International Yoga Day 2024:भारतीय योग का 5000 साल पुराना इतिहास ?
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, जो हर साल 21 जून को मनाया जाता है, योग की महत्वपूर्ण भूमिका को साझा करने और इसकी ऐतिहासिक महत्वता को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। योग, जो हजारों वर्षों से हमारे समाज में प्रचलित है, मानवता के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक रहा है। इस मौके पर हर साल योग के लाभों को समझाने और इसे अपने जीवन में शामिल करने की प्रेरणा दी जाती है।
Highlights
हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत को दुरुस्त रखता है।
यही वजह है कि इन दिनों दुनियाभर में लोग की लोकप्रियता काफी बढ़ है।
इसी लोकप्रियता को देखते हुए हर साल International Yoga Day मनाया जाता है।
नई दिल्ली: योग एक प्राचीन आध्यात्मिक प्रथा है जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग करती है। इसकी शुरुआत करीब 5000 साल पहले भारत में हुई थी, और तब से यह सदियों से हमारी संस्कृति और जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। योग द्वारा ध्यान, प्राणायाम, और आसनों के माध्यम से हम अपने शरीर और मन को शुद्ध करते हैं, जो हमारे जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसीलिए हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य योग के लाभों को जागरूक करना और लोगों को इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करने के प्रेरणा देना होता है।
क्या है योग?
योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक अनुशासन है, जो मन और शरीर के बीच संतुलन और समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक स्वस्थ और तनावमुक्त जीवन जीने की कला और विज्ञान है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 'योग' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'युज' से हुई है, जिसका अर्थ है 'जोड़ना' या 'एकजुट होना'। योग के अनुसार, योग करने से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है और यह मन, शरीर और प्रकृति के बीच संतुलन लाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है जीवन की सभी कठिनाइयों को पार कर आत्मज्ञान प्राप्त कराना।
इतिहास योग का?
योग का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, जिसकी शुरुआत करीब कई हजार वर्ष पहले हुई थी। इसे सभ्यता की शुरुआत के साथ जुड़ा माना जाता है, जब योगी या आदियोगी ने इसे अपना जीवनधारा बनाया। योग का गहन ज्ञान हिमालय के कांतिसरोवर झील के तट पर सप्तऋषियों के माध्यम से प्रथम बार प्रचारित किया गया था, और इसकी जानकारी फिर भारतीय सभ्यता के अलावा एशिया, मध्य पूर्वी, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पहुंची। योग को किसी विशेष धर्म या संस्कृति से नहीं बांधा जाता, बल्कि इसे मानवता के सार्वभौमिक धरोहर के रूप में देखा जाता है।
योग से जुड़ी भारत की जुड़े?
योग की उपस्थिति प्राचीन भारतीय सभ्यताओं के अनेक अवशेषों और मुहरों में देखने को मिलती है। सिंधु घाटी सभ्यता की मुहरों और जीवाश्म अवशेषों में भी योग करती आकृतियां पाई गई हैं, जो योग की प्राचीनता का सबूत है। इसके अतिरिक्त, देवी मां की मूर्तियों के चिह्न और मुहरें तंत्र योग की ओर इशारा करते हैं। योग की उपस्थिति न केवल प्राचीन सभ्यताओं में बल्कि लोक परंपराओं, वैदिक और उपनिषद, बौद्ध और जैन परंपराओं, महाभारत और रामायण महाकाव्यों, शैव, वैष्णव और तांत्रिक परंपराओं में भी दिखाई देती है
'सूर्य नमस्कार' की उत्पत्ति कैसे हुई ?
जब भी योग की बात आती है, तो 'सूर्य नमस्कार' का उल्लेख जरूर होता है। इसकी उत्पत्ति वैदिक काल में हुई थी, जब सूर्य को महत्व दिया जाता था। 'सूर्य नमस्कार' की प्रथा इसी समय से आरंभ हुई, जो सूर्य की पूजा और समर्पण का प्रतीक है। योग का अभ्यास प्राचीन वैदिक काल से शुरू होता आया है, लेकिन महान ऋषि महर्षि पतंजलि ने आधुनिक योग की प्रथाओं को संस्थापित किया और इसे व्यापक रूप से व्याख्यान किया। पतंजलि के बाद, कई संतों और योग गुरुओं ने योग के संरक्षण और विकास में बहुत योगदान दिया है।
आधुनिक काल का योग
1700 - 1900 ई. के बीच को योग का आधुनिक काल माना जाता है। इस अवधि में रमण महर्षि, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, विवेकानंद जैसे महान योगाचार्यों ने राज योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस दौरान वेदांत, भक्ति योग, नाथयोग और हठ-योग भी विकसित हुए।
वर्तमान में योग
प्राचीन काल से लोगों को लाभ पहुंचाने वाला योग आजकल कई प्रतिष्ठित योग संस्थानों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, निजी ट्रस्टों, सोसाइटी आदि में सिखाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को इसे सीखने और इससे उन्हें समाज कल्याण के लिए लाभ पहुंचाने में मदद करना है। इसी प्रेरणा से कई योग क्लिनिक, योग थेरेपी और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। प्राचीन काल से आज तक, कई महान योग गुरुओं ने इसे संरक्षित और प्रचारित किया है, जिससे वर्तमान में दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। योग आज भी लगातार विकसित हो रहा है और हर दिन इसकी मान्यता और उपयोगिता बढ़ती जा रही है।
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