पहलगाम आतंकी हमला: 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' और टूलकिट का खुलासा, NIA जांच में जुटी बड़ी जानकारियां

NIA की जांच में पता चला है कि पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा की विंग तहरीक-ए-पश्तून द्वारा बनाई गई टूलकिट के तहत हुआ। इसमें 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' का इस्तेमाल किया गया, जिसमें आतंकी गुप्त तरीके से हथियार व संसाधन जुटाते हैं। इस पद्धति में आतंकी एक-दूसरे से अनजान होते हैं और हथियार कब्रिस्तान, पार्क जैसे सुनसान स्थानों पर रखे जाते हैं। हमले में छिपे हुए आतंकियों ने अचानक हमला बोला, जिसमें धार्मिक निशानेबाजी के साथ पर्यटकों को भी निशाना बनाया गया। NIA को सोशल मीडिया के गुप्त चैनलों से जुड़े सुराग मिले हैं। आशंका है कि भविष्य में ऐसे और हमले हो सकते हैं। Pahalgam terror attack Dead drop policy and toolkit revealed NIA engaged in investigation of important information, पहलगाम आतंकी हमला: 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' और टूलकिट का खुलासा, NIA जांच में जुटी बड़ी जानकारियां

Apr 30, 2025 - 11:30
Apr 30, 2025 - 11:31
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पहलगाम आतंकी हमला: 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' और टूलकिट का खुलासा, NIA जांच में जुटी बड़ी जानकारियां

पहलगाम आतंकी हमला: 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' और टूलकिट का खुलासा, NIA जांच में जुटी बड़ी जानकारियां

NIA की जांच में पता चला है कि पहलगाम हमला लश्कर-ए-तैयबा की विंग तहरीक-ए-पश्तून द्वारा बनाई गई टूलकिट के तहत हुआ। इसमें 'डेड ड्रॉप पॉलिसी' का इस्तेमाल किया गया, जिसमें आतंकी गुप्त तरीके से हथियार व संसाधन जुटाते हैं। इस पद्धति में आतंकी एक-दूसरे से अनजान होते हैं और हथियार कब्रिस्तान, पार्क जैसे सुनसान स्थानों पर रखे जाते हैं।

हमले में छिपे हुए आतंकियों ने अचानक हमला बोला, जिसमें धार्मिक निशानेबाजी के साथ पर्यटकों को भी निशाना बनाया गया। NIA को सोशल मीडिया के गुप्त चैनलों से जुड़े सुराग मिले हैं। आशंका है कि भविष्य में ऐसे और हमले हो सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच कर रही NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने पता लगाया है कि यह हमला एक पूर्व-नियोजित "टूलकिट" का हिस्सा था, जिसमें "डेड ड्रॉप पॉलिसी" का इस्तेमाल किया गया। सूत्रों के अनुसार, यह टूलकिट हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की विंग तहरीक-ए-पश्तून द्वारा तैयार की गई थी।

क्या है 'डेड ड्रॉप पॉलिसी'?

  • इस पॉलिसी के तहत आतंकियों को गुप्त तरीके से हथियार और संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं

  • आतंकी एक-दूसरे से अनजान होते हैं और सीधे संपर्क में नहीं आते।

  • हथियारों की डिलीवरी कम निगरानी वाले स्थानों जैसे पार्क, कब्रिस्तान या सुनसान इलाकों में की जाती है।

  • सोशल मीडिया के एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म के जरिए निर्देश दिए जाते हैं, जहां सुरक्षा एजेंसियों की पहुंच कम होती है।

पहलगाम हमले में कैसे इस्तेमाल हुई यह रणनीति?

  • हमले से पहले कुछ आतंकी घात लगाकर छिपे हुए थे, जबकि अन्य बाद में वहां पहुंचे।

  • धार्मिक निशानेबाजी (टारगेट किलिंग) के साथ-साथ गैर-धार्मिक पर्यटकों को भी निशाना बनाया गया, जो एक नया पैटर्न है।

  • हथियार और संचार डेड ड्रॉप सिस्टम के जरिए मैनेज किए गए, जिससे पहले से कोई भनक नहीं लगी।

NIA की जांच क्या कहती है?

  • एजेंसी को शुरुआती जांच में कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जो इस हमले के पीछे अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क की भूमिका की ओर इशारा करते हैं।

  • आशंका जताई जा रही है कि भविष्य में इसी तरह के और हमले हो सकते हैं।

इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों को सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और गुप्त आतंकी नेटवर्क पर और सख्त नजर रखने के लिए अलर्ट कर दिया है।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,