दुःख का प्रमुख कारण और उससे मुक्ति के उपाय

दुःख का प्रमुख कारण और उससे मुक्ति के उपाय, Main causes of sadness and ways to get rid of it

Jan 24, 2025 - 09:47
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दुःख का प्रमुख कारण और उससे मुक्ति के उपाय

दुःख मानव जीवन का अपरिहार्य हिस्सा है, जिसे हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में अनुभव करता है। जीवन में दुःख के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक। भारतीय दर्शन के अनुसार दुःख के प्रमुख कारण हमारे भीतर के विचारों, भावनाओं और कर्मों में छिपे होते हैं। महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में उल्लिखित पाँच "क्लेश" या मानसिक अशांतियाँ दुःख के मुख्य कारण मानी जाती हैं। इन कारणों को समझकर हम जीवन में शांति और सुख प्राप्त करने का मार्ग पा सकते हैं।

1. अविद्या (अज्ञान)

अविद्या, या अज्ञान, दुःख का सबसे प्रमुख कारण है। इसका अर्थ है वास्तविकता को न समझ पाना और भ्रमित रहना। यह अज्ञान हमें जीवन की सच्चाई से दूर कर देता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, अविद्या के कारण हम नश्वर को नित्य, अशुद्ध को शुद्ध, दुःख को सुख, और आत्मा को शरीर के रूप में समझने लगते हैं। जब तक हम अपनी वास्तविकता को नहीं समझ पाते, तब तक दुःख का अनुभव अनिवार्य है। अविद्या से मुक्ति पाने के लिए हमें आत्मज्ञान की प्राप्ति करनी होती है, जो कि ध्यान और साधना के माध्यम से संभव है।

2. अस्मिता (अहंकार)

अस्मिता या अहंकार, अपने आप को अत्यधिक महत्व देना और अपनी पहचान को ही सर्वश्रेष्ठ मानना है। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को ही सत्य मान लेते हैं, तो अहंकार का जन्म होता है। यह अहंकार जीवन में संघर्षों और तनाव का कारण बनता है। अहंकार से मुक्ति पाने के लिए हमें विनम्रता और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता होती है। जब हम अपने छोटेपन को समझते हैं और आत्मसमर्पण करते हैं, तब अहंकार से मुक्ति मिलती है।

3. राग (आसक्ति)

राग, या अत्यधिक लगाव, सुख और भौतिक वस्तुओं से जुड़ा होता है। जब हम किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति या अनुभव से अत्यधिक जुड़ जाते हैं, तो उसकी अनुपस्थिति हमें दुःख देती है। यह आसक्ति अंततः दुःख का कारण बनती है। राग से मुक्ति पाने के लिए हमें अपने मन को अन attachment मुक्त करना होता है। जब हम जीवन को जैसे है, वैसे स्वीकार करते हैं, तो यह आसक्ति कम हो जाती है।

4. द्वेष (घृणा)

द्वेष, या नफरत, अप्रिय अनुभवों और व्यक्तियों के प्रति नकारात्मक भावना है। जब हम किसी से घृणा करते हैं या उससे बचने का प्रयास करते हैं, तो यह घृणा हमारे मानसिक शांति को बाधित करती है। द्वेष और घृणा हमें अशांत करती हैं और मानसिक कष्ट का कारण बनती हैं। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए हमें क्षमा और प्रेम की भावना को अपनाना होता है। जब हम नफरत को प्रेम में बदलते हैं, तब मानसिक शांति प्राप्त होती है।

5. अभिनिवेश (मृत्यु का भय)

अभिनिवेश का अर्थ है मृत्यु का डर या जीवन से अत्यधिक मोह। यह भय हमें चिंता और तनाव में डालता है। जब हम जीवन और मृत्यु के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हम इस भय से मुक्त हो सकते हैं। मृत्यु के डर को दूर करने के लिए हमें जीवन के क्षणों का महत्व समझना और उसे सकारात्मक दृष्टिकोण से जीना होता है।

कर्मों का प्रभाव

दुःख का एक अन्य बड़ा कारण हमारे कर्म होते हैं। भारतीय दर्शन के अनुसार, "निज-निज कर्म भोग सब भ्राता" यानी प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। अच्छे कर्म सुख का कारण बनते हैं, जबकि बुरे कर्म दुःख का कारण बनते हैं। हमारे कर्मों का प्रभाव हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है, और यह हमारे दुःख या सुख का निर्धारण करता है। इसलिए हमें अच्छे कर्म करने चाहिए, ताकि हम सकारात्मक फल प्राप्त कर सकें।

दुःख से मुक्ति के उपाय

दुःख का मूल कारण हमारे विचारों, भावनाओं और कर्मों में छिपा होता है। इससे मुक्ति पाने के लिए हमें निम्नलिखित उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  1. अविद्या का नाश करें: आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए ध्यान और साधना करें।
  2. अहंकार को छोड़ें: विनम्रता और आत्मनिरीक्षण अपनाकर अहंकार से मुक्ति पाएं।
  3. आसक्ति और घृणा से बचें: जीवन को बिना किसी लगाव के स्वीकार करें और प्रेम एवं क्षमा की भावना को अपनाएं।
  4. जीवन और मृत्यु के प्रति संतुलित दृष्टिकोण रखें: मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए जीवन को सकारात्मक रूप से जीएं।
  5. अच्छे कर्म करें: अपने कर्मों पर ध्यान दें और साकारात्मक कार्यों में लिप्त रहें।

दुःख और सुख जीवन के अपरिहार्य हिस्से हैं, लेकिन इनका अनुभव हमारे विचारों, भावनाओं और कर्मों पर निर्भर करता है। जब हम अपनी नकारात्मकता को पहचानते हैं और उसे दूर करने का प्रयास करते हैं, तो जीवन में सुख और शांति का अनुभव संभव हो पाता है। हमें अपने भीतर के इन पांच "क्लेश" से मुक्ति पाकर, जीवन में वास्तविक सुख और शांति की प्राप्ति करनी चाहिए।

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@Dheeraj kashyap युवा पत्रकार- विचार और कार्य से आने वाले समय में अपनी मेहनत के प्रति लगन से समाज को बेहतर बना सकते हैं। जरूरत है कि वे अपनी ऊर्जा, साहस और ईमानदारी से र्काय के प्रति सही दिशा में उपयोग करें , Bachelor of Journalism And Mass Communication - Tilak School of Journalism and Mass Communication CCSU meerut / Master of Journalism and Mass Communication - Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University पत्रकारिता- प्रेरणा मीडिया संस्थान नोएडा 2018 से केशव संवाद पत्रिका, प्रेरणा मीडिया, प्रेरणा विचार पत्रिका,