर इस समय चल रहे आम चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकता है। ईवीएम समय की कसौटी पर खरी उतरी है। बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत यह मानने का पर्याप्त कारण है कि मतदाताओं ने मौजूदा प्रणाली में विश्वास जताया है।
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