इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ महाकुंभ 2025 का आयोजन : आशुतोष शर्मा

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Feb 2, 2025 - 10:09
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इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ महाकुंभ 2025 का आयोजन : आशुतोष शर्मा
(जब विश्व का सबसे बड़ा जिला बना महाकुंभ नगर)


महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज ने एक बार फिर इतिहास रच दिया। आस्था, संस्कृति और परंपरा के इस विराट उत्सव ने न केवल श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को संभाला, बल्कि विश्व के सबसे बड़े जिले के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। मंगलवार तक, प्रयागराज में 3.90 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके हैं। जब इस संख्या में प्रयागराज जिले की सामान्य आबादी 70 लाख को जोड़ा गया, तो एक दिन में शहर की कुल जनसंख्या 4.60 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह संख्या विश्व के सबसे बड़े शहर टोक्यो की जनसंख्या को भी पीछे छोड़ देती है।  

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का अद्वितीय उदाहरण है। लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, पर्यटक और विदेशी मेहमान हर वर्ष इस आयोजन में भाग लेने के लिए आते हैं। लेकिन महाकुंभ 2025 ने इस विशाल आयोजन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मकर संक्रांति के अवसर पर 4.20 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम में स्नान के साथ ही, प्रयागराज पहले ही विश्व का सबसे बड़ा जिला बनने का रिकॉर्ड बना चुका था। और अब, मंगलवार को 4.60 करोड़ की जनसंख्या ने इसे और भी भव्यता प्रदान की।  

इतने विशाल आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराना प्रशासन और सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। एक ओर जहां इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही, भोजन, आवास और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था करना जरूरी था, वहीं दूसरी ओर यातायात और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी एक बड़ी जिम्मेदारी थी। उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस आयोजन के लिए व्यापक स्तर पर योजनाएं बनाईं। शहर को अस्थायी रूप से महाकुंभ नगर में परिवर्तित कर दिया गया, जिसमें विशेष रूप से तंबू नगरी, स्नान घाट, परिवहन सेवाएं, मेडिकल सुविधाएं और सुरक्षा उपाय शामिल थे। लगभग 22,000 पुलिसकर्मियों और अन्य सुरक्षा बलों को तैनात किया गया ताकि भीड़ प्रबंधन और कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके।  

महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आयोजन क्षमता को वैश्विक स्तर पर साबित किया है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की विविधता, एकता और सहिष्णुता को भी दर्शाता है। विश्व के कई देशों से आए मेहमानों ने इस आयोजन में भाग लेकर भारतीय परंपराओं और संस्कृति के प्रति अपनी रुचि दिखाई। महाकुंभ के दौरान प्रयागराज की अस्थायी जनसंख्या ने टोक्यो जैसे महानगर को पीछे छोड़कर यह साबित कर दिया कि भारत, अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के साथ, विश्व के सबसे बड़े आयोजनों को संभालने में सक्षम है। यह आयोजन भारत के पर्यटन उद्योग को भी एक नई दिशा देता है। विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है, बल्कि हमारे देश की वैश्विक छवि को भी सशक्त बनाती है।  

महाकुंभ का आयोजन न केवल आस्था और संस्कृति का संगम है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है। इतनी बड़ी संख्या में लोग जब एक ही उद्देश्य के लिए एकत्रित होते हैं, तो यह समाज में शांति, सहिष्णुता और आपसी प्रेम का संदेश भी देता है। प्रयागराज का यह आयोजन यह संदेश देता है कि यदि सही योजना, समर्पण और प्रशासनिक कुशलता हो, तो किसी भी बड़े उद्देश्य को हासिल किया जा सकता है। महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक स्तर पर बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर भी नए मानक स्थापित किए हैं।  

संपादकीय लेख - आशुतोष शर्मा
दिल्ली विश्वविद्यालय

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,