RSS भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो राष्ट्रवाद, समाजिक एकता और संस्कृति के संरक्षण

संघ मानता है कि एक संगठित समाज ही मजबूत राष्ट्र का आधार बन सकता है। संघ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, संस्कृति का संरक्षण, समाज का संगठन और मानवता के प्रति सेवाभाव प्रमुख हैं।

Oct 14, 2024 - 12:45
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RSS भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो राष्ट्रवाद, समाजिक एकता और संस्कृति के संरक्षण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, जो राष्ट्रवाद, समाजिक एकता और संस्कृति के संरक्षण के उद्देश्यों के साथ कार्य करता है। इसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा की गई थी। तब से लेकर अब तक, संघ ने भारत में सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी विचारधारा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

संघ का मूल ध्येय और कार्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ध्येय “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” है, जिसका अर्थ है राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पण। इस ध्येय के आधार पर संघ का प्रमुख उद्देश्य भारत को शक्तिशाली, संगठित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है। संघ मानता है कि एक संगठित समाज ही मजबूत राष्ट्र का आधार बन सकता है। संघ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, संस्कृति का संरक्षण, समाज का संगठन और मानवता के प्रति सेवाभाव प्रमुख हैं।

संघ का संगठनात्मक ढांचा

संघ की संरचना अत्यंत सुव्यवस्थित और अनुशासित है। यह रोज़ाना शाखाओं के माध्यम से अपनी गतिविधियों का संचालन करता है। शाखा संघ का मूल ढांचा है, जहां स्वयंसेवक एकत्रित होते हैं और शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। शाखाओं के माध्यम से संघ विभिन्न स्तरों पर समाज के लोगों को संगठित करने का कार्य करता है।

संघ के प्रमुख कार्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ केवल सांस्कृतिक और धार्मिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में भी सक्रिय है। संघ के स्वयंसेवक आपदा के समय बचाव कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं। चाहे बाढ़ हो, भूकंप हो या किसी अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदा, संघ के स्वयंसेवक हमेशा सेवा के लिए तैयार रहते हैं। इसके अलावा, संघ ने कई शैक्षिक, स्वास्थ्य और समाजिक सुधार कार्यक्रम भी चलाए हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

संघ का शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा योगदान रहा है। विद्या भारती, जो संघ की शिक्षा शाखा है, देशभर में हजारों विद्यालयों का संचालन करती है। इन विद्यालयों में न केवल शैक्षिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि विद्यार्थियों में संस्कार, चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति की भावना भी विकसित की जाती है। संघ का मानना है कि युवा पीढ़ी को सही दिशा में प्रेरित करना राष्ट्र निर्माण की नींव है।

संस्कृति का संरक्षण

संघ भारतीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार करने में भी सक्रिय है। भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयाम जैसे पर्व, त्योहार, योग, आयुर्वेद आदि संघ की गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा हैं। संघ मानता है कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सामाजिक एकता और संगठित समाज

संघ का एक प्रमुख उद्देश्य समाज में एकता और संगठन का निर्माण करना है। संघ जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में कार्य करता है। संघ के विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाने की कोशिश की जाती है। संघ यह मानता है कि एक संगठित और एकजुट समाज ही किसी भी राष्ट्र की प्रगति का आधार होता है।

संघ और राष्ट्रवाद

संघ का राष्ट्रवाद का विचार संकीर्ण या आक्रामक नहीं है, बल्कि यह सर्वसमावेशी और सकारात्मक राष्ट्रवाद है। संघ मानता है कि राष्ट्र एक जीवंत इकाई है, जिसमें हर नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होता है। संघ की दृष्टि में भारत केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि यह एक सभ्यता, एक संस्कृति और एक गौरवशाली इतिहास से भरा हुआ राष्ट्र है। इस राष्ट्र को सुरक्षित रखना, इसे आत्मनिर्भर बनाना और इसे विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना संघ का मुख्य लक्ष्य है।

संघ का दृष्टिकोण: "हिंदू, हिंदू है संघ के कारण"

संघ का "हिंदू" शब्द केवल धर्म से संबंधित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक अर्थ है। संघ के अनुसार, "हिंदू" शब्द उस संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है जो हजारों वर्षों से भारत में विकसित हुई है। संघ के लिए हिंदू शब्द किसी धर्म विशेष से अधिक, एक जीवन दर्शन है। संघ हिंदू समाज को संगठित करने के प्रयास में लगा है, ताकि यह समाज अपने गौरवशाली इतिहास और परंपराओं को समझ सके और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके।

संघ की शक्ति और सुरक्षा की भूमिका

संघ ने हमेशा समाज को आत्मबल और सुरक्षा के प्रति जागरूक करने का काम किया है। संघ के स्वयंसेवक न केवल शारीरिक रूप से बलशाली होते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी मजबूत होते हैं। संघ की शाखाओं में नियमित रूप से शारीरिक अभ्यासों, व्यायामों और बौद्धिक चर्चाओं का आयोजन किया जाता है, जिससे संघ के स्वयंसेवक हर प्रकार की आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार होते हैं।

संघ का सेवाभाव

संघ का एक प्रमुख लक्ष्य समाज में सेवाभाव को बढ़ावा देना है। संघ का मानना है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, और इसी भावना के तहत संघ के स्वयंसेवक समाज के हर वर्ग की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। संघ के कई कार्यक्रम जैसे बाल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास आदि इसी सेवाभाव के तहत संचालित होते हैं। संघ के स्वयंसेवक निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करते हैं और हर परिस्थिति में समाज का सहयोग करते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है, जो अपने मूल्यों, सिद्धांतों और कार्यों के माध्यम से समाज और राष्ट्र को संगठित करने और उसे शक्तिशाली बनाने के लिए कार्य कर रहा है। संघ के लिए राष्ट्र प्रथम है, और इसी भावना के साथ इसके लाखों स्वयंसेवक अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। संघ का मानना है कि अगर राष्ट्र संगठित और सशक्त होता है, तो समाज में संस्कार, संस्कृति, और सुरक्षा अपने आप आ जाएगी।

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